भोपालः BJP बोली- 'मिटों हॉल' का नाम हो हरि सिंह गौर पर, तो कांग्रेस ने टंट्या भील का सुझाया

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भोपालः BJP बोली- 'मिटों हॉल' का नाम हो हरि सिंह गौर पर, तो कांग्रेस ने टंट्या भील का सुझाया

भोपाल. भोपाल (Bhopal) का मिंटो हॉल (Minto Hall) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की पुरानी विधानसभा है। जिसे प्रदेश सरकार ने आलीशान होटल में तब्दील कर दिया है। अब इस हॉल पर राजनीति होने लगी है। बीजेपी-कॉग्रेस (BJP-Congress) दोनों ही पार्टियां इस हॉल का नाम बदलने की मांग कर रही हैं। अंतर केवल इतना है कि बीजेपी इसका नाम सागर यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ हरिसिंह गौर (Sagar University founder Dr Harisingh Gaur) रखना चाहती है। वहीं कांग्रेस इसका नाम आदिवासियों के नायक टंट्या भील (Tantya Bhil) के नाम पर रखने की मांग कर रही है। दरअसल 26 नवंबर को डॉ हरिसिंह गौर की जयंती है। इसी दिन संविधान दिवस भी होता है। इसीलिए बीजेपी यह पहल कर रही है। वहीं कांग्रेस ने मांग की है कि आजादी के अमृत महोत्सव में मिंटो हॉल का नाम टंट्या भील के नाम पर रखा जाना चाहिए।

26 नवंबर को है संविधान दिवस इसीलिए उठ रही मांग

बीजेपी नेता रजनीश अग्रवाल ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ''26 नवंबर को देश संविधान दिवस के रूप में मनाता है और यही दिन डॉ हरिसिंह गौर की जयंती का भी है। यह नामकरण शिक्षा,साहित्य कानून और सामाजिक सरोकारों पर सार्थक कार्य करने वालों को एक प्रेरणा पुंज के तौर पर कार्य करेगा।'' यानि अब भोपाल में मिटों हॉल का नाम बदलने की मांग की है। 
कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ''हम आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं। गुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हाल का नाम बदलकर मामा टंटया भील के नाम पर कर देना चाहिये। यह उनके बलिदान दिवस पर सच्चा तोहफा होगा। भाजपा की अगली कार्यसमिति की बैठक भी वही होना है, उसमें भी यह प्रस्ताव पारित होना चाहिए।''

मिंटो हॉल का इतिहास

मिंटो हॉल की नींव 12 नवंबर 1909 में रखी गई थी। यह हॉल मध्यप्रदेश की पहली विधानसभा है। इस हॉल को अंग्रेजों के समय में बनवाया गया था। जिसकी बड़ी रोचक कहानी है कि नवाब सुल्तानजहां बेगम के आमंत्रण पर भारत के तात्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल आए थे। तब के राजभवन में उनके रुकने का प्रबंध किया गया था। लेकिन वायसराय व्यवस्थाओं से खुश नहीं थे। इसलिए नवाब सुल्तानजहां बेगम ने एक हॉल बनवाने का निर्णय किया। इस हॉल के निर्माण में लगभग 25 साल लगे। इस भव्य भवन निर्माण में करीब 3 लाख रुपए का खर्च आया था।

नाम बदलने की सियासत

मध्यप्रदेश में नाम बदलने की सियासत काफी समय से चल रही है। इसी कड़ी में नया नाम मिंटो हॉल का जुड़ा है। इससे पहले भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखा जा चुका है। इसके बाद मंडला पहुंचे मुख्यमंत्री ने आदिवासियों के जननायक टंट्या भील के नाम पर इंदौर के चौराहे, बस स्टेंड का नाम रखने का ऐलान कर दिया।

पहले भी उठ चुकी मांग

आदिवासी जननायकों को सम्मान देना बीजेपी की ट्राइबल पॉलिटिक्स का हिस्सा कहा जा सकता है। लेकिन नाम बदलने की पॉलिटिक्स पिछले कुछ सालों में ज्यादा देखी जा रही है। इसी साल जून के महीने में रानी लक्ष्मीबाई के शहादत दिवस पर कांग्रेस ने ग्वालियर शहर का नाम लक्ष्मीबाई नगर करने की वकालत की थी और इंदौर का नाम देवी अहिल्या के नाम पर रखे जाने की भी मांग की थी। नाम बदले जाने की मांग का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। बीजेपी के विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी रखने की मांग की थी। पूर्व सीएम उमा भारती भी कहां पीछे रहने वाली थी। उन्होंने हलाली डेम का नाम बदलने की मांग की थी। वहीं भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल के इस्लाम नगर, लालघाटी और हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं। 

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