खजुराहो नृत्य महोत्सव में कला का संगम, 8 देश के राजदूत शामिल, मंदिरों का महत्व

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Aashish Vishwakarma
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खजुराहो नृत्य महोत्सव में कला का संगम, 8 देश के राजदूत शामिल, मंदिरों का महत्व

छतरपुर (हिमांशु अग्रवाल). 48वें खजुराहो नृत्य समारोह का आगाज हो गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत में पंडित बिरजू महाराज को उनके शिष्यों ने कत्थक नृत्य से श्रद्धांजली दी। कोरोना काल के बाद ऐसा पहला मौका है। जब नृत्य महोत्सव का आयोजन अपने मूलरूप में हो रहा है। पूरी क्षमता के साथ यहां दर्शक भी पहुंचे। इसके साथ ही आयोजन को देखने के लिए आठ देशों के राजदूत कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा और छतरपुर जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा मौजूद रहे।



अर्थ से अध्यात्म का संगम: राज्यपाल पटेल ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य भगवान की आराधना और भावों की अभिव्यक्ति है, खजुराहो में 80 मंदिरों में से 20 मंदिर बचे हैं जो भारतीय दर्शन का प्रतीक हैं। उषा ठाकुर ने शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केन्द्र खजुराहो में स्थापित करने का ऐलान किया है। वहीं, ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि संस्कृति विभाग ने खजुराहो नृत्य समारोह के आयोजन को नई दिशा दी है। अर्थ के साथ अध्यात्म को जोड़ने का उदाहरण केवल भारत में ही मिलता है। वी.डी. शर्मा ने बताया कि खजुराहो विश्व के पटल पर उभरने वाला क्षेत्र है। यहां कला संस्कृति, अध्यातम का अनूठा संगम है। 



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कलाकारों को सम्मान: खजुराहो नृत्य महोत्सव में 8 देश के राजदूत शामिल हुए। कोरिया, अर्जेंटिना, वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलेंड, मलेशिया, थाईलेंड और लाओ के राजदूत और उच्चायुक्त कार्यक्रम में शामिल हुए। वहीं, कलाकारों को इस समारोह में सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय कालिदास सम्मान, राज्य रूपंकर कला पुरस्कार, देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार, दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार, जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार, विष्णु चिंचालकर पुरस्कार, रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार, राम मनोहर सिन्हा पुरस्कार सागर प्रदान किए गए। महोत्सव का आयोजन 20 से 26 फरवरी तक होगा।




— Jansampark MP (@JansamparkMP) February 20, 2022



खजुराहो का महत्व: खजुराहो चंदेल कालीन मंदिरों के लिए विख्यात है। यहां के मंदिरों का निर्माण नागरशैली में हुआ है। सबसे प्रसिद्ध मंदिर कंडारिया महादेव है। 11वीं शताब्दी में इसे चंदेल शासक धंग ने बनवाया था। इन मंदिरों को ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी टीएस वर्ट ने खोजा था। ये मंदिर खजूर के पेड़ों से ढके पाए गए थे। इसलिए इनका नाम खजुराहो हुआ। खजुराहो की ज्यादातर मूर्तियों में प्रेमक्रिया का चित्रण मिलता है। इस मंदिर प्रांगण में लगभग 85 मंदिर बनवाए गए थे। इनमें से 26 तो अब भी अच्छे हाल में हैं। यहां हिंदू धर्म के अलावा जैन तीर्थंकरों के भी मशहूर मंदिर हैं। इसके प्रांगण में बने महत्वपूर्ण मंदिर हैं, कंदरिया महादेव मंदिर, चौसठ योगिनी का मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर आदि


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