Bhopal. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव(MP civic polls) लड़ रही है। हमेशा की तरह उसने मुस्लिम क्षेत्रो(Muslim areas) में फोकस किया है। ओवैसी की मुस्लिम राजनीति(Owaisi's Muslim Politics) हमेशा जगजाहिर रहा है। देश भर पार्टी मुस्लिम क्षेत्रों पर फोकस करती रही है। मप्र में भी एक रणनीति से निकाय चुनाव लड़ रही है। माना जा रहा है कि उसके कुछ स्थानीय नेता ‘दंगे और तनाव की पिच’ पर सियासी फसल काटना चाहते हैं। पार्टी ने खरगोन और बुरहानपुर(Khargone and Burhanpur) समेत 7 शहर ऐसे चुने हैं, जहां सांप्रदायिक माहौल ज्यादातर नाजुक रहता है। पार्टी दो शहरों में मेयर सहित 51 प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें से 49 मुस्लिम हैं। पार्टी से मैदान में उतरने वाले अधिकतर की उम्र 25 से 35 के बीच है। प्रदेश के लिए भी रणनीति मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही है। ऐसे में ओवैसी की राजनीति(Owaisi's politics) पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
संवेदनशील मालवा-निमाड़ पर फोकस
AIMIM ने सबसे अधिक प्रत्याशी संवेदनशील माने जाने वाले मालवा-निमाड़ में उतारे हैं। यहां के जिलों में पिछले डेढ़ साल में 14 से अधिक दंगे और कई बार तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। खरगोन का दंगा सबसे ताजा है। यही कारण है कि पार्टी ने वहां एक गैर मुस्लिम समेत 7 प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, अक्सर तनावग्रस्त रहने वाले खंडवा में पार्टी ने मेयर और 11 पार्षद पद पर प्रत्याशी उतारे हैं। उधर बुरहानपुर में मेयर के अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में सबसे अधिक 15 पार्षद प्रत्याशी उतारे हैं
मुस्लिम-दलित और आदिवासी भी
ओवैसी को पता है कि राजनीति में टिके रहना है, तो लगातार जनाधार बढ़ाते रहना होगा। यूपी में जहां वे मुस्लिमों के साथ दलितों को साथ लाने की कोशिश करते दिखे थे, तो एमपी में वे आदिवासियों की भी बात कर रहे हैं। जबलपुर में ओवैसी ने अपने संबोधन से इसे साफ भी कर दिया। बोले- अल्पसंख्यक समाज हो, आदिवासी हो या दलित हो, जब तक ये कौम अपना लीडर पैदा नहीं करेंगी, तब तक कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा- एमपी में मुस्लिमों, दलित व आदिवासियों के हाल सबके सामने हैं। ओवैसी की सियासी तस्वीर हर राज्य के हिसाब से अलग होती है।
कांग्रेस को लग रहा डर
एमपी निकाय चुनाव में AIMIM की एंट्री ने कांग्रेस प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी सबसे अधिक हमलावर भी कांग्रेस पर हैं।
दो मुस्लिम विधायक
मध्यप्रदेश विधानसभा में फिलहाल सिर्फ दो मुस्लिम विधायक आरिफ अकील और आरिफ मसूद हैं। दोनों भोपाल से कांग्रेस से जीते हैं। 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 और भाजपा ने एक मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, पर एक ही जीता। 2008 और 2003 में भी कांग्रेस ने 5-5 प्रत्याशी उतारे, पर आरिफ अकील ही जीत पाए थे। ओवैसी सोमवार को जबलपुर और मंगलवार को भोपाल में प्रत्याशियों का प्रचार करने पहुंचे थे। जबलपुर-भोपाल की सभाओं में ओवैसी ने अपनी लाइन क्लीयर कर दी। ओवैसी ने कहा-AIMIM को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि एक मुस्लिम लीडरशिप तैयार हो। कांग्रेस और भाजपा बताएं कि आखिर देश में गरीब और अशिक्षित मुस्लिम ही क्यों हैं?