भोपाल. मध्यप्रदेश में जो बजट है, वो ठीक तरीके से खर्च नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार अब चाइल्ड बजट लेकर आ रही है। विधानसभा में इस बार बजट के साथ चाइल्ड बजट भी पेश होगा। दावा किया जा रहा है कि आउटकम बेस्ड बजटिंग होगी यानी बजट का होगा पूरा इस्तेमाल। दरअसल इस समय करीब 2 दर्जन विभाग बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं चला रहे हैं। लेकिन इन विभागों का फोकस योजनाओं की राशि को खर्च करने में ज्यादा होता है। इस पर नहीं होता कि इसका लाभ हितग्राहियों को मिल सके।
दो कैटेगरी में होगा चाइल्ड बजट: पहली कैटेगरी ऐसे विभाग की योजनाएं है, जिसमें 100 फीसदी खर्च बच्चों पर होता है। दूसरी कैटेगरी में वो योजनाएं जिसमें कम से कम 30 फीसदी बच्चों पर खर्च होता है। जिन योजनाओं में बच्चों पर 30 फीसदी से कम खर्च हो रहा है वो चाइल्ड बजट में नहीं होगी। अधिकारियों के मुताबिक चाइल्ड बजट को आउटकम बेस्ड बजटिंग के तौर पर लाया जा रहा है। जिससे इसके बेहतर नतीजे मिलेंगे।
महिला एवं बाल विकास के डायरेक्टर रामराव भोंसले ने बताया कि हम आउटकम बेस्ड बजट पर बात कर रहे हैं। हम पहले आउटकम तय कर लें कि यदि बच्चों पर राशि खर्च कर रहे हैं तो उसका आउटकम कितना आ रहा है। जैसे कुपोषण पर काम कर रहे हैं तो कितने बच्चे सुपोषित हो रहे हैं, इस पर बात की जाएगी।
विभागों से मांगा ब्यौरा: चाइल्ड बजट की व्यवस्था देश के कई राज्यों में पहले से है। ऐसे में एमपी अब ये पहल करने जा रहा है। इसके लिए वित्त विभाग ने बच्चों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का ब्यौरा विभागों से मांगा है। साथ ही एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया है। ये ग्रुप देखेगा कि बजट के हिसाब से आउटकम इंडीकेटर्स तय किए जाएं। कमलनाथ सरकार के समय भी चाइल्ड बजट की बातें की गई थी लेकिन ये लाया नहीं गया था। आखिर चाइल्ड बजट कितना कारगर साबित होगा ये बजट के आने के बाद ही पता चलेगा।