Damoh. प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं, हर ग्राम पंचायत में सरपंच और पंचों का शपथ ग्रहण भी हो चुका है। अब बारी है जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों की, कि वे अपनी जनता को मूलभूत सुविधाओं दिलाने में अपना रोल अदा करें। प्रदेश में सैकड़ों नहीं हजारों ऐसे गांव हैं जहां आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। हम बात कर रहे हैं दमोह जिले का जहां स्कूली बच्चों को नाव के सहारे स्कूल जाना पड़ता है।
पथरिया विधानसभा की नरसिंहगढ़ ग्राम पंचायत के ग्राम सीतानगर के पास से निकली सुनार नदी के दूसरे पार करीब दो दर्जन परिवार निवास करते हैं, लेकिन इन परिवार के बच्चों को बारिश के समय अपनी जान की बाजी लगाकर नदी में नाव के सहारे स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। यहां के प्रतिदिन 50 बच्चे पढ़ने के लिए सीता नगर जाते हैं । बच्चों ने बताया बारिश के समय नदी में पानी ज्यादा होने के कारण नाव पर बैठकर पढ़ने के लिए जाना पड़ता है । क्योंकि जहां हम लोग रहते हैं वहां से मंगोला ग्राम में मिडिल स्कूल है । जिसकी दूरी 4 किमी है ।
वहां पर एक साइड से जूड़ी नदी निकली है तो दूसरी तरफ से सुनार नदी । इसीलिए हम लोग 2 किमी दूर सीतानगर स्कूल पढ़ने आते हैं । यहां पर केवल सुनार नदी को पार करना पड़ता है नदी पर पुल नही है और जो दूसरा मार्ग है वहां बारिश में दल दल हो जाता है। नदी में नाव के सहारे जाते समय एक ग्रामीण ने यह वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बाढ़ या सामान्य दिनों में भी नदी में नाव पलटने का खतरा हमेशा बना रहता है। हालांकि यह समस्या हर साल बारिश के दिनों में ही होती है। छात्रा रजनी और दिव्यांशी ने बताया कि बारिश में बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रतिदिन सुनार नदी में नाव से सीतानगर स्कूल आना पड़ता है। कभी कभी पानी का बहाव तेज हो जाता है । जब नदी के बीच में नाव पहुंचती है तो डर लगता है । नदी के ऊपरी हिस्से में बांध भी बनाया जा रहा है । जब कभी बांध का पानी छोड़ा जाता है तो बहाव काफी तेज हो जाता है।
बच्चो ने प्रशासन से निवेदन किया है कि हमारी पढ़ाई में को बाधा न हो इसलिए कोई रास्ता निकाला जाए। बच्चों के परिजन हरिश्चंद्र पटेल ने बताया बच्चे पढ़ने के लिए सीता नगर जाते हैं । जिससे हम लोगों को हमेशा ही डर बना रहता है । जब तक बच्चे घर नहीं आ जाते तब तक चिंता ही बनी रहती है । उन्होंने बताया कि सीतानगर के पास प्रसिद्ध मड़कोलेश्वर धाम है । वहां पर दूर . दूर से लोग आते हैं । संक्रांति के मेले में आसपास के 50 गांव के लोगों को 30 किमी का चक्कर लगाकर आना पड़ता है । यदि यहां पर पुल बना दिया जाए तो 50 गांव के लोगों को सुविधा हो जाएगी ।