Bhopal. लोगों के बीच एक आम कहावत है कि पुलिस सब कुछ होने के बाद घटना स्थल पर पहुंचती है। फिल्मी पुलिस ने इस छवि को और मजबूत किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पुलिस की छवि पर मुहर लगा दी। शाह ने पुलिस की इस छवि पर नाराजगी जताते हुए कुछ नसीहत भी दी। CAPT में अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए अमित शाह ने दो टूक कहा कि हमेशा ऐसा आरोप लगता है पुलिस या तो नो एक्शन में रहती है या फिर एक्सट्रीम एक्शन में।
शाह की बात से मतलब साफ है कि या तो पुलिस मूक दर्शक रहती है या फिर हाथ-पैर तोड़ती नजर आती है। शाह ने साफ कहा कि इन दोनों भूमिकाओं से हटकर पुलिस को जस्ट एक्शन में आना चाहिए। यानी पुलिस की कार्यवाही तत्काल और प्रभावी हो। इससे आगे बढ़ते हुए अमित शाह ने कहा कि यह तब होगा जब व्यक्ति सिस्टम पर निर्भर होगा, न कि सिस्टम आदमी पर निर्भर करे।
अपराधी आधुनिक, पुलिस भी बने मॉडर्न
अमित शाह ने कहा कि आजकल अपराधी आधुनिक हो गए हैं। पुलिस को भी मॉर्डन बनना होगा ताकि अपराधियों से दो कदम आगे रहे। उन्होंने भोपाल में फोरेंसिक संबंधी यूनिवर्सिटी बनाने की बात भी कही। शाह ने कहा कि बीट सिस्टम,पुलिस गश्त, हॉक फोर्स जैसी व्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना होगा। पुलिस को दूसरे राज्यों से संवाद स्थापित करना चाहिए ताकि अन्तर्राज्यीय अपराधों की रोकथाम की जा सके।
अमित शाह का भोपाल दौरा खास क्यों?
मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर है। मध्य प्रदेश की 87 सीटों पर आदिवासियों या अनुसूचित जातियों का असर है। शाह ने भोपाल दौरे में तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन को संबोधित किया। इससे पहले वे सितंबर 2021 में जबलपुर में भी एक आदिवासी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसके बाद 15 अक्टूबर 2021 को नरेंद्र मोदी भोपाल आए थे और जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। साफ है कि अगले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर है।