भोपाल. अहमदाबाद बम ब्लास्ट केस में 49 में से 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से 6 आतंकी भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद है। जबकि एक उम्रकैद वाला आतंकी भी इसी जेल में बंद है। सभी आरोपियों का तालुल्क SIMI (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से है। सजा की सूचना मिलने के बाद भी ज्यादातर आतंकी नॉर्मल दिखाई दे रहे हैं। संभवत: ये पहला मौका है जब एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
मास्टरमाइंड भी इसी जेल में बंद: बम धमाकों का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी है। वह उज्जैन के महिदपुर गांव का रहने वाला है। उसके पिता क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रहे हैं। 5 साल पहले नागौरी को केंद्रीय जेल भोपाल में शिफ्ट किया गया था। वह जेल के अधिकारियों-कर्मचारियों को खुलेआम धमकी देता था कि तुम्हारी इतनी औकात नहीं है, जो हमें ऑर्डर करो। वह राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करता था। फांसी की सूचना मिलने के बाद भी नागौरी पहले जैसा नॉर्मल ही दिख रहा है। नागौरी ने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा कि संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता। हम कुरान का फैसला मानते हैं।
ये आतंकी है भोपाल जेल में बंद
1. सफदर नागौरी (फांसी)
2. कमरुद्दीन नागौरी (फांसी)
3. आमिल परवेज (फांसी)
4. शिवली (फांसी)
5. शादुली (फांसी)
6. हाफिज (फांसी)
7. अंसाब (उम्रकैद)
21 धमाके हुए थे: 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया। धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर केस चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 FIR, जबकि सूरत में 15 अन्य FIR दर्ज की गई थीं। कई स्थानों से जिंदा बम भी बरामद किए गए थे। सूरत पुलिस ने अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जो गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से फट नहीं पाए थे।
इस कांड के जवाब में ब्लास्ट: अहमदाबाद ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने किए थे। धमाकों से से कुछ देर पहले, टीवी चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसमें कथित तौर पर IM ने चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। पुलिस इस मामले के एक अन्य आरोपी यासीन भटकल पर नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था। दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ केस की शुरुआत हुई थी।