अरुण तिवारी, BHOPAL. उज्जैन में महाकाल लोक की मूर्तियां गिरने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस ने इसे महाघोटाले का नाम दिया है। इस मामले में आंधी की राजनीति तूफान में बदल गई है। सरकार खामोश है तो कांग्रेस मुखर हो गई है। कांग्रेस ने कहा कि वो इस महाघोटाले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराएगी। वहीं सीएम से जब महाकाल लोक की घटना पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और कैमरे के सामने से हट गए। जाहिर है महाकाल लोक निर्माण कर तारीफ बटोरने वाले सीएम ने ये तो कभी नहीं सोचा होगा कि इतने जल्दी इसका ये हश्र होगा। गौरतलब है कि इस महाकाल लोक का उद्घाटन बड़े जोर शोर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था।
केंद्रीय मंत्री बता रहे थे महाकाल लोक की खूबी
मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियां गिनाने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव भोपाल आए। मिंटो हॉल में मीडिया संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे। भूपेंद्र यादव ने उपलब्धियां गिनानी शुरू कीं तो जिक्र महाकाल लोक का भी आया। यादव ने महाकाल लोक को मोदी सरकार की उपलब्धियों में शुमार किया। लेकिन शायद उनको पता नहीं था कि एक रात पहले ही आंधी ने महाकाल लोक को अस्त व्यस्त कर दिया और बड़ी-बड़ी मूर्तियां टूटकर जमीन पर गिर गईं।
40 की स्पीड सामान्य तो 30 में कैसे गिरी मूर्तियां
कांग्रेस ने महाकाल लोक के निर्माण पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा को वाहन चालक और यात्रियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, तो मात्र 30 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार वाली हवा से देवदुर्लभ मूर्तियां कैसे खंडित हो गई। कांग्रेस एक जांच समिति बनाई है जिसमें सज्जनसिंह वर्मा, रामलाल मालवीय, महेश परमार, मुरली मोरवाल, दिलीप गुर्जर, शोभा ओझा और केके मिश्रा को शामिल किया गया है। ये समिति घटना स्थल पहुंचेगी, मौका मुआयना करेगी। केके मिश्रा ने कहा कि जरुरी हुआ तो मुख्यमंत्री समेत जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
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महाकाल लोक में 162 करोड़ हुए खर्च
विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने महाकाल लोक निर्माण में हुई अनियमितताओं का सवाल उठाया था। इस सवाल के जवाब में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पूरी जानकारी दी थी। सरकार के अनुसार महाकाल लोक पर 162 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसमें जो 6 मूर्तियां गिरी हैं उनकी लागत 66 लाख रुपए थी। इसका कांट्रेक्ट एमपी बाविरया, डीएच पटेल और गायत्री इलेक्ट्रिकल से किया गया। मूर्तियां अनुबंध के अनुसार ही लगाई गई हैं। जबकि कांग्रेस का कहना है कि क्या हिन्दू धर्मशास्त्र में फाईबर रेन्स फोर्स प्लास्टिक की मूर्तियां धर्मानुरूप है, या पत्थरों अथवा संगमरमर से बनी मूर्तियां? यदि नहीं तो हिन्दू धर्म के कथित ठेकेदारों ने धर्मशास्त्रों को ठेंगा बताते हुए प्लास्टिक की मूर्तियों की इजाजत क्यों दी। वहीं कांग्रेस का कहना है कि मूर्ति निर्माण एवं अन्य कार्यों के लिए सिर्फ गुजरात की कंपनियों का चयन कैसे और किसके दबाव में हुआ, क्या आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में कोई योग्य आर्किटेक्ट और मूर्तिकार नहीं है।
खामोश रहे सीएम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मुद्दे पर खामोश हैं। जब इस मसले पर मीडिया ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। मीडिया ने मिंटो हॉल के कार्यक्रम के बाद सीएम से पूछा कि महाकाल लोक में ये घटना कैसे हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। कांग्रेस ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा और वे कैमरे के सामने चले गए।