INDORE:बीजेपी के तीन पूर्व पार्षदों सहित आठ नेता छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित

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Lalit Upmanyu
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INDORE:बीजेपी के तीन पूर्व पार्षदों सहित आठ नेता छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित

Indore.अनुनय-विनय और समझाइश के बाद अंततः बीजेपी ने अपने बागियों पर आंखे तरेरना शुरू कर दी है। पहली खेप में पार्टी ने इंदौर के आठ नेताओं को छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें तीन पूर्व पार्षद भी शामिल हैं। हालांकि इनके बाद भी कुछ नेताओं की तरफ से पार्टी ने आंखें मूंद ली हैं।

जिन नेताओं को पार्टी ने बाहर किया है उनमें मांगीलाल रेडवाल, माया दावभट, जीवन पंचोली, कमल यादव, तुलसी प्रजापत, राकेश गोयल, किशोर मीणा और हेमंत तिवारी शामिल हैं। इन नेताओं को पार्टी ने नामांकन वापसी तक मनाने और समझाने का काम किया लेकिन ये सभी मैदान में डटे रहे। अंततः इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

पांच बार के पार्षद हैं रेडवाल परिवार

निष्कासित नेताओं में सबसे बड़ा नाम मांगीलाल रेडवाल का है। पहले कांग्रेस में थे लेकिन बाद में बीजेपी में आ गए थे। पिछली तीन परिषद से इन्हें या इनके परिजनों पार्टी लगातार टिकट दे रही थी। कभी ये कभी इनकी पत्नी लगातार जीत भी रहे थे। कुल मिलाकर पांच कार्यकाल रेडवाल परिवार के हो गए थे। इस बार भी ये अपने वार्ड से टिकट का दावा कर रहे थे लेकिन पार्टी ने बदलाव कर दिया तो रेडवाल निर्दलीय खड़े हो गए। इसी प्रकार किशोर मीणा को तो पार्टी ने करीब बीस साल पहले ही पार्षद पद से नवाज दिया था। बाद में पार्टी में इनकी उपस्थिति ज्यादा नहीं होने से टिकट नहीं दिया। संभवतः पहले भी एक बार बागी होकर चुनाव लड़ चुके हैं और कार्रवाई झेल चुके हैं। इस बार पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

दो पार्षद पिछली परिषद के

जीवन पंचोली पिछली परिषद में पार्षद थे। इस बार फिर टिकट मांग रहे थे लेकिन वहां से पार्टी ने तुलसी सिलावट-रमेश मेंदोला के समझौते के तहत मेंदोला समर्थक सुरेश कुरवाड़े को टिकट दे दिया, उसके बाद पंचोली ने भी मैदान पकड़ लिया। इसी प्रकार राकेश गोयल की पत्नी मंजू गोयल पिछली परिषद में पार्षद थीं। इस बार वहां पुरुष सीट होने से राकेश दावा कर रहे थे, पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय खड़े हो गए। सबसे  ज्यादा चर्चित नाम माया दावभट का है। वार्ड 33 से कांग्रेस और बीजेपी दोनों को कड़े मुकाबले में उलझाने वाली माया ने दावेदारी की थी। यहां से पार्टी मेंदोला समर्थक सुरजीत वालिया को टिकट देना चाहती थी लेकिन ये सीट भी तुलसी-मेंदोला के समझौते के तहत तुलसी समर्थक मनोज मिश्रा के खाते में चली गई तो माया ने मैदान पकड़ लिया। मनोज मिश्रा पहले  कांग्रेस में थे और चुनाव हार चुके थे। तुलसी के साथ वे भी बीजेपी में आए और टिकट  ले उड़े। 

कुछ को छोड़ा

पार्टीजनों को कहना है कि अभी भी कुछ नेता हैं जो पार्टी की कार्रवाई से बच गए हैं। इनमें एक मुस्लिम नेता हैं जो पार्टी में पदाधिकारी हैं और अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा रहे हैं, जबकि पार्टी ने वहां अपना अधिकृत उम्मीदवार खड़ा किया है। इसी प्रकार विधानसभा क्षेत्र क्रमांक पांच में भी एक पूर्व पार्षद हैं जो पत्नी को चुनाव लड़वा रहे हैं। इनके अलावा भी कुछ नेता हैं जो कार्रवाई से बच गए हैं। 


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