BHOPAL. तीन साल का वादा कर दस साल बाद भी लोगों को उनका मकान देने में नाकाम एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड को दिवालिया घोषित करने के बाद इसका बाजार मूल्य भी निकाला जाने लगा है। एनसीएलटी द्वारा बैठाए गए सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा पहली नजर में एजी-8 की कुल संपत्ति का आंकलन करीब 500 करोड़ रुपए किया गया है। इसमे से करीब 300 करोड़ रुपए उन लोगों के मकान बनाने पर ही खर्च होंगे, जो बुकिंग कराने के बाद से अब तक चक्कर काट रहे हैं। आंकलन पूरा होते ही इसके लिए खरीदार कंपनी तय की जाएगी। इसमें मकान खरीदने वालों को तो फायदा हो जाएगा, लेकिन एजी-8 को लोन देने वाले बैंकों को ब्याज के साथ ही मूल राशि में भी घाटा उठाना पड़ सकता है।
जानकारी के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल एनसीएलटी की इंदौर खंडपीठ द्वारा एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड को दिवालिया घोषित कर इसके बकायदारों को उनकी राशि उपलब्ध कराने की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए सॉलवेंसी प्रेाफेशनल अनिल गोयल को नियुक्त किया गया है। बताया जाता है कि सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा प्रारंभिक तौर पर इस कंपनी की कुल संपत्ति 500 करोड़ की मानी है। जबकि कंपनी की लाइबिलिटीज उधारी कहीं अधिक है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा मकान बुक कराने वालों का है। सूत्रों के मुताबिक मकान बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे। इसके बाद बैंकों का बकाया चुकाया जाएगा। मकान खरीदारों और बैंकों के बाद बाजार की बाकी लेनदारी चुकाई जाएगी। सूत्रों की मानें तो कंपनी का वित्तीय लेखा-जोखा फाइनल करते ही सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा एजी-8 की बिक्री की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके लिए खरीदार कंपनी तय कर दी जाएगी, जो संपत्ति के साथ ही लाइबिलिटीज पूरी करने में सक्षम हो।
ऐसे तय की जाएगी कीमत
वित्तीय लेखा-जोखा फाइनल होते ही सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा एजी-8 की बिक्री के संबंध में सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की जाएगी। इसमें कंपनी की संपत्ति के साथ ही उधारी की जानकारी भी दी जाएगी। एसेट्स और लाइबिलिटीज के आधार पर कंपनियों से ऑफर बुलाए जाएंगे। इसके लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी सभी कंपनियों के ऑफर पर निर्णय लिया जाएगा। मगर इसमें भी बहुमत मकान खरीदारों का ही माना जाएगा।
वॉटरफॉल अरेंजमेंट से तय होगी प्राथमिकता
करीब सौ एकड़ में बने आकृति एक्वा सिटी में सौ से ज्यादा लोगों को बुकिंग के दस साल बाद भी मकान नहीं मिल सके हैं। वहीं बाजार की भी करोड़ों रुपए की देनदारी एजी-8 पर हो गई है। डीबी कॉर्प ने अपनी राशि वसूलने के लिए एनसीएलटी की शरण ली थी। ट्रिब्युनल इस कंपनी को दिवालिया मान चुकी है। अब सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा कंपनी खरीदने के लिए देश-प्रदेश की बड़ी कंपनियों से ऑफर बुलाए जाएंगे। एजी-8 को खरीदने वाली कंपनी द्वारा वॉटरफॉल अरेंजमेंट फार्मूले पर लोगों की देनदारी चुकाई जाएगी। इसमें पहला हक मकान खरीदारों का होगा। जो एजी-8 की कुल कीमत का करीब 80 फीसदी है। जबकि 20 फीसदी हिस्सा बैंकों के बकाये का है।
ऐसे चुकाई जाएगी देनदारी
1 करीब 300 करोड़ रुपए मकान खरीदारों पर खर्च होंगे। यह राशि सीधे तौर पर कंस्ट्रक्शन पर खर्च होगी।
2 बैंकों की देनदारी - बैंकों की ब्याज सहित राशि। मगर सबसे अधिक नुकसान बैंकों को ही उठाना पड़ेगा। बैंको को ब्याज तो मिलेगा ही नहीं, मूल राशि भी पूरा मिलना मुश्किल है।
3 बाजार की देनदारी- सीमेंट, रेत, लोहा विक्रेताओं की राशि
4 कर्मचारी का बकाया वेतन भुगतान।
5 सरकारी टैक्स, फीस
ऐसे निकलेगी संपत्ति की कीमत
- जो मकान, दुकान व प्लाट आदि बिक चुके हैं, लेकिन उनके पैसे अभी आना बाकी है, उनसे राशि एकत्रित की जाएगी।
- बिना बिकी संपत्ति से मिलने अनुमानित रकम
- कोई और संपत्ति, उसकी कीमत लगाकर एजी-8 खरीदने वाली कंपनी को मिलेगी। जो फिलहाल करीब 500 करोड़ रुपए मानी जा रही है।
एजी-8 को मिलेगा एमएसएमई होने का फायदा
सॉलवेंसी प्रोफेशनल द्वारा खरीदारों से बुलाए जाने वाले ऑफर में एजी-8 भी शामिल हो सकती है। एजी-8 को एमएसएमई होने का लाभ मिलना तय है। एजी-8 इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। उन्होंने सॉलवेंसी प्रोफेशनल के समक्ष भी दावा किया है कि भले ही उनके पास अब कुछ नहीं बचा है, फिर भी वे अपना सबकुछ बेच देंगे, लेकिन कंपनी को अपने हाथ से नहीं जाने देंगे। बेस्ट ऑफर देंगे।