BHOPAL. शुक्रवार की शाम 6 बजे से राजधानी भोपाल में तेज बारिश हो रही है। वहीं बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में लगातार बारिश का दौर जारी है। इसके चलते तालाब का जलस्तर बढ़ गया। जिसके बाद शनिवार को भदभदा डेम के दो गेट खोलने पड़े। गेट खुलने का यह नजारा देखने के लिए डेम के करीब हजारों सैलानी इकट्ठा हो गए। बता दें कि, साल 2016 के बाद पहला मौका है जब जुलाई में भदभदा के गेट खोलने पड़े हैं।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, शनिवार को सुबह 8:30 बजे से सुबह 11:30 बजे तक तीन घंटे में 30 मिलीमीटर वर्षा हुई। इसके कारण शहर का बड़ा तालाब छलक गया। जिसके चलते भदभदा के गेट भी खोलना पड़े। बता दें कि भोपाल में अभी तक औसत से 86 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।
सावन की फुहारों से छलका राजधानी का बड़ा तालाब
भदभदा डेम के 2 गेट खोले गए
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— TheSootr (@TheSootr) July 23, 2022
2013 में भी 23 जुलाई को खोले गए थे गेट
इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि साल 2013 में भी 23 जुलाई को ही भदभदा के गेट खोलने की जरूरत पड़ी थी। वहीं भदभदा का गेट खुलने से केरवा, कोलार और कलियासोत डैम का वॉटर लेवल बढ़ गया है। बड़े तालाब का फुल टैंक लेवल 1666.80 फीट है।
केरवा-कलियासोत में बढ़ा पानी का लेवल
कलियासोत डैम में अभी तक 1644 फीट भर चुका है। कलियासोत का फुल टैंक लेवल 1659 फीट है। वहीं भोपाल के केरवा डैम का लेवल 1673 फीट है। इसमें अभी तक 1666.20 फीट पानी आ चुका है। छह फीट भरने के बाद केरवा के गेट ऑटोमेटिक खुल जाएंगे।
कोलार डैम में भी पानी बढ़ रहा
भोपाल के पास मौजूद कोलार डैम में भी पानी लगातार आ रहा है। बता दें कि कोलार डैम से ही राजधानी भोपाल के तकरीबन 50% हिस्से में पानी की आपूर्ति की जाती है। हालांकि, यह अभी 23 फीट खाली है।
कब-कब खुले भदभदा के गेट
2013 में 23 जुलाई को ये गेट खोले गए थे। पहले वर्ष 2002, 2003, 2006, 1999 और 1998, 1996 में भी भदभदा के गेट खुले गए थे। साल 2006 में तो भारी बारिश के चलते 13-14 अगस्त की रात को भदभदा डेम के गेट खुले थे। उस दौरान 23 बार गेट खोलने की स्थिति बनी थी।
मप्र में 20 फीसदी ज्यादा बारिश
इस बार मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश हुई है, जिससे किसान भी खुश नजर आ रहे हैं। प्रदेश में अभी तक औसत से 20 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है। वहीं मौसम विज्ञानियों के मुताबिक 16 जिलों में हैवी रेन फॉल हुआ है। इसके अलावा प्रदेश के तीन जिले भिंड, राजगढ और विदिशा में अतिवृष्टि हुई है।