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अरुण तिवारी, Bhopal. मध्यप्रदेश की राजनीति भी अब मुफ्त का चंदन,घिस मेरे नंदन के सूत्र की तरफ आगे बढ़ चली है। राजनीति चमकाने और सत्ता पाने के लिए राजनीतिक दल टैक्स पेयर का पैसा मुफ्त बांटने का पैटर्न अपना रहे हैं। ये काम 2018 में कर्ज माफी पर सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस ने किया तो 2023 में प्रदेश की राजनीति में अपनी दखल बढ़ाने आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब का मुफ्त का फॉर्मूला एमपी में भी आजमाने वाली है। पंजाब की सफलता पर सवार आप को मुफ्त के पंख ही कामयाबी का सबसे आसान और मुफीद रास्ता नजर आता है। वहीं कांग्रेस कर्ज माफी रिटर्न लाकर 15 पांच लाख किसानों का कर्जा माफ करने का वचन देने वाली है। यहां पर बड़ा सवाल है कि क्या प्रदेश की माली हालत इसकी इजाजत देती है। इस पर सोचने के साथ समझने की भी दरकार है। आरबीआई की रिपोर्ट ने राज्यों को कुछ इसी तरह की हिदायत दी है।
आप का दिल्ली मॉडल
आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपना खाता खोलने के लिए दिल्ली मॉडल अपनाने जा रही है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में विराट सफलता हासिल की। फॉर्मूला एक ही रहा मुफ्त में बिजली-पानी बांटना। यही फॉर्मूला पार्टी मध्यप्रदेश में खाता खोलने के लिए अपनाने जा रही है। प्रदेश में पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त बांटने का प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा महिलाओं को फ्री बस यात्रा भी मेनीफेस्टो में शामिल हो सकता है। यानि इन सब योजनाओं पर टैक्स पेयर के हजारों करोड़ फूंकने का प्लान है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कमल विश्वकर्मा कहते हैं कि मप्र में भी दिल्ली मॉडल अपनाया जाएगा।
15 लाख किसानों का होगा कर्ज माफ
कांग्रेस के वचन पत्र में भी लोक लुभावन योजनाओं की भरमार होगी। कांग्रेस का सबसे बड़ा दांव किसान कर्ज माफी पार्ट टू रहेगा। कमलनाथ ने अपनी 15 महीने की सरकार में 12 हजार करोड़ रुपए कर्ज माफी में देकर वाहवाही बटोरी थी। अब पार्ट टू में 15 लाख किसानों की कर्ज माफी का वचन दिया जा रहा है। इस पर करीब बीस हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। इसके अलावा सरकार बनने पर 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने का वचन भी शामिल होगा। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने पर भी सरकार बड़ा फंड खर्च करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि पार्टी वचन पत्र में फिर कर्ज माफी लेकर आएगी।
बीजेपी मुफ्त बांट रही है 1 लाख करोड़
बीजेपी सरकार को लोकलुभावन से लोकप्रिय बने रहने का ऐसा फॉर्मूला हाथ लगा है जो उसको कुर्सी पर बनाए रखता है। सूबे के किसानों, गरीबों और अन्य वर्ग के कल्याण के लिए शिवराज सरकार सब्सिडी के रुप में सालाना एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का फंड खर्च करती है। किसानों को सालाना 90 हजार करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है। गरीबों को सरकार एक रुपए किलो गेहूं के साथ एक रुपए किलो चावल, एक रुपए किलो नमक भी मुहैया करा रही है। इसके अलावा दाल और शक्कर भी सस्ती दर पर दी जा रही है। प्रदेश में करीब पांच करोड़ लोगों को ये सस्ता राशन मिल रहा है। इसके अलावा लाड़ली लक्ष्मी योजना, जननी सुरक्षा, कन्यादान, लैपटॉप, साइकिल, मुफ्त पढ़ाई तक सरकार करा रही है। सरकार युवाओं को बैंकों के कर्ज की दर में भी सब्सिडी देकर रोजगार देने का ऐलान करती है।
हर व्यक्ति पर 41 हजार का कर्ज
मध्यप्रदेश का बजट 2022-23 के लिए कुल 2 लाख 79 हजार 237 करोड़ है और कर्ज 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपए। यानि बजट से ज्यादा मध्यप्रदेश के सिर पर कर्ज का बोझ चढ़ गया है। प्रदेश के हर व्यक्ति इस समय 41 हजार रुपए के कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल का कहना है कि सरकार भले ही नियमों के तहत कर्ज लेती है लेकिन लोकलुभावन वादों की राजनीति हावी होती जा रही है। सरकार जिस रफ्तार से कर्ज लेने लगी है, इस पर कंट्रोल जरूरी है। ऐसा नहीं किया और फ्री बांटने की स्ट्रेटजी नहीं बदली, तो भविष्य में श्रीलंका जैसे हालात हो जाएंगे।