सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद की आशंका से प्रशासन भयभीत ,कलेक्टर ने धारा 144 लगाई

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Dev Shrimali
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सम्राट  मिहिर भोज प्रतिमा विवाद की आशंका से प्रशासन भयभीत ,कलेक्टर ने धारा 144 लगाई


ग्वालियर.गुर्जर प्रतिहार वंश के बलशाली राजा मिहिर भोज की प्रतिमा का   स्थापना दिवस मनाने को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर अपने सजातीय मानते हैं और  लम्बे समय तक चली मांग के बदले यहाँ एक उनकी एक  भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है लेकिन अंचल के क्षत्रिय  समाज के लोग मिहिर भोज को क्षत्री मानते है।  गुर्जर समाज ने तीस अगस्त को प्रतिमा स्थापना समारोह मनाने की घोषणा की तो  क्षत्रिय समाज खुलकर इसके खिलाफ सामने आ गया जिसके चलते एक बार फिर शहर में तनाव बढ़ने के आसार बन गए है। इस बीच जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले में किसी भी तरह की रैली, सभा,भाषण और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर रोक लगा दी है । कलेक्टर ने यह आदेश सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी किया है।




अनुमति आवेदन रद्द



गुर्जर समाज को प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। समाज के लोकेंद्र सिंह गुर्जर ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर 30 सितंबर को स्थापना दिवस समारोह आयोजित करने के लिए एसडीएम झाँसीरोड के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था लेकिन एसडीएम चन्द्र भूषण प्रसाद ने हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की अनुमति देने से इनकार कर दिया।



सम्राट मिहिरभोज से संबंधित रैली, धरना, प्रदर्शन व सभाओं इत्यादि पर पूर्णत: प्रतिबंध

जिला दण्डाधिकारी द्वारा धारा-144 के तहत   उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में मिहिर भोज प्रतिमा से संबंधित प्रकरण के अंतिम निराकरण होने तक जिले की सीमा में सम्राट मिहिर भोज से संबंधित किसी भी प्रकार के आयोजन मसलन जुलूस, मौन जुलूस, सभा, आम सभा, रैली, धरना, प्रदर्शन व भोज इत्यादि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत इस आशय का प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है।

    जिला दण्डाधिकारी ने आदेश में स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार के कटआउट, बैनर, पोस्टर, फ्लैक्स, होर्डिंग व झण्डे आदि पर किसी भी धर्म, व्यक्ति, संप्रदाय, जाति या समुदाय के खिलाफ नारे या भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया गया हो, उनका प्रकाशन एवं निजी व सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन भी पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। किसी भी सार्वजनिक या निजी भवन या सम्पत्ति पर आपत्तिजनक भाषा अथवा भड़काऊ नारे लिखे जाना इस आदेश के तहत पूर्णत: प्रतिबंधित रहेंगे। किसी भी व्यक्ति, किसी भी वर्ग, धर्म एवं संप्रदाय विशेष संबंधी भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया मसलन फेसबुक, वॉट्सएप व ट्विटर इत्यादि पर अपलोड करना, फारवर्ड या शेयर किया जाना भी प्रतिबंधित रहेगा।

    फेसबुक एवं सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी के संज्ञान में यह बात आई थी कि सर्व क्षत्रिय समाज, ब्राम्हण समाज द्वारा 30 अगस्त को “इतिहास बचाओ एवं स्वाभिमान यात्रा” तथा गुर्जर सेना मध्यप्रदेश द्वारा भी 30 अगस्त को ही “मिहिरोत्सव” पर जन सभा एवं रैली का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों से जातिगत सदभाव बिगड़ सकता है और कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने की संभावना है।

प्रशासन के अनुसार  दो समुदायों के मध्य सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान लगाई गई पट्टिका में सम्राट मिहिरभोज के नाम को लेकर पूर्व में भी टकराव एवं विवाद की स्थिति बन चुकी है, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति बन गई थी। सम्राट मिहिर भोज के नाम एवं पट्टिका को लेकर प्रकरण अभी  उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस दौरान किसी भी सामाजिक संगठन द्वारा सम्राट मिहिर भोज के संबंध में रैली, जुलूस एवं सभा इत्यादि आयोजन किए जाने से सामाजिक मतभेद उत्पन्न होने और आपसी सदभाव बिगड़ने की प्रबल संभावना है। इसलिए समाज में शांति एवं सदभाव बनाए रखने के लिये ऐसे किसी भी आयोजन पर रोक लगाया जाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।




झांसी रोड तिराहे पर है प्रतिमा



 गुर्जर और क्षत्रिय समाज दोनों की ग्वालियर और चम्बल अंचल में बड़ी संख्या है। गुर्जर समाज लम्बे समय से ग्वालियर में गुर्जर प्रतिहार वंश के सम्राट मिहिरभोज की  प्रतिमा स्थापना की मांग करता आ रहा था इस मांग को मानते हुए ग्वालियर नगर निगम ने कुछ वर्ष पहले झांसी रोड तिराहे पर एक  प्रतिमा की स्थापना की गयी जिसमें गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा था इसके बाद क्षत्रिय समाज सक्रीय हुआ और लम्बे समय तक उनके विरोध के चलते प्रतिमा कपडे से ही लिपटी रही और उसका अनावरण नहीं हो सका। क्षत्रिय समाज को आपत्ति थी इसकी नामपट्टिका को लेकर थी।  उनका कहना है कि ग्वालियर नगर निगम परिषद ने जब प्रतिमा स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी उस  इसमें गुर्जर शब्द का उल्लेख नहीं था। विवाद तब तनावपूर्ण रूप ले गया जब कुछ अज्ञात लोगों ने उस नाम पट्टिका को तोड़ दिया जिसके खिलाफ गिरजर समाज सड़कों पर आ गया।  लम्बे तनाव के बाद यह मामला कोर्ट में पहुँच गया जहाँ इसका ऐतिहासिक दवा तय होना है।

 

दोनों  मिहिरभोज को अपना मानते हैं



दरअसल गुर्जर समाज मानता है कि सम्राट मिहिर भोज उनके थे और वे गुर्जर प्रतिहार वंश के रूप में इतिहास में भी उल्लिखित हैं लेकिन क्षत्रिय राजपूत समाज के लोगों का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज परिहार वंश के शासक थे।  इसको लेकर अंचल में तनाव भरा विवाद चलता आ रहा है।  इसको लेकर एक तरफ जहाँ गुर्जर समाज ने जगह -जगह पंचायतें की थीं वहीं राजपूत समाज भी सम्मेलन कर चुका है.

 

कोर्ट में पहुंचा मामला



इस मामले को लेकर फिर जिला कोर्ट में एक इस्तगासा दायर किया गया।  इसमें दोनों पक्षों की तरफ से अपने -अपने पक्ष के ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध कराये जा चुके है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। हालांकि मामला कोर्ट में जाने के बाद से यह मुद्दा थोड़ा शांत पड़ गया था लेकिन गुर्जर समाज ने 30 सितम्बर को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की तो यह विवाद फिर उभर आया। इससे नाराज क्षत्रिय संगठनों ने आज जिला प्रशासन  से भेंट कर एसपी ऑफिस में  बैठक की। इसमें उन्होंने कल का आयोजन रद्द करने की मांग की।  उनका कहना है कि मामला कोर्ट में लंबित है जब तक कोर्ट तय नहीं करता तब तक किसी को आयोजन न करने दिया जाए। इस आयोजन से शांति व्यवस्था भंग  हो सकती है। एक मामला उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है।



क्षत्रिय समाज ने की थी मांग



क्षत्रिय नेता कौशल सिंह कुशवाह ने बताया कि आज प्रशासन ने हमें बुलाया था जिसका मुद्दा कल होने वाला आयोजन था। मूर्ति स्थापना दिवस पर गुर्जर समाज द्वारा आयोजन करने पर क्षत्रिय समाज द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गयी है क्योंकि जितने भी आयोजन होते हैं वह जयंती ,निर्वाण दिवस या विशेष ऐतिहासिक घटना को लेकर होते है परन्तु जो कल का आयोजन है वह एक विवादित मूर्ति की स्थापना को लेकर है। इस तरह के विवादित मुद्दों को अगर भुनाया जाता है तो शहर तनावपूर्ण होगा।  कुशवाह का कहना है कि एक जागरूक समाज होने के नाते हमने मांग की कि न्यायालय का निर्णय  होने का इंतज़ार करें। तब तक किसी भी विवादित आयोजन या पोस्ट डालने से रोका जाए।  समाज ने चेताया भी है।



प्रशासन ने साधी चुप्पी



इस मामले को लेकर फिलहाल पुलिस और प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है और गुपचुप तरीके से गुर्जर नेताओं से भी बात कर आयोजन को टालने के प्रयास में जुटा है लेकिन सबके चेहरे पर तनाव है क्योंकि अगर दोनों समाजों में सामंजस्य नहीं बैठा तो मामला चिंताजनक हो सकता है।


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