देव श्रीमाली, GWALIOR. कोरोना की दोनों खासकर दूसरी लहर में लोगों की सांसें कम होती जा रहीं थीं। देश, प्रदेश और ग्वालियर में भी सबसे ज्यादा संकट अगर था तो वह था ऑक्सीजन सिलेंडर का। इसके लिए मारामारी थी और एक रात ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के चलते कई मरीजों को असमय जान भी गंवानी पड़ी थी। इस दौरान जन प्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओं ने मानवता के चलते यहां के जेएएच यानी जयारोग्य चिकित्सालय को साढ़े चार सौ से ज्यादा सिलेंडर दान में दिए थे, लेकिन अब इनमें से 341अस्पताल में है ही नहीं। ये कहां गए इसका पता लगाने में किसी को कोई रुचि नहीं है ? अस्पताल प्रबंधन इसे चोरी बता रहा है, जबकि पुलिस कह रही है अस्पताल ने अपनी जांच रिपोर्ट ही नहीं दी। हर कोई लगभग 55 लाख से ज्यादा के सिलेंडर चोरी होने का मामला दबाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
रहस्यमय ढंग से गायब हुए सिलेंडर
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब लोग सांसों के लिए दर-दर भटक रहे थे ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी ने लोगों की सांसों को कम कर रखा। जैसे तैसे इसका इंतजाम हुआ था, लेकिन जब कोरोना की दूसरी लहर का असर कम हुआ तो जयारोग्य अस्पताल से 341 ऑक्सीजन सिलेंडर अचानक रहस्यमय ढंग से गायब हो गए। पहले तो अस्पताल प्रबंधन ने इस घटना को दबाए रखा, लेकिन जब खुल ही गई तो एक जांच कमेटी बनाने की घोषणा और पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की घोषणा कर इसकी इतिश्री कर दी गई।
यह मामला कर रहा है तमाम सवाल खड़े
JAH में ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी होना बड़ी घटना है क्योंकि इससे JAH प्रबंधन पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। CCTV कैमरे से लेकर सिक्युरिटी तक सब प्रबंधन के हाथ में हैं। जिस समय ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी होने की बात की जा रही है उस समय तो कोरोना काल चल रहा था और JAH परिसर पुलिस छावनी बनी हुई थी। ऐसे में कोई इतनी संख्या में कैसे ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी कर सकता है। इसलिए ऑक्सीजन सिलेंडर गायब होने के पीछे घोटाले की भी आशंका जताई जा रही है, लेकिन इन मामले पर बोलने को कोई तैयार नहीं है। इस मामले को लेकर जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक जीएस धाकड़ से बातचीत की तो उनका भी अनसुलझा जवाब सामने आया।अस्पताल अधीक्षक जीएस धाकड़ का कहना है कि इस मामले की भी जांच चल रही है जब जांच रिपोर्ट आएगी तभी इसके बारे में खुलासा हो पाएगा। हमारी तरफ से जो कार्रवाई होनी थी वह हो चुकी है।
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चोरी की थ्योरी में ये है पेंच
जब "द सूत्र" ने इस मामले की जांच पड़ताल की तो पता चला कि जयारोग्य अस्पताल में चार सप्लायर ही काम करते थे जो स्क्रब सेवा कम्प्रेस्ड एयर प्रोडक्ट, अन्नपूर्णना, शिवम व आरआर इंटरप्राइजेज ऑक्सीजन थे। अस्पताल परिसर में ये ही सिलेडंर की सप्लाई काम करते है। ऑक्सीजन सिलेंडर इनके ही बीच रहते हैं। इनको रिफलिंग के लिए लाना ले जाना इनके हाथ में रहता था। फिर कोई अन्य व्यक्ति इतने सिलेंडर यहां से कैसे ले जा सकता है। एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 12 हजार रुपए थी। कोविड के समय में यह काफी महंगे भी मिले थे। गायब हुए सिलेंडर की कीमत 50 से 55 लाख रुपए बताई जा रही है।
न अस्पताल की जांच आगे बढ़ी न थाने की
मामला उजागर होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जांच के लिए फटाफट एक जांच कमेटी बनाने की घोषणा की। कम्पू थाने में चोरी की एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन सवा साल से ज्यादा लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी नतीजा ढांक के तीन पात ही है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जीएस धाकड़ का कहना है कि उन्होंने केस पुलिस को दे दिया है अब जो भी करना है उसे करना है, लेकिन वे यह बताने को तैयार नहीं है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की जांच में क्या निकला ? उनका कहना है कि जांच चल रही है।
पुलिस की जांच भी जहां की तहां
इस मामले में पुलिस जांच के भी जहां के तहां ठहरे रहने से मामला और संदिग्ध हो जाता है। सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित और अत्यंत प्रभावी सुरक्षा वाले जेएएच में से इतना बड़ा और बड़ी संख्या में सामान चोरी होने के बाद भी अभी तक कुछ भी नतीजा न निकलने से लगता है यह चोरी नही बल्कि, घपला है और इनमें ऐसे बड़े लोग भी शामिल है, जिनके रसूख के दबाव में जांच दबकर रह गई है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोतिउर्ररहमान का कहना है कि इस मामले की जांच चल रही है और हमे अस्पताल की जांच रिपोर्ट का भी इंतजार है। यही बात क्षेत्र के सीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने कही। उन्होंने बताया कि नवम्बर 2021 में जेएएच प्रबंधन ने एक रिपोर्ट कम्पू थाने में लिखाई थी कि उनके यहां से 341 ऑक्सीजन गैस सिलेंडर चोरी चले गए है। इस पर से अपराध पंजीबद्ध हुआ था। इनमें प्रबंधन ने छह सदस्यीय जांच कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट अभी नही आई है उसके आते ही हम अगली कार्यवाही करेंगे। फिलहाल मामला विवेचना में ही है।