Bhopal: प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर खरीद-फरोख्त का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। इस बार मौका राष्ट्रपति चुनाव का है। राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा जब कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक कर वोट की अपील कर रहे थे, तभी कांग्रेस के कुछ आदिवासी विधायकों ने खरीद-फरोख्त का आरोप लगा दिया। विधायक उमंग सिंघार ने कहा कि द्रोपदी मुर्मू को वोट देने के लिए उनको 50 लाख का ऑफर मिला है। ये ऑफर बीजेपी जिला अध्यक्षों के जरिए दे रही है। वहीं एक और आदिवासी विधायक पांचीलाल मेड़ा ने कहा कि उनको भी पद और पैसे का प्रलोभन दिया गया। बैठक के बाद यशवंत सिन्हा ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि बीजेपी उनको हराने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है। सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को खरीदने की कोशिश की जा रही है। सवाल ये खड़ा हो रहा है कि जब बीजेपी की उम्मीदवार को प्रदेश के कांग्रेस विधायकों के वोट की जरूरत ही नहीं तो फिर क्यों इस तरह के आरोप लग रहे हैं, कहीं ये कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में मचे घमासान का असर तो नहीं।
इस खरीद-फरोख्त की राजनीति की असली वजह कुछ और तो नहीं
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि उनके आदिवासी विधायकों को बीजेपी एक-एक करोड़ के ऑफर दे रही है, लेकिन हमें पूरा भरोसा है, वे कांग्रेस के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को ही वोट देंगे। अंतरात्मा की आवाज जैसे भ्रम के जरिए बीजेपी की क्रॉस वोटिंग की चाहत पूरी नहीं होने वाली। कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी पहले भी ये खेल खेलती रही है, लेकिन हमारे विधायक बिकाऊ नहीं हैं। कांग्रेस के सारे विधायक यशवंत सिन्हा को वोट करेंगे।
आंकड़ों से समझिए पूरा गणित
राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित सांसद, सभी राज्यों के विधायक वोट करते हैं। इनके वोट की कुल वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 होती है। इस तरह जीत के लिए आधे से एक वोट की ज्यादा जरूरत होती है। मतलब उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम पांच लाख 43 हजार 216 वोट चाहिए होंगे। अभी बीजेपी के पास करीब छह लाख 70 हजार वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट से कहीं ज्यादा, वहीं सिन्हा के पास करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट वैल्यू से करीब डेढ़ लाख कम। ऐसे में अब तक जो आंकड़े दिख रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि द्रौपदी मुर्मू ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सकती हैं।
कहीं कांग्रेस के कुनबे में कलह वजह तो नहीं
अब जबकि कांग्रेस के विधायकों की वोट वैल्यू की बीजेपी को जरुरत ही नहीं है तो फिर यहां खरीद-फरोख्त की संभावना पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस खरीद-फरोख्त के जिन्न को कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने ही बाहर निकाला है। ये विधायकों की आपसी गुटबाजी है, जो इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में कुल 47 आदिवासी विधायक हैं, जिनमें से 28 कांग्रेस के पास और 18 बीजेपी के पास हैं, जबकि एक विधायक निर्दलीय है। कांग्रेस के विधायकों की 131 वैल्यू के आधार पर कुल वैल्यू 3668 है, जबकि बीजेपी विधायकों की कुल वैल्यू 2358 है। बीजेपी को कांग्रेस के विधायकों की वोट वैल्यू की जरूरत ही नहीं है।
अंतरात्मा पर वोट दें विधायक
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के आदिवासी विधायकों से अपील की है कि वे अंतरात्मा पर वोट करें। पहली बार ये मौका आया है, जबकि आदिवाासी वर्ग से कोई राष्ट्रपति बनने जा रहा है और मौका पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को दिया है। आदिवासी दलगत राजनीति से उपर उठकर वोट करें। वहीं, मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से भी अपील की है कि वे द्रोपदी मुर्मू का साथ दें। वहीं बीजेपी के महामंत्री भगवानदास सबनानी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। सबनानी ने कहा कि ये खरीद-फरोख्त कांग्रेस की राजनीति रही होगी। बीजेपी की उम्मीदवार जीती हुई हैं और उनको यहां के कांग्रेस विधायकों की जरूरत ही नहीं है।