व्यापमं कांड में शामिल 5 पुलिसकर्मी कोर्ट से सजा मिलने पर बर्खास्त: 2014 से चल रहे थे निलंबित, एसपी ने जारी किया आदेश

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Jitendra Shrivastava
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व्यापमं कांड में शामिल 5 पुलिसकर्मी कोर्ट से सजा मिलने पर बर्खास्त: 2014 से चल रहे थे निलंबित, एसपी ने जारी किया आदेश

GWALIOR. व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) फर्जीवाड़े में शामिल ग्वालियर के 5 आरक्षकों को एसपी राजेश सिंह चंदेल ने बर्खास्त कर दिया है। आरोपी आरक्षकों को 2014 में भोपाल एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से सभी निलंबित चल रहे थे। वहीं कोर्ट से सजा होने पर पांचों को बर्खास्त किया गया है। एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने इन्हें बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए है।



लंबे समय से इनके विरुद्ध चल रहा था कोर्ट में मामला 



व्यापमं फर्जीवाड़े में शामिल ग्वालियर के पांच सिपाहियों को बर्खास्त किया गया है। लंबे समय से इनके विरुद्ध कोर्ट में मामला चल रहा था। कोर्ट से सजा होने पर पांचों को बर्खास्त किया गया है। एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने इन्हें बर्खास्त करने के आदेश गुरुवार शाम को जारी कर दिए। इससे पहले भी व्यापमं कांड में शामिल पुलिसकर्मियों को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी पहली बार हुई है। 



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व्यापमं फर्जीवाड़े में इन पुलिसकर्मियों का नाम था



प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं फर्जीवाड़े में पुलिसकर्मियों का भी नाम सामने आया था। ऐसे पुलिसकर्मियों पर प्रकरण कर इन्हें निलंबित कर दिया गया था। व्यापमं फर्जीवाड़े में नामजद पांच सिपाही धर्मेंद्र रावत, पूरन सिंह, लंकेश शर्मा, देवेश त्यागी, धीरज दोनेरिया का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। कोर्ट से इन पांचों को सजा हो गई। इसके बाद एसएसपी ने पांचों को गुरुवार को बर्खास्त कर दिया।



क्या था व्यापमं फर्जीवाड़ा



घोटाले का बड़ा पैमाना 2013 में सामने आया, जब इंदौर पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार किया, जो पीएमटी 2009 के लिए उम्मीदवारों की जगह परीक्षा देने आए थे। राज्य सरकार ने 26 अगस्त 2013 को इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच एसटीएफ के सौंपी। बाद की पूछताछ और गिरफ्तारियों के बाद घोटाले में कई राजनेताओं, नौकरशाहों, एमपीपीईबी अधिकारियों, रैकेट नेताओं, बिचौलियों, उम्मीदवारों और उनके माता-पिता की संलिप्तता का खुलासा हुआ। जून 2015 तक, घोटाले के सिलसिले में 2000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी शामिल थे साथ ही सौ से अधिक अन्य राजनेता भी। जुलाई 2015 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को देश की प्रमुख जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया। 


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