Guna. एक तरफ सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था (health system) को लेकर बड़े-बड़े दावे करती नजर आती है लेकिन जमीनी हकीकत (ground report) इसके उलट है। सड़क पर प्रसव (delivery) करने को मजबूर गर्भवती महिला (pregnant woman) इस बात का सबूत है। लचर व्यवस्था (poor system) के चलते अपनी जान पर खेलकर बच्चे को जन्म देना, मदद की गुहार लगाने के बाद भी कोई मदद नहीं मिलना सरकार और व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े करता है। ताजा मामला जिला राधौगढ़ के विकासखंड मक्सूदनगढ़ (Maksudangarh) से सामने आया है। यहां समय पर जननी एक्सप्रेस (Janani Express)के नहीं पहुंचने पर प्रसूती ने बीच सड़क पर बच्चे को जन्म दिया।
व्यवस्थाओं के नाम पर पलीता
हर साल स्वास्थ्य और व्यवस्थाओं के नाम पर लाखों खर्च किए जाते है लेकिन मदद (help) के समय सारी व्यवस्थाओं (systems) पर पलीता लगा नजर आता है। इस मामले में भी 108 एम्बुलेंस कई बार फोन करने पर भी मौके पर नहीं पहुंची जिस वजह से महिला की बीच सड़क (middle of the road) पर डिलेवरी करनी पड़ी, जबकि गर्भवती महिला को देख कई राहगीर (passersby) घटनास्थल पर रूके और मदद के लिए आगे भी आए लेकिन जननी एक्सप्रेस फिर भी मौके पर नहीं पहुंची। गौरतलब है कि मक्सूदनगढ़ क्षेत्र में यह पहला मामला नहीं है जब स्वास्थ्य विभाग (health Department) पर सवाल खड़े हो रहा है। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।
लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर अस्पताल
घटनास्थल से मक्सूदनगढ़ सरकारी अस्पताल (government hospital) से मात्र 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इससे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही खुलकर सामने आई। अब आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है कि स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम किस तरह सुविधाओं के नाम पर लाचार होता दिखाई दे रहा है। बीच सड़क पर प्रसूता की डिलीवरी होने के काफी देर बाद जननी 108 एंबुलेंस घटनास्थल (on the spot) पर पहुंची लेकिन जब तक काफी देर हो चुकी थी।