Jabalpur. पुरानी रवायत है कि जब कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन आनन-फानन में बहुत गंभीरता बरतता है लेकिन समय बीतने के साथ-साथ गंभीरता और मुस्तैदी के किए गए सारी कसमें-सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं। हम बात कर रहे हैं जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल में हुए अग्निकांड की जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते 8 जिंदगियों का हवन हो गया था। इसके बाद चली आनन-फानन वाली प्रशासनिक भगदड़ में निजी अस्पतालों को टेंपरेरी फायर एनओसी लेने 3 सितंबर तक की मोहलत दी गई थी। करीब एक सैकड़ा आवेदनों के चलते समय सीमा बढ़ाकर 8 सिंतबर कर दी गई। लेकिन बावजूद इसके अधिकांश अस्पतालों का इलेक्ट्रिकल ऑडिट अभी तक नहीं हो पाया है। जिसके चलते अब निजी अस्पतालों पर मेहरबानी करते हुए प्रशासन ने 20 दिनों की अतिरिक्त मोहलत दे दी है।
जानकारी के मुताबिक इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट विभाग के पास बड़ी संख्या में आवेदन पहुंचे थे, जिसके बाद सीमित स्टाफ के साथ तय सीमा में सभी अस्पताल का निरीक्षण करना संभव नहीं था। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची तो निजी अस्पतालों को 20 दिन का अतिरिक्त समय दे दिया गया है। उम्मीद यही की जा रही है कि अब सभी अस्पताल अपना इलेक्ट्रिकल ऑडिट करा लेंगे और टेंपरेरी फायर एनओसी के लिए आवेदन कर सकेंगे। अब जरा सोचिए धूं-धूं कर जले अस्पताल में जब 8 जिंदगियां भस्म हुई थीं तब जिला प्रशासन किस प्रकार का रवैया अपनाए था और समय बीतने के साथ किस प्रकार का रवैया अपनाए है।
करीब 35 अस्पतालों का ही हुआ निरीक्षण
इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार करीब 90 आवेदन ऑडिट के लिए आए थे, जिसमें से अब तक करीब 35 अस्पतालों का निरीक्षण किया जा चुका है। विभाग की टीमें सभी मापदंड को देखते हुए ही निरीक्षण कर रही हैं, खासतौर पर अग्नि हादसे के बाद सभी पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है। जो कमियां सामने आ रही हैं, उन्हें पूरा करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। नोडल अधिकारी डॉ आदर्श विश्नोई की मानें तो ऑडिट प्रक्रिया में लग रहे समय को देखते हुए यह अतिरिक्त समय दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मोहलत आखिरी होगी, इसके बाद भी यदि टेंपरेरी फायर एनओसी न होने पर सीधे पंजीयन निरस्त होगा।