आईएनएस विक्रांत के निर्माण में बालाघाट की बेटी संध्या परिहार ने निभाई भूमिका, शिप निर्माण में तीन साल किया काम

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Rajeev Upadhyay
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आईएनएस विक्रांत के निर्माण में बालाघाट की बेटी संध्या परिहार ने निभाई भूमिका, शिप निर्माण में तीन साल किया काम

Balaghat, Suneel Kore. आईएनएस विक्रांत के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के साथ ही जहां एक ओर देश युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की कामयाबी में खुश है। वहीं मध्यप्रदेश का धान का कटोरा बालाघाट जिला भी खुदको बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहा है। कारण यह है कि बालाघाट की एक बेटी ने आईएनएस विक्रांत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। अपनी बेटी संध्या परिहार धुवारे के सुयश से न केवल बालाघाट बल्कि पूरा मध्यप्रदेश फूला नहीं समा रहा है। बालाघाट के विवेकानंद कॉलेज से कम्प्यूटर साईंस में एमएससी करने के बाद संध्या परिहार ने  प्रशिक्षण के दौरान बतौर ट्रेनी विशाखापट्टनम में आईएनएस के निर्माण के दौरान तीन साल डीआरडीओ के वैज्ञानिको के मार्गदर्शन में आईएनएस विक्रांत के निर्माण में सहयोग किया। 



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कृषि मंत्रालय के आईसीआर में भी दी सेवाएं



हालांकि संध्या परिहार धुवारे का कहना है कि यहां डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में हमारी पूरी 9 लोगों की टीम थी। जिसमें वह अकेली युवती थी। इसे संध्या का बड़प्पन ही कहा जाएगा कि वह अपने इस योगदान को बहुत छोटा मानती हैं लेकिन आईएनएस विक्रांत के नौसेना बेड़े में शामिल होने से वे काफी उत्साहित और गौरवान्वित हैं।  बता दें कि साल 2012 से 2014 तक संध्या ने बतौर ट्रेनी डीआरडीओ वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में आईएनएस विक्रांत के निर्माण में कार्य किया। जिसके बाद संध्या परिहार ने कृषि मंत्रालय के आईसीआर में भी अपनी सेवाएं दी हैं। 



एनआरआई से शादी कर घर संभाल रहीं संध्या



वर्तमान में दिल्ली में निवासरत संध्या गृहणी हैं जिनके पति साउथ अफ्रीका में एनआरआई हैं। बालाघाट की बात करें तो यहां संध्या की माता और छोटी बहन निवास करती हैं। संध्या की छोटी बहन विद्या वकालत करती हैं साथ ही महिला कांग्रेस की जिला प्रवक्ता भी हैं। जिसके चलते बालाघाट जिले की पूरी कांग्रेस ही नहीं शहर का हर शख्स संध्या के इस योगदान पर काफी खुश है। 



आईएनएस के निर्माण में ट्रेनी होना भी बड़ी उपलब्धि



दरअसल आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होते ही भारत एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के क्षेत्र में कदम बढ़ा चुका है। ऐसे में आईएनएस विक्रांत के निर्माण में लगी टीम के हर सदस्य का कार्य काफी अहम है। चाहे वह वैज्ञानिक हों या फिर प्रशिक्षु। 


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