नए वार्ड और ओबीसी वोटर कहीं भाजपा का खेल न बिगाड़ दे, आसान नहीं है बीजेपी की राह 

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Dev Shrimali
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नए वार्ड और ओबीसी वोटर कहीं भाजपा का खेल न बिगाड़ दे, आसान नहीं है बीजेपी की राह 

Gwalior. नगर निगम के चुनाव पहले चरण में यानी 6 जुलाई को होंगे । भाजपा बीते 50 वर्षों से मेयर के पद पर अपने उम्मीदवार को निरापद ढंग से जिताती आ रही है। शहरी क्षेत्र में भाजपा का पलड़ा भारी रहता है लेकिन इस बार की राह आसान नहीं है इसकी वजह ग्रामीण क्षेत्र के आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामों का नगर निगम सीमा में जुड़ जाना । ये सभी ओबीसी बाहुल्य हैं और वे इस समय भाजपा से नाराज चल रहे हैं । भाजपा की चिंता यही वार्ड बढ़ा रहे हैं।



1968 से भाजपा का एकछत्र राज्य




ग्वालियर नगर निगम का गठन सिंधिया राज्यकाल में हुया था इस लिहाज से वह मप्र की सबसे पुरानी नगर निगम है । शुरुआती समय को छोड़ दें तो इस पर जनसंघ और भाजपा का एकछत्र राज्य चला आ रहा है । 1968 में जनसंघ के वरिष्ठ नेता नारायन कृष्ण शेजवलकर सबसे पहले गैर कांग्रेसी मेयर बने थे और फिर इस सीट पर भाजपा एकदम चिपककर रह गई लेकिन इस बार मामला रोचक हो सकता है । इसकी वजह है नगर निगम में जोड़े गए 6 नए वार्ड।



पिछड़ा बाहुल्य हैं नए वार्ड



भाजपा नेता भी मानते है कि इस बार पहली बार नगर निगम सीमा में जोड़े गए एक दर्जन ग्रामों को मिलाकर बने छह वार्ड भाजपा के गणित को खराब कर सकते हैं। इसकी वजह है इनमें पिछड़ों का बाहुल्य। ये वार्ड शहर को चारों ओर से घेरे हैं और अभी तक ग्वालियर ग्रामीण में शामिल थे। इनमें पिछड़ों की ताकत कितनी मजबूत है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले विधानसभा चुनावों में ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से भाजपा ,कांग्रेस और बसपा तीनों ही दलों से पिछड़ी जातियों के ही प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। जीत मामूली अंतर से भाजपा के भारत सिंह कुशवाह को मिली थी। अभी वे शिवराज मंत्रिमंडल में उद्यानिकी मंत्री हैं। शहर के आसपास गुर्जर और यादव वोटर्स का बाहुल्य है और ये अलग-अलग कारणों से वर्षों से कांग्रेस के साथ हैं । 



इक्कट्ठे पड़ते हैं वोट




हालांकि शहर में अंदर भाजपा का दबदबा है और उसकी स्थिति अपराजेय जैसी रहती आई है लेकिन इस बार मामला नजदीकी तक पहुंच सकता है। इसकी वजह है यही छह वार्ड । इन वार्डो में जातिगत एकता का बोलबाला रहता है इसलिए भेड़चाल चलती है । जब ये गांव पंचायत में थे तब यहां 85 से 90 प्रतिशत वोट डलते रहे हैं । अगर यही ट्रेंड इस बार रहा तो वे शहर के कम से कम 12 वार्ड की बढ़त खा जाएंगे। क्योंकि शहर में तो महज 50 फीसदी वोट पड़ पाते हैं।



दस लाख से ज्यादा वोटर




ग्वालियर नगर निगम में इस बार 10 लाख 68 हजार 267 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर मेयर और 66 पार्षदों के चयन कर सकेंगे।


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