BHOPAL: जुलानिया के खिलाफ अवैध निर्माण की याचिका निराधार और काल्पनिक, BMC की कोर्ट से पिटीशन खारिज करने की गुहार

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The Sootr CG
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BHOPAL: जुलानिया के खिलाफ अवैध निर्माण की याचिका निराधार और काल्पनिक, BMC की कोर्ट से पिटीशन खारिज करने की गुहार

BHOPAL. भोपाल नगर निगम (BMC) प्रशासन ने जिला अदालत (bhopal district court) में सत्यापित जवाब पेश कर पूर्व आईएएस (IAS) अधिकारी राधेश्याम जुलानिया (radheshyam julaniya) एवं उनकी पत्नी अनीता जुलानिया के खिलाफ अवैध निर्माण की शिकायत को निराधार और काल्पनिक बताते हुए खारिज करने का आग्रह किया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (ADJ) ने वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र जैन (ravindra jain) की याचिका पर राधेश्याम जुलानिया, अनिता जुलानिया और निगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर 23 जून को स्वयं या अपने वकील के जरिए जबाव प्रस्तुत करने को कहा था। 



 



व्हिसपरिंग पॉम्स में निर्माण की शर्तों के उल्लंघन का आरोप 





नगर निगम की ओर से सब इंजीनियर अंकित शाक्य ने जिला अदालत में 23 जून को पेश किए गए जवाब में पूर्व आईएएस अधिकारी जुलानिया एवं उनकी पत्नी को शहर की आलीशान रेसिडेंशियल टाउनशिप व्हिसपरिंग पॉम्स (whispering palms) में 2 मई 2019 को बिल्डिंग परमिशन (बीएमसी-1808-जेड06-डब्ल्यू26-18-19) जारी किेए जाने की बात से इनकार किया है। बता दें कि इस मामले में शिकायतकर्ता वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र जैन ने भवन निर्माण की इसी अनुमति के आधार पर जुलानिया एवं उनका पत्नी पर निर्माण की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। 





2019 नहीं, 2021 में जारी की गई बिल्डिंग परमिशन





बीएससी के प्रभारी अधिकारी ने कोर्ट को स्पष्ट किया है कि अनीता जुलानिया को सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 05 फरवरी 2021 को बिल्डिंग परमिशन (पीएमटी-बीएचओ-0269-141-20-21) जारी की गई थी। इसमें कुल स्लैब एरिया 399.74 वर्ग मीटर निर्माण की अनुमति दी है। इस कारण यह कहना सही नहीं है कि बिल्डिंग परमिशन के विरुद्ध कार्य किया गया है। बीएमसी ने अपने सत्यापित जवाब में यह भी लिखा है कि शिकायतकर्ता को इस बात की पूर्ण जानकारी थी कि नगर निगम ने अनीता जुलानिया को बिल्डिंग परमिशन (पीएमटी-बीएचओ-0269-141-20-21) 05 फरवरी 2021 को जारी की गई थी। लेकिन उन्होंने अपने आवेदन में जानबूझकर इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया। इससे प्रतीत होता है कि आवेदक स्वच्छ हाथों से कोर्ट  में नहीं आया है। इस कारण आवेदन निरस्त करने योग्य है। 





नगर निगम प्रशासन ने ये तर्क भी दिए





कोर्ट में दाखिल किए गए सत्यापित जवाब में नगर निगम प्रशासन ने यह भी लिखा कि आवेदक ( रवींद्र जैन) ने शिकायत के बिंदु क्रमांक 6 में लिखा है कि अनीता जुलानिया को 02 मई 2019 को जारी की गई बिल्डिंग परमिशन के मुताबिक निर्माण कार्य नहीं हुआ है। लेकिन पूरे आवेदन में कहीं भी यह नहीं बताया है कि आवेदक को अनीता जुलानिया के विरुद्ध वादकरण कब उत्पन्न हुआ। जबकि नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 401(2) के तहत प्रथम वादकरण उत्पन्न होने के 6 महीने के अंदर वादपत्र प्रस्तुत करना चाहिए। इस कारण यदि आवेदक के अनुसार वादकरण 02 मई 2019 को उत्पन्न हुआ तो उनका आवेदन समयावधि के बाहर होने के कारण निरस्त होने योग्य है। 



   



ये है पूरा मामला





वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन ने इसी साल मार्च में नगर निगम  के कमिश्नर को दस्तावेजों के आधार पर शिकायत की थी कि पूर्व आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया और उनकी पत्नी अनिता जुलानिया ने  शहर के वार्ड क्रमांक 26, बरखेड़ी खुर्द गांव में निर्माणाधीन व्हिसपरिंग पॉम्स टाउनशिप में करीब 10 हजार वर्ग  फीट का प्लॉट खरीदा था। नियमानुसार इस स्थान पर सिर्फ 0.06 एफएआर निर्माण की अनुमति है। अर्थात10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर अधिकतम 600 वर्गफीट का ही निर्माण किया जा सकता है।  जैन ने शिकायत की कि जुलानिया प्लाट पर अनुमति से 10 गुना अधिक करीब 6000 वर्ग फीट निर्माण कर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह निर्माण नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है। 





रवीन्द्र जैन ने यह शिकायत निगम कमिश्नर के अलावा भोपाल संभागायुक्त, भोपाल कलेक्टर और लोकायुक्त से भी की थी।  लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने  मप्र नगर पालिका अधिनियम की धारा 307/5 के तहत भोपाल जिला अदालत में याचिका दायर की। कोर्ट ने राधेश्याम जुलानिया, अनिता जुलानिया और निगर निगम को नोटिस जारी कर 23 जून को स्वयं या अपने वकील के जरिए जबाव प्रस्तुत करने को कहा था। 



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