BHOPAL. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 11 नगर निगमों के चुनाव (Municipal Corporation Election) के लिए बुधवार (06 जुलाई) को वोटिंग हुई। नगर सरकार के गठन के लिए मतदान (Voting) शांतिपूर्ण रहा। लेकिन मतदान का प्रतिशत राजनीतिक दलों को चिंता में डाल सकता है। इसकी वजह इस बार हर नगर निगम में पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। इससे किस पार्टी को फायदा होगा और किसे नुकसान यह तो नतीजे सामने आने के बाद ही पता चलेगा
भोपाल-
भोपाल में 50.68 फीसदी वोटिंग ने उम्मीदवारों को किया निराश
प्रदेश में शहर सरकार चुनने के लिए 11 शहरों में सुबह 7 बजे से शाम पांच बजे तक वोटिंग हुई। लेकिन इस बार आम वोटर्स में उत्साह नजर नहीं आया। भोपाल के मतदाताओं में वोटिंग को लेकर कोई दिलचस्पी नजर नहीं आई। और शाम पांच बजे तक केवल 50.68 फीसदी मतदान हुआ। 2015 के नगर निगम चुनाव में भी भोपाल में सबसे कम 56 फीसदी वोटिंग हुई थी। लेकिन इसबार वोटिंग का और ज्यादा कम प्रतिशत उम्मीदवारों को निराश कर गया। विधानसभा वार वोटिंग का आंकड़ा देखें तो मतदान के आंकड़े कुछ संकेत देते हुए नजर आ रहे हैं।
भोपाल में विधानसभा वार वोटिंग के मायने
भोपाल नगर निगम क्षेत्र में आने वाली छह विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा वोटिंग उत्तर विधानसभा क्षेत्र (लगभग 57 फीसदी) में हुई है। इस समय इस सीट पर कांग्रेस के आरिफ अकील विधायक है और ये मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। ऐसे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस की उम्मीदवार विभा पटेल को फायदा हो सकता है। कांग्रेस के खाते में दो और सीटें हैं, भोपाल दक्षिण पश्चिम और भोपाल मध्य। भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर कुल 49.42 फीसदी मतदान हुआ वहीं भोपाल मध्य विधानसभा सीट पर कुल 47.75 फीसदी मतदान हुआ। दूसरी तरफ विधानसभा की जो तीन सीटें, नरेला, हुजूर और गोविंदपुरा बीजेपी के खाते में है वहां गोविंदपुरा को छोड़कर मतदान का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा रहा। गोविंदपुरा विधानसभा सीट पर कुल 46.65 फीसदी मतदान हुआ। वहीं हुजूर में 51 फीसदी के करीब मतदान हुआ और नरेला में 51.95 फीसदी मतदान हुआ ।
इंदौर-
इंदौर में मौसम साफ,मतदान का माहौल सुस्त रहा
बुधवार को मतदान के दिन इंदौर शहर का मौसम साफ रहा, खुला मौसम होने के बावजूद मतदान को लेकर माहौल सुस्त ही नजर आया। इंदौर में मतदान का प्रतिशत 60.88 फीसदी रहा जबकि पिछली बार यानी 2015 में 62.35 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसबार जिस तरीके से वोटिंग हुई है और माहौल नजर आया है उससे 17 जुलाई को चौंकाने वाला नतीजा आने की उम्मीद जताई जा रही है।
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में उत्साह, पॉश इलाके में सुस्ती
मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में वोटिंग को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। विधानसभा 5 के श्रीनगर कांकड़, अनूप नगर, मूसाखेड़ी, आजाद नगर, खजराना, मूसाखेड़ी आजाद नगर, विधानसभा 3 के दौलतगंज, हाथीपाला, रानीपुरा और विधानसभा- 1 के चंदन नगर, नंदन नगर, ग्रीन पार्क कॉलोनी के पोलिंग बूथों पर दोपहर बाद मतदान में काफी तेजी देखी गई। महिला वोटर्स ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। दूसरी तरफ पॉश एरिया और रेसीडेंसी जैसे इलाकों में मतदान काफी धीमा रहा
4 सीटों पर 60 फीसदी से ज्यादा, 2 सीटों पर 60 से कम मतदान
सबसे ज्यादा वोटिंग विधायक संजय शुक्ला की विधानसभा-1 में 63.88 फीसदी हुई। विधायक रमेश मेंदोला के विधानसभा-2 में 58.31 फीसदी, विधायक आकाश विजयवर्गीय की विधानसभा-3 में 61.65 फीसदी, विधायक मालिनी गौड के विधानसभा-4 में 63.79 फीसदी, विधायक महेंद्र हार्डिया की विधानसभा-5 में 58.06 प्रतिशत और विधायक जीतू पटवारी की राऊ में 60.88 प्रतिशत मतदान हुआ।
ग्वालियर-
ग्वालियर में केवल 49 फीसदी मतदान
ग्वालियर में जो मतदान का प्रतिशत रहा है वो सभी 11 नगर निगम में सबसे कम है। ग्वालियर के मतदाताओं में वोटिंग को लेकर जरा भी उत्साह नजर नहीं आया दोपहर 1 बजे तक 39 फीसदी मतदान था, दोपहर में बारिश हुई इसके बाद मौसम सुहाना होने पर लोग घरों से बाहर निकले और करीब 50 फीसदी तक वोटिंग हुई लेकिन ये पिछली बार के मुकाबले करीब 7 से 8 फीसदी कम है। पिछले चुनाव में ग्वालियर में 58 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था।
मुस्लिम, दलित, बस्तियों में ज्यादा वोटिंग
ग्वालियर में कम वोटिंग के चलते बीजेपी ने एक घंटा वोटिंग का समय बढ़ाने की मांग की थी लेकिन इस मांग को माना नहीं गया। ग्वालियर की दलित ,मुस्लिम और पिछड़ी बस्तियों में ज्यादा वोट पड़े। इसके इतर बीजेपी का जो परंपरागत वोटबैंक है जिसमें ब्राह्मण, कायस्थ, सिंधी, पंजाबी, मराठी और व्यापारी वर्ग इस वर्ग में वोटिंग को लेकर उत्साह नजर नहीं आया। वोटिंग के पैटर्न को देखते हुए इसबार 17 जुलाई को चौंकाने वाले नतीजे आने की संभावना मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी ने भी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया।
सतना-
पिछले बार के मुकाबले 5 फीसदी कम मतदान
सतना में पिछली बार 68 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन इसबार सतना के मतदाता भी ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आए। शुरूआत में वोटिंग की रफ्तार बेहद धीमी रही। शाम पांच बजे तक यहां 63 फीसदी मतदान हुआ। यानी पिछली बार के मुकाबले 5 फीसदी कम वोटिंग हुई
बीएसपी बिगाड़ेगी खेल !
जानकारों की माने तो बीएसपी का जो परंपरागत वोटबैंक है उसने वोटिंग में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन बीजेपी के पारंपारिक वोटर्स में उत्साह नजर नहीं आया। सतना में बीजेपी के योगेश ताम्रकार, कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह और बीएसपी के सईद अहमद के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। जानकारों के मुताबिक बीएसपी के आने से कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए मुश्किलें पैदा हुई। क्योंकि बीएसपी को न केवल उसके परंपरागत वोट बैंक का साथ मिला है बल्कि अन्य वर्ग का भी रूझान रहा है ऐसे में जानकारों की राय में सतना में मुकाबला कांटे की होने की पूरी संभावना है।
सिंगरौली-
12 फीसदी कम वोटिंग
सिंगरौली में 52 फीसदी मतदान हुआ जबकि 2015 के चुनाव में वोटिंग परसेंट 64 फीसदी रहा था। यानी 12 परसेंट वोटिंग कम हुई है। जानकारों की राय में ये बदलाव का संकेत है
चतुष्कोणीय मुकाबला
सिंगरौली में बीजेपी के चन्द्रप्रताप विश्वकर्मा, 'आप' की रानी अग्रवाल, कांग्रेस के अरविंद चंदेल और बसपा के रामनिवास साहू के बीच मुकाबला है। ऐसे में चारों पार्टियों में वोटों का बंटवारा हुआ है। ऐसे में जानकारों की राय में सिंगरौली के नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं और जो नतीजे आएंगे उसमें जीत-हार का अंतर बेहद मामूली रहने की संभावना है।
उज्जैन-
कम मतदान, गड़बड़ा गए समीकरण
उज्जैन में भी पिछले बार के मुकाबले बेहद कम मतदान हुआ। 2015 के चुनाव में उज्जैन के मतदाताओं ने उत्साह के साथ वोटिंग में हिस्सा लिया था और मतदान प्रतिशत 78 फीसदी के करीब रहा था लेकिन इसबार ये केवल 59 फीसदी रहा। जबकि उज्जैन में भी मौसम साफ रहा लेकिन मतदाताओं में उत्साह नजर नहीं आया।
वोटर का मिजाज, चिंता का सबब
जानकारों की माने तो उज्जैन का वोटर ज्यादा कन्फ्यूज नहीं रहा। उज्जैन में जितने प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसे देखते हुए वोटर ने तय कर लिया था कि किसे वोट देना है। लेकिन यहां वोटर का मिजाज बदलता रहता है क्योंकि कांग्रेस पहले बीजेपी को यहां पटखनी दे चुकी है। ऐसे में बीजेपी के मुकेश टटवाल और कांग्रेस के महेश परमार के बीच मुकाबला कांटे का रहेगा ऐसी संभावना जताई जा रही है।
सागर-
5 फीसदी कम मतदान
सागर में पिछली बार 65 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन इसबार केवल 60 फीसदी मतदान हुआ। वोटरों ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। सागर में कांग्रेस की निधि जैन और बीजेपी की संगीता तिवारी के बीच सीधा मुकाबला है।
मुस्लिम और जैन बाहुल्य इलाकों में उत्साह
सागर के मुस्लिम और जैन बाहुल्य इलाकों में वोटरों में उत्साह नजर आया। यहां लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया जो कांग्रेस की निधि जैन को फायदा पहुंचा सकता है। वहीं बीजेपी के परंपरागत ब्राह्मण और वैश्य वर्ग के वोटरों में उतना उत्साह नजर नहीं आया। सागर जैन समुदाय बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के सियासी समीकरण ऐसे है कि जो पार्टी जैन वर्ग के उम्मीदवार को टिकट देती है उसके जीतने की संभावना ज्यादा होती है।
जबलपुर-
पिछली बार के मुकाबले 2 फीसदी कम मतदान
जबलपुर में पिछली बार करीब 62 फीसदी मतदान हुआ था और इसबार 60 फीसदी मतदान हुआ। जबलपुर में मुख्य मुकाबला बीजेपी के जितेंद्र जामदार और कांग्रेस के जगत बहादुर अन्नू के बीच है। पिछले कई सालों से बीजेपी का ही मेयर काबिज है। बीजेपी ने यहां धुआंधार तरीके से प्रचार किया है तो कांग्रेस ने भी प्रचार में कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में जानकारों की राय में जबलपुर का वोटिंग ट्रैंड के हिसाब से इसबार मुकाबला कांटे का नजर आ सकता है।