Bhopal : अपनी जुबान से फिरी कांग्रेस, अब नेता दूसरे वॉर्ड से भी लड़ सकेंगे चुनाव

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The Sootr CG
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Bhopal : अपनी जुबान से फिरी कांग्रेस, अब नेता दूसरे वॉर्ड से भी लड़ सकेंगे चुनाव

Bhopal. प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Madhya Pradesh Congress Committee) ने 12 जून को एक नियम जारी किया जिसने पार्षद पद (Councilor Post) के उम्मीदवारों (Candidates) को झटका दे दिया था। लेकिन 13 जून को वही नियम बदल दिया गया। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) के नाम से एक पत्र जारी किया जिसमें लिखा था कि जो नेता जिस वॉर्ड का वोटर होगा उसी वॉर्ड से चुनाव लड़ सकेगा यानी कोई भी अपनी सुविधा के अनुसार दूसरे वॉर्ड से दावेदारी नहीं कर सकता। ये पत्र संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रप्रभाष शेखर (Chandraprabhash Shekha) के हस्ताक्षर से जारी हुआ। अब इस नियम में से दूसरा रास्ता निकाल लिया गया है। संगठन कहने लगा है कि स्पेशल केस या फिर जिस वॉर्ड उम्मीदवार नहीं होगा, इन दो परिस्थितियों में ये नियम लागू नहीं होगा। द सूत्र से बातचीत में चंद्रप्रभाष शेखर ने कहा कि ये गाइडलाइन है कोई संविधान नहीं जो लागू हो गया तो बदला नहीं जाएगा। इस नियम के बाद कई बड़े चेहरों को राहत मिल सकती है। 



भोपाल : इन नेताओं के आड़े आ रहा नियम




  • अमित शर्मा, वार्ड 31 से पार्षद थे। लेकिन आरक्षण प्रक्रिया में वार्ड 31 ओबीसी के खाते में चला गया हैं। लिहाजा अब अमित शर्मा (Amit Sharma) वार्ड 33 से दावेदारी कर रहे हैं। यहां पूर्व पार्षद सीएम पटेल से उन्हें चुनौती मिल रही है। टिकट के लिए पटेल अड़े हुए हैं। लेकिन सूत्रों की माने तो अमित शर्मा की उम्मीदवारी को हरी झंडी दे दी गई है। 


  • नगर निगम (Municipal Corporation) में नेता प्रतिपक्ष रहे मोहम्मद सगीर मध्य विधानसभा के वार्ड 43 से पार्षद रहे हैं। लेकिन वार्ड 43 सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है। लिहाजा अब सगीर नरेला विधानसभा के वार्ड 41 से दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि उन्हें यहां युवा नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है।

  • वार्ड 14 से पार्षद रहे शफीक खान भी वार्ड 16 से दावेदारी कर रहे हैं। 3 बार के पार्षद रहे शफीक का वार्ड 14 सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है।  

  • शमीम नासिर वॉर्ड 42 से पार्षद थी, अब वे 8 नंबर वॉर्ड से टिकट मांग रही है। शमीम तीन बार की पार्षद रही हैं।



  • जबलपुर : रास नहीं आ रहा नियम




    • नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे राजेश सोनकर ने पहले भी जहां जैसा मौका मिला वे वार्ड के साथ विधानसभा क्षेत्र भी बदलते गए। वे पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं लेकिन पिछली बार उन्होंने पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के बाबूराव परांजपे वार्ड से चुनाव लड़ा था। इस बार वे फिर किसी नए वार्ड की तलाश में हैं। 


  • कांग्रेस से पूर्व पार्षद पंकज पांडे महात्मा गांधी वार्ड में रहते हैं। पिछली बार उन्हें टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। इस बार वे कांग्रेस से कस्तूरबा गांधी वार्ड से चुनाव लड़ना चाहते हैं। 

  • युवा कांग्रेस अध्यक्ष जितिन राज जयप्रकाश वार्ड में रहते हैं लेकिन  वे किसी अन्य वार्ड की तलाश में हैं।

  • पूर्व शहर अध्यक्ष दिनेश यादव का कहना है कि ये नियम ठीक नहीं है। इससे असंतोष पैदा हो रहा हैं।



  • इंदौर : कांग्रेस की नीति से भाजपाई भी खुश



    कांग्रेस की इस नीति से कांग्रेसियों के साथ-साथ भाजपाई भी खुश हैं।  दरअसल  इस आदेश में जहां उन नेताओं को झटका लगा है जो सालों से हर हाल में पार्षद बने हुए हैं। चाहे उसके लिए क्षेत्र छोड़ना पड़े। इस बार आरक्षण के कारण ऐसे ही कई इच्छाधारी नेताओं के वार्ड उलट-पुलट हो गए हैं और वे पलटी मारकर दूसरे वार्ड पर नजरें जमाए बैठे थे। ऐसे नेताओं की संख्या 15 से ज्यादा है जिसमें कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष तक शामिल हैं। और भाजपाई इसलिए खुश हैं क्योंकि कांग्रेस के कई बड़े नेता दूसरे वार्ड में जाकर चुनाव लड़ते रहे हैं। ये राजनीति में इतने दक्ष हो गए हैं कि कहीं भी जाकर जीत जाते हैं, ऐसे में ये नेता जिस भी नए वार्ड के  लिए दावा कर रहे थे, वहां के भाजपाई दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं।  




    • छोटे यादव- पच्चीस साल से पार्षद हैं और पार्षदी को तीसरे दशक में प्रवेश कराना चाहते हैं। मूल वार्ड 54 आरक्षित होने से वार्ड 51 में जाना चाहते थे। नई नीति से संकट में आ गए हैं। इससे पहले भी अपना मूल वार्ड आरक्षित होने कारण घर से दस किमी दूर तक जाकर चुनाव जीत चुके हैं। वे तीन बार वार्ड बदल चुके हैं। 


  • अभय वर्मा- घरेलू वार्ड 61 आरक्षित हो गया। नेता प्रतिपक्ष रहे हैं वे वार्ड 54 के अलावा दूसरे वार्ड पर भी नजरें जमाए बैठे थे लेकिन यदि नई नीति का सख्ती से पालन होता है तो इनके लिए मुश्किल हो जाएगी।

  • चिंटू चौकसे- तीन बार से या तो खुद या पत्नी पार्षद हैं। ऐसे कांग्रेसी पार्षद हैं जो रमेश मेंदोला के गढ़ दो नंबर में हर बार नए वार्ड से चुनाव जीत जाते हैं। मूल निवासी 22 नंबर वार्ड के हैं लेकिन जाता चाहते हैं 21 में।

  • इनके अलावा विनोद चौकसे, शेलेष गर्ग, अन्नू पटेल, राजू भदौरिया वे नेता हैं जो टिकट और जीत पक्की मानकर  मनमाफिक  वार्ड में तैयारी कर रहे थे।



  • (भोपाल से अरुण तिवारी, जबलपुर से राजीव उपाध्याय और इंदौर से ललित उपमन्यु)


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