कचरे में लगी आग पर पाना था साइंटिफिक तरीके से काबू, 3 लाख लीटर पानी के इस्तेमाल से निकलने लगीं ग्रीन हाउस गैसें

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Rahul Sharma
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कचरे में लगी आग पर पाना था साइंटिफिक तरीके से काबू, 3 लाख लीटर पानी के इस्तेमाल से निकलने लगीं ग्रीन हाउस गैसें

BHOPAL. भोपाल से 15 किमी दूर आदमपुर खंती में 24 फरवरी को आग लग गई। अधूरा ज्ञान किस तरह मुसीबत खड़ी कर देता है, कचरे में लगी आग को काबू करने के लिए जो प्रयास किए गए ये उसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कचरे में लगी आग को साइंटिफिक तरीके से काबू करने के ​बकायदा नियम है, पर नगर निगम ने यहां आग पर काबू करने के लिए 3 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल कर दिया। आग तो पूरी तरह नहीं बुझी उल्टा ये हुआ कि आग पर पानी डालने से बहुत अधिक मात्रा में ग्रीन हाउस गैसें निकलने लगीं। पूरे मामले में एनजीटी ने संज्ञान लेकर जिम्मेदारों से जवाब भी मांगा है।





10 किमी तक फैले धुंए से सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन





आदमपुर खंती के कचरे में लगी आग हवा चलने पर 10 किमी तक फैल रहा है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन हो रही है। जनपद सदस्य संतोष प्रजापति ने कहा कि ग्रामीणों को सांस लेने में काफी दिक्कत है। आंखों में जलन हो रही है। ये धुंआ पडरिया, कोलुआ, बिलखिरिया, आदमपुर, अर्जुन नगर, हरिपुरा तक फैला हुआ है। वहीं पडरिया गांव के रहने वाले छोटेलाल डेहरिया ने बताया कि गांव वाले बहुत ज्यादा परेशान है। पूरे गांव में धुंआ-धुंआ हो रहा। पानी की बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है।





वीडियो देखें.. लगातार लोगों की जान से खेल रहा भोपाल नगर निगम





27 गुना अधिक मिली पर्टिकुलेट मैटर की वैल्यू





आग लगने की घटना के करीब 1 सप्ताह बीत जाने के बाद द सूत्र ने आदमपुर खंती में जाकर हालात देखे। जब यहां जाकर पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) की वैल्यू निकाली तो वह परमिसीबल लिमिट से 27 गुना तक अधिक मिली। इससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि जब इस खंती में आग धधक रही होगी तब यहां के प्रदूषण की क्या स्थिति थी। प्रदूषण मापने जब पोरटेबल मॉनिटर को ऑन किया तो मॉनिटर लगातार बीप करने लगा, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि कचरा खंती के आसपास के इलाके में प्रदूषण की विस्फोटक स्थिति है। पीएम-2.5 का नॉर्मल लेवल 60 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर होता है, पर ये 1591 मिला। वहीं पीएम-10 का सामान्‍य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर होना चाहिए पर ये 2785 मिली। एनजीटी में याचिका लगाने वाले डॉ. सुभाष सी पांडे का कहना है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में पर्टिकुलेट मैटर की इतनी अधिक वेल्यू नहीं देखी थी। पर्टिकुलेट मैटर हजार गुना तक बढ़ गया है। बहुत ही नारकीय स्थिति है, ना जाने यहां लोग कैसे रह रहे हैं।





जहां था कचरे का पहाड़ वहां समतल हुई जगह





द सूत्र उस जगह भी पहुंचा जहां आग लगी थी। जहां कचरे का पहाड़ था वहां की जगह अब समतल सी हो गई है। इस जगह से धुंआ अब भी निकल रहा है। 7 लाख टन कचरे में से बड़ी मात्रा में कचरा जल चुका है। डॉ. सुभाष सी पांडे का कहना है कि कचरे में लगी आग की वजह से मीथेन, कार्बन मोनोक्साइड, डाइऑक्साइड सहित बहुत सारे वॉटर वेपर्स जैसी ग्रीन हाउस गैसों का मिश्रण यहां से धुएं के रूप में निकल रहा है।





आग के बाद भी पहुंचता रहा कचरा, दमकल भी आई नजर





जब किसी डंपिंग या लैंडफिल साइट पर कचरे में आग लगती है तो सबसे पहला काम होता है कि वहां नया कचरा कहीं से ना आए, लेकिन आदमपुर खंती में कचरे से भरे डंपर लगातार आते रहे। कुछ कचरा गाड़ियां द सूत्र के कैमरे में भी कैद हुई। आदमपुर खंती की ओर लगातार दमकले भी जाते हुए मिली। पर्यावरणविद् कमल राठी का कहना है कि सेंट्रल पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी की गाइडलाइन है कि आग बुझाने के लिए केमिकल्स का उपयोग किया जाना था, फायर बिग्रेड से पानी डालने से पानी जमीन के अंदर जाकर ग्राउंड वाटर को प्रदूषित करेगा। साथ ही जब वह वेपर फॉर्म में जाएगा तो ग्रीन हाउस गैसें निकलेंगी ही।





2142 लोगों को मिल सकता था जरूरत का पानी





आदमपुर खंती में आग पर काबू करने के लिए नगर निगम ने पानी को बर्बाद किया। हम बर्बाद शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि नियमानुसार यहां आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया ही नहीं जा सकता। नगर निगम भोपाल के फायर बिग्रेड प्रभारी रामेश्वर नील के अनुसार हर दिन एक दर्जन से अधिक फायर बिग्रेड आग बुझाने के लिए आदमपुर खंती पहुंची। एक फायर बिग्रेड में न्यूनतम 2500 लीटर पानी होता है, यदि इसी जानकारी को सही मान लें तो 3 लाख लीटर पानी आदमपुर खंती की आग को बुझाने के लिए उपयोग हो चुका है। भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 140 लीटर है, मतलब जितने पानी की नगर निगम ने बर्बादी की उतना पानी 2142 लोगों की जरूरत को पूरा कर सकता था।





एनजीटी ने रिपोर्ट तैयार करने गठित की कमेटी





नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने नगर निगम भोपाल, पीसीबी के मेंबर सेकेटरी, भोपाल कलेक्टर और नगरीय प्रशासन विभाग के कमिश्नर से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, एमपीपीसीबी, नगर निगम भोपाल, मैनिट के एक्सपर्ट के साथ साथ सेंट्रल हेल्थ सर्विस डिपार्टमेंट के एडिशनल ​डायरेक्टर की एक कमेटी गठित की है, जो पूरे मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। एनजीटी ने नगर निगम भोपाल और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि वो कचरे में लगी आग को बुझाने की तत्काल व्यवस्था करे।



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