Narsinghpur. बीजेपी (BJP) के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल (Prahlad Singh Patel) ने 7 जून को 30 साल पुराने मतभेद भुलाकर नरसिंहपुर (Narsinghpur) के परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे। यहां उन्होंने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Sraswati) के दर्शन किए। केंद्रीय मंत्री के साथ उनके पिता मुलायम सिंह पटेल, छोटे भाई विधायक जालम सिंह पटेल, पत्नी और बेटी भी दर्शन करने पहुंची थीं। प्रहलाद के परिजन के अलावा कांग्रेस विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री की शंकराचार्य से मुलाकात की वजह
इस मुलाकात के वीडियो और फोटो वायरल होते ही मध्य प्रदेश में तमाम राजनीतिक कयास भी लगाए जाने लगे हैं। हालांकि प्रह्लाद पटेल ने कहा है कि वे महाराजजी की अस्वस्थता पर उन्हें सपरिवार देखने आए थे। तीस साल पहले कोई ऐसा साल नहीं होता था, जब वे यहां ना आते हों। उनके पिता शंकराचार्य के दीक्षित शिष्य हैं और उन्होंने (प्रहलाद पटेल) भी दीक्षा ली थी।
आदरणीय दण्डीस्वामी सदानंद सरस्वती से सपरिवार भेंट आनंददायक रही ।पिताजी से उनकी भेंटवार्ता ने ५दशक पुरानी स्मृतियों को ताज़ा कर दिया @ShankaracharyaJ @sri_tirtha @DandiSwami @svaamishreeh @jalamsing_patel @NPPrajapati1 @patel_pushplata @Monubhaiya999 @pratigyasinghp @PrabalPatel4 pic.twitter.com/NeBqd10mVs
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) June 7, 2022
प्रहलाद इससे पहले कब शंकराचार्य से मिले थे?
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने परमहंसी गंगा आश्रम, झोतेश्वर (श्रीधाम) में मां त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर में सपरिवार दर्शन-पूजन भी किया। प्रहलाद ने खुद बताया कि 1992 में आखिरी बार महाराजश्री से मुलाकात हुई थी। कहा जाता है कि प्रहलाद पटेल का झुकाव स्वरूपानंद की तरफ था। स्वामी स्वरूपानंद के कथित तौर पर नरबलि कांड में जेल जाने के बाद उनकी आश्रम से दूरी बढ़ती गई। माना जाता है कि इस मामले में स्वामी स्वरूपानंद के दबाव में नरबलि कांड की सीबीआई जांच हुई थी। सीबीआई (CBI) ने स्वामी के खिलाफ चार्जशीट पेश करते हुए कार्रवाई शुरू की थी। हालांकि, वे हाईकोर्ट से बरी हो गए थे।
राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि प्रहलाद पटेल और उनके भाई जालम सिंह पटेल को फिलहाल बीजेपी में ज्यादा अहमियत नहीं मिल रही। उनके इलाके में शंकराचार्य का असर है। इसी वजह से गुरु-शिष्य के रिश्तों के आड़े आ रही 30 साल पुरानी दीवार के दरकने के संकेत मिल रहे है।
दिग्विजय का ट्वीट
धर्म में कोई राजनीति नहीं होती।
यह केवल हर व्यक्ति की आस्था पर निर्भर करता है।
सभी धर्मों का सम्मान करना ही भारतीय संस्कृति है।
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— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 7, 2022