GWALIOR News. राजस्थान की एक कम्पनी से जुड़े संचालकों और कारिंदों ने माइनिंग खदानें और बड़े-बड़े बांध प्रोजेक्ट्स में पैसे लगाने और बदले में मौत रिटर्न देने के लालच देकर ग्वालियर के एक कम्पनी संचालक से लगभग चार करोड़ रुपये ठग लिए। लंबे समय तक पैसे वापिसी न कर टालते रहने से परेशान पीड़ित पक्ष ने इसकी शिकायत पुलिस में की । पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ये है मामला
मुरार थाना क्षेत्र के गेरू वाला बंगला क्षेत्र में रहने वाले अखिलेश पुत्र दौलतराम मुदगल कारोबारी है । वे यहां अपनी जेपीसी कंस्ट्रक्शन एंड टेलीकाम कम्पनी चलाते हैं।उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व उनकी मुलाकात गौरी कंस्ट्रक्शन के जनरल मैनेजर महेन्द्र सिंह राजपुरोहित एवं पार्टनर शेराराम चौधरी से हुई मुलाकात के बाद आरोपियों ने उन्हें इंवेस्ट करने पर मोटे मुनाफे का लालच दिया। जिस पर उन्होंने दो करोड़ रुपये बांध निर्माण के बड़े प्रोजेक्ट्स के नाम पर इंवेस्ट कर दिए। कुछ समय बाद आरोपियों ने उन्हें जयपुर में हिसाब करने के लिए बुलाया जहां पर उनका फायदा मिलाकर चार करोड़ रुपए हुए। हिसाब के बाद आरोपियों ने उन्हें कुछ दिन बाद भुगतान करने का भरोसा देकर वापिस ग्वालियर लौटा दिया। इसके बाद जब भी वह पैसे मांगते आरोपी उन्हें हर बार नया बहाना बनाकर टरका देते थे। लगातार वायदों से परेशान होकर उन्होंने जानकारी की तो पता चला कि इस तरह की कोई खदान ही नहीं थी और ना ही उनका कोई बांध निर्माण का ठेका हुआ था। इसका पता चलते ही वह थाने पहुंचे और मामले की शिकायत की। पुलिस ने उनको शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
पहले डाला लालच का चारा
गौरी कन्स्ट्रक्शन कम्पनी ने अखिलेश मुदगल के सामने पहले लालच का चारा डालकर फंसाया । मुरार के थाना प्रभारी शैलेन्द्र भार्गव ने बताया कि अखिलेश के अनुसार कि पहले आरोपियों ने उनसे एक परियोजना के लिए 8 लाख रुपये लिए और एक साल बाद वे दुगने कर 16 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। इसके बाद मुदगल का इस कम्पनी के लोगों से मिलना - जुलना और संपर्क बढ़ गया। 2017 में इन लोगों ने उन्हें कुछ बांध निर्माण और खदानों से जुड़े प्रोजेक्ट दिखाए तो उन्होंने पहले डेढ़ करोड़ फिर पचास लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट कर दिया। इसके बदले उन्हें लाभ में 25 और 16.5 फीसदी का हिस्सेदार बनाया था। इनके हिसाब के लिए दोनो पक्षों के बीच पिछले साल बैठक हुई जिसमें चार करोड़ रुपये की राशि मुदगल को लौटाना तय हुआ लेकिन लौटाई नहीं।