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राजीव उपाध्याय, Jabalpur. मध्य प्रदेश में कोयले की स्थिति गंभीर है। लेकिन प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के लिए यह स्थिति गंभीर नहीं है। उनके अनुसार तो कोयले का कोई संकट ही नहीं। जबकि हकीकत इससे जुदा है। शायद ऊर्जा मंत्री ने केंद्र शासन के पत्र पर गौर नहीं किया। केंद्र शासन ने सभी प्रदेशों को पत्र लिखा है कि वे कोयले का आयात करें। केंद्र शासन ने एक ऐसा पेच फंसाया है जिससे यदि प्रदेशों ने कोयला आयात नहीं किया तो प्रदेशों ने जितना कोयला आयात नहीं किया है, उस अनुपात में उनको उतना कोयला नहीं मिलेगा। यह ऐसा पेच लगाया है कि कोयले की कमी बनेगी और बिजली का संकट गहराएगा।
महंगी होगी बिजली
विदेश से कोयला आयात करने पर बिजली महंगी होगी। अजब बात यह है कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर बहुत आश्वस्त हैं कि कोयले का स्टॉक प्रदेश में कम नहीं होगा। लेकिन उनका भी कहना है कि केंद्र शासन ने लिखित में पत्र भेजा है कि विदेश से कोयला आयात किया जाए। मध्य प्रदेश सरकार ने साढ़े सात लाख मीट्रिक टन कोयला विदेश से आयात करने टेंडर किया है। विशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि इससे बिजली महंगी होगी। प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे का कहना है कि हमारे पास विकल्प नहीं है। उपभोक्ता को हमेशा बिजली मिले, यह हमारी कोशिश है।
विशेषज्ञों की राय
सेवानिवृत अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश में कोयले की स्थिति गंभीर है। देश में आज की तारीख में मानक स्टॉक 32 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश में कोयले का स्टॉक 11 प्रतिशत है। प्रदेश में कोयले का स्टॉक 20 लाख टन होना चाहिए जो मात्र 2 लाख 20 हजार टन है। विदेश से कोयला मंगाने पर बिजली महंगी होगी। प्रदेश सरकार को पहले कोल इंडिया से अधिक से अधिक कोयला मंगवाना चाहिए। इसके बाद विदेश से कोयला आयात की बात करना चाहिए। जोकि उपभोक्ता के हित में रहे।
आयात करना होगा
मध्य प्रदेश में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे का कहना है कि सभी सरकारी और निजी प्लांट को चलाने कोल कम्पनी से फ्यूल सप्लाई अरेंजमेंट होता है। जिसे एफएसए कहते हैं।इस बार पूरे देश में जितना एफएसए है उसका अस्सी प्रतिशत ही पॉवर कम्पनियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बीस प्रतिशत कोयला नहीं रहने पर समस्या आएगी। केंद्र सरकार ने प्रदेशों को लिखित में आदेश दिया है कि मांग बढ़ी है,इसलिए कोयला आयात करना पड़ेगा।यदि कोयला आयात नहीं किया तो प्रदेश को जितना कोयला केंद्र सप्लाई करता है उसे उस अनुपात में कम कर दिया जाएगा जिस अनुपात में विदेश से प्रदेश ने कोयला आयात नहीं किया। ऊर्जा सचिव का कहना है कि हमारे पास विकल्प नहीं है। यदि आयात नहीं किया तो पावर सप्लाई नहीं हो सकेगी। क्योंकि कोयला कम मिलेगा। यदि कोयला आयात नहीं किया और उस समय भविष्य में बिजली खरीदनी पड़ेगी तो उसकी कीमत दस गुना अधिक होगी। जिसका अधिक भार उपभोक्ता पर पड़ेगा।