MP में पेंशन घोटाले में पिक्चर अभी बाकी, हाईकोर्ट में लग चुकी है एक और याचिका; आदेश हुए तो फिर बढ़ेंगी कैलाश-रमेश की मुश्किलें

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The Sootr CG
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MP में पेंशन घोटाले में पिक्चर अभी बाकी, हाईकोर्ट में लग चुकी है एक और याचिका; आदेश हुए तो फिर बढ़ेंगी कैलाश-रमेश की मुश्किलें

संजय गुप्ता, INDORE. 17 साल पुराने पेंशन घोटाले के परिवाद में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला की राहत अभी आधी-अधूरी ही है। इस मामले में अभियोजन की मंजूरी नहीं मिलने के चलते विशेष न्यायधीश मुकेश नाथ ने 17 साल से चल रहे इंतजार के चलते फिलहाल ये कहते हुए कार्रवाई से इंकार कर दिया है कि अनंतकाल ये करना निरर्थक है। मंजूरी के अभाव में ये निर्देश दिए जाते हैं कि जिसे मंजूरी प्राप्त होगी, परिवादी कार्रवाई के लिए फिर आ सकता है।



औपचारिक तौर पर हो मामले का पटाक्षेप



फरियादी और कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को भी शायद ये लग रहा था कि मामला लंबा खिंच रहा है, इसके चलते दस दिन पहले ही उनकी ओर से वकील विभोर खंडेलवाल ने हाईकोर्ट इंदौर में राज्य सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी है। इसमें अभियोजन की मंजूरी को लेकर राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है जिससे कि सरकार अभियोजन की मंजूरी देकर या मांग को निरस्त कर मामले को औपचारिक तौर पर पटाक्षेप करें। इस तरह इंतजार में 17 साल से सभी पक्ष न्याय के इंतजार में हैं। यदि ये याचिका मंजूर कर हाईकोर्ट सरकार को निर्देश जारी कर देता है तो फिर से मामला जिला कोर्ट के पास चला जाएगा और इसकी औपचारिक सुनवाई फिर से हो सकेगी।



इन्हें बनाया गया है पेंशन घोटाले में पार्टी



परिवाद में भ्रष्टाचार निवारण एक्ट के तहत तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उमा शशि शर्मा, ललित पोरवाल, शंकर लालवानी, तत्कालीन निगमायुक्त संजय शुक्ला, नितेश व्यास और वीके जैन सहित 15 लोगों को पार्टी बनाया गया था। आरोप था का अपात्रों को करीबियों, रिश्तेदारों को पेंशन बांटी गई है।



क्या है पेंशन घोटाला



पेंशन घोटाला साल 2000 से 2005 के बीच हुआ। इसमें वृद्धावस्था पेंशन मृतकों के नाम पर डाली गई थी। तत्कालीन संभागायुक्त अशोक दास ने जांच की थी और इसमें गड़बड़ी मिली। हजारों हितग्राहियों का पता नहीं चला। 8 फरवरी 2008 को जांच के लिए जस्टिस एनके जैन की अध्यक्षता में आयोग बना, आयोग ने सितंबर 2012 में एक हजार पेज की रिपोर्ट दी। इसमें पाया गया कि प्रदेश में करीब सवा लाख लोग जो अपात्र थे उन्हें पेंशन दी गई। बाद में संस्था ने 17 लाख रुपए लौटाए भी थे। राज्य सरकार ने बीपीएल परिवारों के बुजुर्ग महिला, पुरुषों के लिए 500 रुपए प्रति माह पेंशन देने योजना शुरू की थी। इस घोटाले में कुल 33 करोड़ की राशि की गफलत के आरोप थे।



मेंदोला की समिति ने बांटी थी पेंशन



नंदानगर सहकारी साख संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष रमेश मेंदोला थे। इसी समिति के पास पेंशन वितरण का काम था। बाद में सरकार ने तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई। इसमें अनूप मिश्रा और नरोत्तम मिश्रा भी थे लेकिन कुछ नहीं हुआ।


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