BHOPAL: आकृति बिल्डर्स दिवालिया, डीबी कॉर्प की याचिका पर NCLT ने बैठाया सॉल्वेंसी प्रोफेशनल, लेनदारों से 27 तक मांगा रिकॉर्ड

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Atul Tiwari
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BHOPAL: आकृति बिल्डर्स दिवालिया, डीबी कॉर्प की याचिका पर NCLT ने बैठाया सॉल्वेंसी प्रोफेशनल, लेनदारों से 27 तक मांगा रिकॉर्ड

प्रवीण शर्मा, BHOPAL. बुकिंग करने के बाद एक दशक से लोगों को अपने मकान के लिए चक्कर लगवा रहे राजधानी के नामचीन बिल्डर्स में शुमार आकृति ग्रुप यानी एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड दिवालिया हो गई है? कंपनी के डायरेक्टर अब लोगों की देनदारी चुकाने में सक्षम नहीं बचे? रेरा (Real Estate Regulation and Devlopment Act) के बाद जिला व सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके लोगों की समस्या का हल निकलता दिख रहा है। डीबी कॉर्प लिमिटेड (दैनिक भास्कर ग्रुप) की याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड (आकृति ग्रुप) को दिवालिया मानते हुए इस संबंध में कार्रवाई शुरू कर दी है। ट्रिब्यूनल की ओर से नियुक्त सॉल्वेंसी प्रोफेशनल ने भोपाल आकर कंपनी को अपने अंडर में ले लिया है। इसके साथ ही अब कंपनी का सारा लेखा-जोखा, खाते सहित पूरी संपत्ति अदालत के अधीन हो गई है।



जानकारी के अनुसार, एनसीएलटी ने 11 अगस्त 2022 को दिए अपने आदेश में दिल्ली निवासी अनिल गोयल को सॉल्वेंसी प्रोफेशनल को नियुक्त किया है। इसके पूर्व 5 अगस्त को दिए आदेश में एजी-8 को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई के लिए इंदौर निवासी ईश्वरलाल कलंत्री को भूलवश सॉलवेंसी प्रोफेशनल नियुक्त कर दिया गया था। इस बारे में एनसीएलटी के नए आदेश के बाद सॉल्वेंसी प्रोफेशनल बनाए गए दिल्ली निवासी अनिल गोयल ने 13 अगस्त से कामकाज भी शुरू कर दिया है। ये सॉल्वेंसी प्रोफेशनल छह माह के भीतर कंपनी का लेखा-जोखा तैयार कर अदालत को देंगे, ताकि बुकिंग कराने वाले लेनदारों को उनका मकान बनाकर दिया जा सके।



ट्रिब्यूनल की सुनवाई में कई चीजें सॉल्व कीं



ट्रिब्यूनल ने लंबी सुनवाई के बाद एजी-8 कंपनी को लोगों का पैसा चुकाने में असमर्थ माना है। डीबी कॉर्प की याचिका की सुनवाई के बाद एनसीएलटी ने इस कंपनी को दिवालिया मान लिया था, लेकिन कंपनी के संचालकों ने एक मौका देने की गुहार लगाई। आवेदकों की गुहार को ध्यान में रखते हुए ट्रिब्यूनल ने कंपनी का आर्थिक आंकलन करने वाले सॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त कर दिया है। इस सॉलवेंसी प्रोफेशनल का कार्यकाल 7 फरवरी 2023 को खत्म होगा। हालांकि, नियमानुसार इसमें 90 दिन की वृद्धि भी की जा सकती है। तब तक कंपनी के डायरेक्टर न तो अपनी संपत्ति की कोई खरीदी-बिक्री कर सकेंगे और न बैंक खातों पर ही कंपनी का कोई अधिकार रह गया है। सॉल्वेंसी प्रोफेशनल के कार्य शुरू करते ही अब रेरा, राज्य शासन, हाईकोर्ट आदि के पूर्व में दिए गए आदेश भी खुद ब खुद अमान्य हो गए हैं। साथ ही रेरा द्वारा पूर्व में ब्लॉक किए गए एजी-8 के बैंक खाते, रजिस्ट्रेशन भी अब खुल गए हैं, लेकिन इसमें कंपनी सॉल्वेंसी प्रोफेशनल की मंजूरी के बिना किसी तरह का कोई ट्रांजैक्शन नहीं कर सकेगी। डीबी कॉर्प की इस याचिका का लाभ एजी-8 के प्रोजेक्ट में बुकिंग करने के बाद मकान के लिए चक्कर काट रहे सैकड़ों लोगों को भी मिल सकेगा। 



दो दिन पूर्व सॉल्वेंसी प्रोफेशनल की आमद



जानकारी के अनुसार, सॉल्वेंसी प्रोफेशनल गोयल ने शनिवार (13 अगस्त) को कंपनी के कार्यालय पहुंचकर अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है। कंपनी के डायरेक्टर्स और स्टॉफ से चर्चा कर गोयल ने उनकी नियुक्ति के मायने, सारी गाइडलाइन तथा कंपनी की देनदारी के लिए अपनाए जाने वाले वॉटरफॉल अरेंजमेंट की विस्तार से जानकारी  दी। साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब शासन-प्रशासन या कंपनी का कोई दखल नहीं चलेगा। उन्होंने कंपनी को यह भी बता दिया है कि उनका भोपाल कैंप कार्यालय ने 11 अगस्त से ही माना जाएगा।



सार्वजनिक की दिवालिया की सूचना



सॉल्वेंसी प्रोफेशनल द्वारा कामकाज संभालने के साथ ही कंपनी एजी-8 को दिवालिया घोषित करने ट्रिब्यूनल में चल रही कार्रवाई के संबंध में सार्वजनिक सूचना भी प्रकाशित करा दी गई है। इसके तहत सभी लेनदारों को 27 अगस्त तक अपना लेखा-जोखा भेजना है। दिवालिया होने वाले कंपनी के लोगों की पहचान के लिए भी तीन लोगों को चिह्नित किया गया है।



लेनदारों से फार्म भेजकर मांगा रिकॉर्ड



कंपनी को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई के तहत सभी लेनदारों को भी तीन फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए हैं। सभी को ऑनलाइन फार्म भरकर भेजना है। इसमें लेनदार की व्यक्तिगत जानकारी के साथ ही मकान बुक करने की तारीख, जमा की गई राशि, डील के मुताबिक फाइनल राशि आदि की रसीदों सहित रिकॉर्ड मांगा गया है।



रेरा ने दिया था किराए के हर्जाने का आदेश 



एजी-8 द्वारा 2010 में 11 मील के पास प्रस्तावित प्रोजेक्ट में करीब 1000 लोगों ने ड्यूप्लेक्स के लिए बुकिंग कराई थी, लेकिन सालों-साल चक्कर लगवाने के बाद भी कंपनी ने मकान उपलब्ध नहीं कराया तो लोगों ने रेरा रीयल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट की शरण ली। रेरा ने लंबी सुनवाई के बाद एजी-8 को प्रत्येक बुकिंग कर्ता को मकान के किराये के तौर पर हर महीने 5000 रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया था। मकान बुक कराने वालों ने रेरा को बताया था कि उन्होंने एजी-8 में अपनी पूरी कमाई जमा करा दी। अब उन्हें मकान का किराया भी देना पड़ रहा है। आदेश के बाद भी एजी-8 द्वारा इस राशि का भुगतान ना करने पर रेरा ने कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया था।



लोगों ने एफआईआर दर्ज कराने थाने में लगाई थी लाइन



एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड के खिलाफ दर्जनों लोगों ने शिकायत की थी। बिल्डर पर आरोप है कि उसने एक दशक बीत जाने के बावजूद लोगों को मकान मुहैया नहीं कराए। कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए लोगों ने अक्टूबर 2021 में मिसरोद थाने के बाहर लाइन लगाना पड़ी थी। बिल्डर पर कार्रवाई के लिए रेरा, भोपाल कलेक्टर समेत कई अन्य संस्थानों ने पहले ही आदेश जारी कर दिए हैं। मकान बुक कराने के बाद भ्ज्ञी करीब दस साल से चक्कर लगा रहे ये लोग एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे।



यह है पूरा मामला 



एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड की तरफ से 2010 में मिसरोद स्थित 11 मील चौराहे के नजदीक ग्राम छान में आकृति एक्वासिटी प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। करीब 100 एकड़ के परिसर में बनने वाले इस प्रोजेक्ट में 2000 से ज्यादा परिवारों के लिए सुविधायुक्त कॉलोनी डेवलप का करार बिल्डर ने किया था। इसमें अस्पताल, बाजार, स्कूल, शॉपिंग सेंटर के अलावा कम्युनिटी हॉल बनाने का सपना दिखाया था। मकान 12 से 30 लाख रुपए कीमत का था। दूसरी सुविधाएं तो दूर बिल्डर ने मकान ही आधे से ज्यादा लोगों को अब तक नहीं दिया। जबकि सभी को तीन साल के भीतर पजेशन दिया जाना था। परेशान होकर लोगों ने रेरा में इसकी शिकायत की। 



रेरा ने जनवरी 2018 में एजी-8 वेंचरर्स को धारा 40 के तहत आरआरसी का नोटिस भी जारी हुआ। कलेक्टर कार्यालय से जनवरी 2021 में रिकवरी नोटिस भी जारी किया गया था, कंपनी ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर उसे भी लटका दिया। इसके अलावा ग्राहकों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत की है। वहीं आर्थिक प्रकोष्ठ विंग में हुई शिकायत पर थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करने के लिए बोला गया। परेशान लोगों का कहना है कि वे किराए के मकान में रहने के साथ-साथ बैंक का लोन चुका रहे हैं।



ये हैं कंपनी के कर्ताधर्ता 



राजधानी सहित प्रदेश के कई शहरों में आवासीय कॉलोनी, मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने वाले एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड करीब 350 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी है। इसके मालिक हेमंत सोनी है। इस कंपनी के स्कूल, शुगर मिल समेत अन्य कई कारोबार हैं। अपने मकान के लिए चक्कर काट रहे लोगों से कंपनी मालिक ने वादा किया था कि वह अपनी शुगर मिल बेचकर रकम देगा। फिर दुबई से पैसा लाने की बात भी लोगों से कही गई। मिसरोद थाना पुलिस को दी गई शिकायत में पीड़ित लोगों ने हेमंत सोनी, राजीव सोनी, स्वयं सोनी, रवि हरयानी के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज करने की मांग की थी। लोगों का आरोप था कि कंपनी ने उनके पैसे किसी अन्य प्रोजेक्ट में खर्च कर दिए।



क्या कहते हैं कंपनी के PRO 



कंपनी के प्रवक्ता मनीष पटेल ने स्वास्थ्य कारणों से भोपाल से बाहर होने का हवाला देते हुए कहाकि वे कई दिनों से ऑफिस नहीं गए हैं, हालांकि उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिवालिया संबंधी कार्रवाई के तहत सॉल्वेंसी प्रोफेशनल की नियुक्ति की गई है। उन्हें जानकारी मिली है कि सॉल्वेंसी प्रोफेशनल ने दो दिन पहले ऑफिस पहुंचकर स्टॉफ और बुकिंगकर्ताओं से चर्चा की थी। पटेल का कहना है कि कंपनी ने स्वामित्व फंड के तहत 80 करोड़ का लोन लेने की कोशिश की थी। इस फंड से सभी के मकान बन जाते। मगर रेरा ने रजिस्ट्रेशन ही कैंसिल कर दिया था, इससे स्वामित्व फंड का लोन भी नहीं मिल सका। पटेल ने दावा किया है कि कंपनी आज की डेट में भी केवल तीन साल लेट हुई है।


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