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GWALIOR News. ग्वालियर नगर निगम के लिए छह जुलाई को हुए मतदान ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ाकर रख दी है। एक तरफ तो प्रदेश में सबसे कम ग्वालियर में हुए मतदान ने सबको बेचैन कर दिया है। ख़ास चिंता बीजेपी में देखी जा रही है क्योंकि ग्वालियर शहर बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यहाँ उन इलाकों में हुई वोटिंग ने बीजेपी को चिंता में डाल दिया है जहाँ बीजेपी का सबसे ज्यादा बेस है। माना जा रहा है कि पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने काफी वोट खींचे हैं। अब सब अपना -अपना गणित लगाने में बैठे हैं कि आपने उन्हें कितना नुक्सान किया है।
आप ने दिखाया दम
आम आदमी पार्टी ने ग्वालियर में पहली बार अपने को नगर निगम चुनावों में उतारा। पार्टी ने मेयर पद पर रूचि गुप्ता को मैदान में उतारा था और बड़ी संख्या में वार्डों में भी अपने प्रत्याशियों को लड़ाया। रूचि गुप्ता कुछ महीने पहले तक कांग्रेस में थीं और कमलनाथ ने उन्हें महिला कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बनाया था लेकिन महिला नेत्री रश्मि पंवार शर्मा उन्हें पसंद नहीं करतीं थी जिसके चलते टकराव शुरू हो गया और उन्हें महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर प्रदेश महामंत्री बना दिया गया लेकिन इसके बाद उनका मन ऊब गया और फिर उन्होंने कांग्रेस से दूरिया बढ़ा लीं और आप ने उनसे सम्पर्क कर लिया और उन्हें मेयर पद का प्रत्याशी बना दिया। रूचि ने अपना प्रचार अभियान बहुत ही प्रभावी ढंग से चलाया। वे उच्च शिक्षित और युवा महिला थी जिससे युवाओं में उन्होंने प्रभाव छोड़ा। हालाँकि प्रचार अभियान के दौरान आप नजर नहीं आ रही थी लेकिन मतदान के दिन बूथों पर उसके पक्ष में पड़े मतों ने सबको चौंका दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने बताया कि उन्होंने आप को वोट दिया। दिल्ली में केजरीवाल की सरकार के कामकाज से प्रभावित लोगों की संख्या बहुत थी।
किसको कितना नुकसान
हालाँकि अभी भी माना जा रहा है कि मेयर पद पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला ही होगा लेकिन यह बात सब स्वीकार कर रहे हैं कि इस बार आप बहुत वोट काट रही है। हालाँकि अब तक के रुझानों से पता चलता है कि आप ने दोनों ही दलों के वोट काटे हैं। उसे सभी जातियों और धर्म से जुड़े लोगों ने वोट दिए है लेकिन बड़ा नुक्सान बीजेपी का ही माना जा रहा है क्योंकि लम्बे समय से लेकर राज्य और देश में उसी की सरकार है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दिल्ली से लेकर पंजाब तक आप ने बीजेपी के ही वोट को काटा है। ग्वालियर में भी बड़ी संख्या में मध्यमवर्ग ने आप को वोट दिए है जो बीजेपी के परम्परागत वोटर माने जाते है। वे मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान है लेकिन कांग्रेस को वोट नहीं देते इसलिए बीजेपी को देते रहते थे लेकिन इस बार उन्होंने आप का दामन थाम लिया। अगर यह बदलाव मतगणना में भी सच साबित होता है तो अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सत्ताधारी बीजेपी के लिए बड़ी खतरे की घंटी बन सकती है क्योंकि लोगों को कांग्रेस के अलावा एक और विकल्प मिल जाएगा।
सात वार्डों में आप ताकतवर
पार्षद पद के चुनावों में भी आप ने अपनी शानदार उपस्थिति दिखाई। सात वार्डों में तो वह मुकाबले में ही है.माना जा रहा है कि इस बार आप परिषद् में अपना खाता खोलेगी और वह इन से लेकर पांच सीटें जीतने की उम्मीद लगाए बैठी है लेकिन कम से कम बीस सीटों पर वह कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है।