आमीन हुसैन, RATLAM. रतलाम में महापौर प्रहलाद पटेल के शपथ ग्रहण समारोह में अव्यवस्थाएं नजर आईं। समारोह में शामिल महिलाएं कुर्सियां खींचती नजर आईं तो दूसरी तरफ मंच पर नवनिर्वाचित महापौर के समर्थक कब्जा जमाए दिखाई दिए। बगैर बंदोबस्त के आयोजित कार्यक्रम में कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने महापौर को जैसे ही शपथ दिलाई और पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी मंच से उतरकर चले गए। इसके बाद भाषणबाजी का दौर शुरू होते ही कुर्सियां खाली हो गई। गौरतलब है कि नगर सरकार के शपथ समारोह के पहले ही कांग्रेस की मांग पर कांग्रेस 15 पार्षदों को कलेक्टर अलग से शपथ दिला चुके हैं।
कार्यक्रम में आधी-अधूरी रही व्यवस्था
रविवार को बरबड़ के विधायक सभागृह में हुए कार्यक्रम में पार्टी के कार्यकर्ता उपेक्षित दिखाई दिए बैठक व्यवस्था आधी-अधूरी रही तो भारी उमस में अधिकांश को खड़ा रहना पड़ा। वार्डों से नवनिर्वाचित पार्षदों के साथ पहुंचे समर्थक कार्यक्रम की तैयारियों पर कोसते नजर आए। मंच पर नवनिर्वाचित महापौर समर्थकों की अड़ियलबाजी से हालात ऐसे बने की पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई। कार्यक्रम के दौरान मंच पर सांसद सुधीर गुप्ता, शहर विधायक चैतन्य कश्यप, जावरा विधायक राजेंद्र पांडेय, पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी सहित पूर्व महापौर डॉ. सुनीता यार्दे विशेष रूप से मौजूद रहे।
निर्दलीय पार्षद की शपथ के लिए पूर्व मंत्री आगे आए
नगर सरकार के समारोह में सभी नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को समानता से शपथ नहीं दिलाने के सवाल आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है। महापौर के बाद बीजेपी पार्षदों को शपथ दिलाने के दौरान निर्दलीय 4 पार्षद भी अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए मंच से निर्दलीय पार्षदों के नाम की घोषणा नहीं होने पर एक निर्दलीय पार्षद उमा रामचंद्र डोई पहुंची तो उन्हें संचालनकर्ता और मंच कब्जेधारियों ने शपथ के बगैर लौटा दिया। ये नजारा पूर्व मंत्री कोठारी को नागवार गुजरा और उन्होंने प्रभारी निगम आयुक्त अभिषेक गहलोत को सख्त लहजे में समझाइश देकर निर्दलीय महिला पार्षद डोई को शपथ के लिए कतार में खड़ा कराया।
कांग्रेस के 15 पार्षदों ने 6 अगस्त को ली थी शपथ
कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने 6 अगस्त को कांग्रेस के 15 पार्षदों को शपथ दिलाई थी। कांग्रेस ने बीजेपी पर शपथ समारोह के राजनीतिकरण का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कलेक्टर को पत्र लिखकर अपनी पार्टी के नवनिर्वाचित पार्षदों को अलग से शपथ दिलाने की मांग की थी। शपथ समारोह के राजनीतिकरण की वजह कांग्रेस के नेता चाहते थे कि उनकी पार्टी के पार्षद बीजेपी पार्षदों के साथ शपथ न लें।