राहुल शर्मा, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की दो पहचान हैं। पहली- झीलों की नगरी और दूसरी- यहां की ग्रीनरी। लेकिन भोपाल की इस ग्रीनरी (Bhopal Greenery) को अब अपनों की ही नजर लग गई है। भोपाल में जो ग्रीनरी है, उसमें एक-दो नहीं बल्कि 692 अतिक्रमण हो चुके हैं। इन अतिक्रमण के कारण हजारों पेड़ों को वहां सुखाकर काट दिया गया। ऐसा नहीं है कि नगर निगम को इसकी जानकारी नहीं है। सच तो ये है कि कई जगह तो इस ग्रीनरी के कत्ल का गुनहगार खुद निगम है और शायद इसलिए वह इस पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
हालत यह है कि शहर में जो पेड़ पौधे लगे हैं, वहां आए दिन ही नए अतिक्रमण होते जा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर रोज एक पौधा लगाकर लोगों को हरियाली के बढ़ावे की सीख देने में लगे हैं और सरकार की नाक के नीचे ही ग्रीनरी खत्म कर 692 अतिक्रमण हो गए और किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगी। द सूत्र ने सच्चाई का पता लगाने ई-3 अरेरा कालोनी फ्रैक्चर हॉस्पिटल से ई-5 अरेरा कालोनी बांसखेड़ी तक और 4-ईमली में पड़ताल की, क्योंकि नए भोपाल का यह वही इलाका हैं, जहां रसूखदार और वीआईपी रहते हैं, तब पूरे मामले का खुलासा हुआ।
राजधानी को हरा-भरा करने सीपीए ने रोपे थे 28 लाख पौधे: राजधानी परियोजना प्रशासन यानी सीपीए का गठन 1956 में हुआ, पर भोपाल को हराभरा करने के लिए सीपीए के अंतर्गत फॉरेस्ट विंग की स्थापना 1986 में की गई। फॉरेस्ट विंग का मुख्य उद्देश्य ही प्रदूषण मुक्त राजधानी के लिए भोपाल को हरियाली की चादर उढ़ाना था और इसके लिए सीपीए की फॉरेस्ट विंग ने 1986 से लेकर 2001 तक भोपाल के विभिन्न इलाकों में 28 लाख पौधे रोपे। खास बात यह थी कि इनमें से अधिकांश पेड़ भी बने। अब इन्हीं पेड़ों को हटाकर अतिक्रमण किया जा रहा है।
सीपीए ने कहां कितने पेड़ लगाए....
- गैस राहत योजना के तहत शहर के विभिन्न हिस्सों में 1,02000 पौधे लगाए।
केमिकल डालकर सुखा देते हैं पेड़: पर्यावरणविद राशिद नूर खान का कहना है कि शासन-प्रशासन खुद इन पेड़ों को हटाकर अतिक्रमण करने में लगा है, ऐसे में प्राइवेट अतिक्रमण की बात ही क्या करें। राशिद नूर खान के मुताबिक लोग केमिकल डालकर पहले पेड़ों को सुखाते हैं, फिर उन्हें काटकर जगह को समतल कर अपने उपयोग में ले लेते हैं। जिस तेजी से ग्रीनरी खत्म कर अतिक्रमण हो रहे हैं, यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भोपाल से ग्रीनरी गायब हो जाएगी।
दिलीप बिल्डकॉन, विधायक, मंत्री के बंगले के सामने ही अतिक्रमण: द सूत्र की पड़ताल में सामने आया कि भोपाल की हरियाली को खत्म करने वालों में कई रसूखदार शामिल हैं। ई-5 अरेरा कालोनी में दिलीप बिल्डकॉन का एक आलीशान बंगला है। बंगले के सामने सीपीए ने जिस जगह पर पेड़ लगाए थे, वहां अब लग्जरी कारें खड़ी है। इन कारों को खड़ा करने के लिए बाकायदा सीमेंट से प्लास्टर किया हुआ है और उसकी रखवाली के लिए 24 घंटे गार्ड तैनात रहता है। वहीं कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा के बंगले के सामने भी जहां पेड़ होने चाहिए, वहां शेड बनाकर गाड़ियां पार्क की जा रही हैं। 4 इमली में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बंगले के सामने भी पेड़ की जगह समतल मैदान दिखाई देता है, जहां माननीयों से मिलने आने वालों की गाड़ियां पार्क होती है। यहां अस्थाई शौचालय भी रख दिए गए हैं। वहीं 4 ईमली में ही ग्रीनरी को हटाकर एक गौशाला बना दी गई।
ऑक्सीजन छीनने का काम कर रहे नामी हॉस्पिटल: कोरोना की सेकेंड वेव में हम सभी ने ऑक्सीजन की कीमत को समझा, पर जिन हॉस्पिटल का काम ऑक्सीजन देना होता है, वही पेड़ों को हटाकर ऑक्सीजन छीनने का काम कर रहे हैं। जी हां, अतिक्रमण करने वालों में भोपाल के नामी हॉस्पिटल भी पीछे नहीं है। ई-3 अरेरा कालोनी में फ्रैक्चर हॉस्पिटल, गेस्ट्रोकेयर हॉस्पिटल, विजय आरोग्यम, डॉ. मयूर अग्रवाल क्लीनिक है। इन सभी के सामने पूरी ग्रीनरी ही खत्म कर पेवर ब्लॉक लगा दिए गए। यहां अब मरीजों के परिजन बैठकर आराम करते हैं। इस पूरे इलाके में ग्रीनरी का नामों निशान नहीं है। खास बात यह है कि गेस्ट्रोकेयर हॉस्पिटल के सामने जिस जगह शासकीय भूमि होने और उस पर अतिक्रमण करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी का बोर्ड लगा है, वहीं और उसके आसपास ही 100% अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके अलावा ई-5 अरेरा कॉलोनी रोडमास्टर साइकिल शोरूम के सामने भी गाड़ी खड़ी करने के लिए पेड़ों को काटकर जगह समतल कर दी गई है।
निगम के खुद के अतिक्रमण तो कार्रवाई कैसे हो: आपने एक मुहावरा सुना होगा... सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का...। इस मामले में यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है। दरअसल सीपीए की फॉरेस्ट विंग हरियाली पर हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर चुकी है, पर कार्रवाई का उसे अधिकार नहीं। इसलिए उसने पूरी सूची बनाकर नगर निगम कमिश्नर को भेज दी। अब अतिक्रमण निगम को हटाना है, पर वह ऐसा नहीं कर रहा। कारण ये कि वह खुद ही इस ग्रीनरी पर अतिक्रमण करके बैठा है। ई-5 अरेरा कॉलोनी रोडमास्टर बाइक शोरूम के पास निगम लोगों के बैठने के लिए जिस जगह चेयर लगाने वाला है, वहां पहले कभी पेड़ हुआ करते थे। वहीं साढ़े 10 नंबर चौराहे पर स्थित दुर्गादास राठौर की प्रतिमा को निगम ने चौराहे से हटाकर साइड में उसी जगह स्थापित किया, जहां ग्रीनरी होना थी। प्रतिमा के पास लोगों के बैठने के लिए बेंच लगाई गई, जिससे एक बड़ा हिस्सा ग्रीनरी का चला गया।
2030 तक नामो-निशां तक मिट जाएगा: भोपाल की हरियाली में आई बड़ी गिरावट का खुलासा 2016 में आई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS, बेंगलुरु) की रिपोर्ट भी बताती है। रिपोर्ट के अनुसार हालात नहीं सुधरते हैं, तो 2030 तक भोपाल की हरियाली सिकुड़कर महज 4.10% से कम रह जाएगी। पिछले दो दशक पहले हरियाली 66% थी और जो 2016 में घटकर 22% रह गई थी। उस समय संस्था ने भोपाल, अहमदाबाद, हैदराबाद और कोलकाता की हरियाली के आंकड़े सैटेलाइट सेंसर से जुटाए थे।
तापमान में 8 से 9 प्रतिशत का हो चुका है इजाफा: रिसर्च बताती है कि भोपाल के तापमान में पिछले 10 साल में आठ प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। इसकी बड़ी वजह जलस्रोतों पर हुए अतिक्रमण के चलते जलस्रोत में गिरावट और हरियाली में आई कमी ही है। साइंटिस्ट सुभाष सी पांडे ने भी इस संबंध में 2019 में एक रिसर्च की। जिसमें बीते 10 सालों में भोपाल के शहरीकरण और अतिक्रमण के नाम पर 5 लाख पेड़ काटे गए। इससे तापमान में 9 प्रतिशत का इजाफा हुआ। भेल और एकांत पार्क के पास पेड़ों की छाया है और राजधानी के अन्य इलाके जहां पेड़ नहीं हैं, वहां के तापमान में अंतर 2 से 4 डिग्री तक होता है।
एक नजीर ऐसी भी: रायसेन में 2 पेड़ काटने पर लगा था 1.2 करोड़ का जुर्माना: राजधानी में भले ही 692 जगहों से करीब 5 हजार पेड़ गायब होने से यहां बैठे अधिकारियों की कान में जूं तक न रेंगी हो, पर प्रदेश में ही एक ऐसा उदाहरण है, जहां कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की कीमत समझते हुए सिर्फ 2 पेड़ काटने पर करोड़ों का जुर्माना लगा दिया। रायसेन वन विभाग ने सिलवानी गांव के रहने वाले छोटेलाल भिलाला पर दो पेड़ काटने पर 28 अप्रैल 2021 को 1.2 करोड़ का जुर्माना लगाया था।
ये है पेड़ काटने की सजा: मध्य प्रदेश वृक्षों का परिरक्षण नगरीय क्षेत्र अधिनियम 2001 की धारा 18 के अनुसार बिना किसी वैध कारण के अनुमति लिए बिना यदि कोई पेड़ को गिराएगा या गिरवाएगा तो दोष सिद्ध होने पर उसे 2 साल की जेल हो सकती है। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे ने बताया कि एक पेड़ के मूल्यांकन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने स्पष्ट कर दिया है कि एक पेड़ से 1 साल में 74500 रुपए का लाभ मिलता है। यदि कोई पेड़ जब काटा जाता है तो उस समय उस पेड़ की उम्र से 74500 को गुणा करने पर जो राशि बनती है, नियमानुसार अब उतने का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। वहीं, भोपाल में पेड़ों को सुखाकर ना सिर्फ उन्हें वहां से हटाया गया बल्कि उस जमीन का अपने निजी काम के लिए अतिक्रमण कर उपयोग किया जा रहा है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने पर क्षेत्रफल के हिसाब से अलग-अलग जुर्माने का प्रावधान भी है।
एक पेड़ काटने के ये मायने: डायरेक्टर जनरल काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन के मुताबिक एक पेड़ 50 सालों की अवधि में करीब 52 लाख रुपये का लाभ देता है। इसमें से 11.97 लाख रुपये की ऑक्सीजन सप्लाई है। इसके अलावा वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने में 23.68 लाख रुपये का योगदान दिया जाता है। मिट्टी के कटान को रोकने में 19 लाख रुपये और वॉटर फिल्ट्रेशन में 4 लाख रुपए का योगदान देता है। इस तरह से देखें तो एक पेड़ अपनी कुल आयु में करीब 60 लाख रुपए का फायदा देता है।
सीपीए नगर निगम को सौंप चुका है सूची: सीपीए की फॉरेस्ट विंग के कंजरवेटर ऑफिसर एचएस मिश्रा से जब यह पूछा गया कि किन-किन रसूखदारों ने अतिक्रमण किया तो वह नाम बताने से तो बचते नजर आए पर उन्होंने यह जरूर कहा कि 692 अतिक्रमण की सूची वह नगर निगम कमीष्नर को दे चुके हैं। अब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नगर निगम को करना है। जब इस संबंध में नगर निगम भोपाल कमिश्नर वीएस कोलसानी से संपर्क किया तो संपर्क नहीं हो सका। मोबाइल पर मैसेज भी किए, पर कोई रिप्लाई नहीं आया।