Balaghat. बालाघाट जिले में लगातार बारिश के बीच महाराष्ट्र के पुजारीटोला व काली सराय बांध का पानी छोड़े जाने से बाघ,देव व सोन नदी उफान पर आने से लांजी किरनापुर के आधा दर्जनों गांव में बाढ़ के हालात निर्मित हो गए। सतर्कता के बीच बारिश, बाढ़ और बचाव का क्रम जारी रहा। इधर भीमगढ़ बांध से पानी छोड़े जाने से वैनगंगा भी खतरे के निशान पर बहती रही। जिले में करीब 133 गांवों में आबादी बाढ़ की त्रासदी से जूझ रही है।
भारी बारिश से सबसे अधिक नुकसान लांजी क्षेत्र को झेलना पड़ा है। ग्राम उमरी के शंकरटोला के करीब 300 लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। इन्हें राहत कैंप में शरण लेनी पड़ी है।
किसानों को भी हुआ बड़ा नुकसान
इस बार की बारिश और नदियों के तटबंध तोड़ने के चलते जिले के किसानों की फसलें भी प्रभावित हुई हैं। 133 गांवों की बात की जाए तो यहां सारी की सारी फसल बाढ़ के पानी में डूब जाने की वजह से हजारों किसानों के सामने आजीविका का संकट आ खड़ा हुआ है। वहीं इनमें से अधिकांश की पूरी की पूरी गृहस्थी भी बाढ़ के पानी में बर्बाद हो चुकी है।
इधर दमोह में स्कूल तक पहुंच गया मगरमच्छ
दूसरी तरफ दमोह जिले में भी भारी बारिश के बाद अब जलीय जीव रहवासी इलाकों में पहुंचने लगे हैं। बुधवार की सुबह अचानक ही दमोह जनपद पंचायत के ग्राम अघरोटा में शासकीय माध्यमिक स्कूल के समीप करीब 4 फीट से बड़ा मगरमच्छ पहुंच गया जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया और अफरा-तफरी का माहौल हो गया। स्कूल लगने का समय होने के कारण बच्चों के आने का क्रम भी शुरू हो गया था। ग्रामीणों द्वारा इस बात की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी गई, लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे ।
वहीं दूसरी ओर मगर के लगातार ही यहां से वहां होने के कारण ग्रामीण दहशत में आ गए। कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य को जानकारी दिए जाने के बाद उनके द्वारा तत्काल ही इस मामले में वन विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किए जाने के बाद अधिकारी ग्राम अधरोटा के लिए रवाना हुए, लेकिन मगर के स्कूल के समीप होने के चलते छात्रों में दहशत का माहोल बना हुआ है। वहीं सतधरू डैम में लगातार बढ़ रहे पानी के कारण भी उसमें मौजूद मगरमच्छ आसपास के गांव में पहुंचने की संभावनाओं के चलते भी ग्रामीण दहशत में हैं।