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Jabalpur. जबलपुर में घरों से कचरा उठाने के लिए मॉनिटरिंग करने घरों की बाउंड्री वॉल पर लगाई गई आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन) चिप दीवार पर ही लटकी हुई है।इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा। स्मार्ट सिटी ने उसे लगाने वाली कम्पनी टेक महिंद्रा को 3.50 (साढ़े तीन) करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया। जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए कचरे में चले गए। वहीं नए महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू इस मामले में फाइल खुलवा रहे हैं और कार्रवाई करने वाले हैं।
अवॉर्ड भी मिल चुका
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने बेस्ट इनोवेशन के लिए जबलपुर स्मार्ट सिटी को अवॉर्ड भी दे दिया। इसे तत्कालीन महापौर स्वाति गोडबोले और तत्कालीन निगम आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला ने प्राप्त किया था। लेकिन आज तत्कालीन महापौर स्वाति गोडबोले इस मामले पर बोलने से बच रही हैं। अजब बात है कि जिसमें अवार्ड ले लिया वही प्रोजेक्ट टर्मिनेट कर दिया गया।
ये था प्रोजेक्ट
स्मार्ट सिटी के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर रवि राव का कहना है कि 2.76 लाख घरों में आरएफआईडी चिप लगाने के लिए टेक महिंद्रा कंपनी को 6.25 (सवा छह) करोड़ का ठेका दिया गया।लेकिन कम्पनी ने 2.25 लाख (सवा दो लाख) घरों में चिप लगाईं। एजेंसी को 3.50 (साढ़े तीन करोड़) करोड़ का भुगतान किया गया । अधूरा काम करने टेक महिंद्रा को टर्मिनेट कर दिया गया। स्मार्ट सिटी का काम चिप लगवाना और मॉनिटरिंग करना था। जबकि कचरा कलेक्शन का काम और चिप पर स्कैनर से स्कैनिंग का काम नगर निगम का था।नगर निगम ने कचरा कलेक्शन के लिए एस्सेल कम्पनी को ठेका दिया। लेकिन कम्पनी ने चिप को स्कैन नहीं किया।इस एजेंसी को भी टर्मिनेट किया गया।अब आगे उच्च अधिकारी निर्णय लेंगे।
ये था कांसेप्ट
घरों की बाउंड्रीवॉल पर चिप को लगाकर उसे स्कैनर से स्कैन करने पर इट्रिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में लगे स्क्रीन पर संबंधित घर के नक्शे पर ग्रीन लाइट जल जाती।इससे पता चलता है कि उस घर से कचरा उठ गया।यदि रेड लाइट जलती तो कचरा नहीं उठा। कचरा उठाने वाली गाड़ी में जीपीएस लगा होता है।
शिकायत हो चुकी
चिप घोटाला की शिकायत 2017-18 में चिप घोटाला की शिकायत शासन तक पहुंच चुकी है। तत्कालीन प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन संजय दुबे ने इस मामले की जांच के आदेश दिए।लेकिन जांच नहीं हुई।केवल दोनों एजेंसियों और प्रोजेक्ट को टर्मिनेट कर दिया।
लोगों को जानकारी ही नहीं
लोगों की घर की बाउंड्री वॉल पर चिप ठोक दी गई और लोगों को पता ही नहीं चला कि इसे क्यों लगाया गया।
फाइल निकलेगी
मेयर जगत सिंह अन्नू का कहना है कि आरएफआईडी चिप के मामले में जांच की जाएगी।उनके और एमआईसी के अधिकार में जो जांच होगी वह की जाएगी।