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BHOPAL. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा (56) का 11 सितंबर (रविवार) को हार्ट अटैक से निधन हो गया था। बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस में भी उनके असमय निधन पर शोक की लहर है। कमलनाथ के मीडिया सलाहकार नरेंद्र सलूजा ने एक लेख लिखकर उमेश को श्रद्धांजलि दी है।
पार्टी के प्रति निष्ठा काबिले तारीफ थी
सलूजा लिखते हैं- यूं तो जीवन में जो आया है, उसने एक दिन जाना है, लेकिन उमेश शर्मा का इस तरह से असमय चले जाना, अभी तक इस खबर पर विश्वास नहीं हो पा रहा है। बीजेपी के ओजस्वी, प्रखर प्रवक्ता अपनी अद्भुत भाषा शैली और वाकपटुता के लिए जाने जाने वाले, एक जिंदादिल और खुशमिजाज व्यक्तित्व के धनी उमेश शर्मा हम सभी को असमय छोड़ कर चले गए। अपनी पार्टी के प्रति उनका समर्पण और निष्ठा काबिले तारीफ थी। एक हम्माल की भांति रात-दिन दी गई जवाबदारियो के निर्वहन में, कर्तव्य पथ पर पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जुटे रहते थे।
हमेशा खुशमिजाज अंदाज में मिलते थे
सलूजा के मुताबिक, कोई भी राजनीतिक टिप्पणी करो, यदि सबसे पहले किसी का जवाब आता था तो वह थे उमेश शर्मा। वे वाकपटुता में माहिर थे, कई वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के विजेता रहे। उनका शब्दों का चयन और संयोजन अद्भुत था। रोज उनसे विभिन्न मीडिया ग्रुपों पर तीखी नोक-झोंक होती थी। एक दूसरे की लिखी टिप्पणी का हम आपस में पुरजोर जवाब देते थे, लेकिन उस सबके बावजूद भी जब भी उनसे मिलना होता था तो गले लग के वही खुशमिजाज अंदाज से मिलना। ऐसा लगता ही नहीं था कि कभी हमारी कोई नोक-झोंक भी हुई हो। कई बार उनके साथ टीवी डिबेट में भी भाग लिया। अंदर खूब बहस, बाहर निकलते ही चाय पर वही दोस्ताना अंदाज में हंसी- ठिठोली।
कुदरत ने उनके साथ छलावा किया
सलूजा के मुताबिक, जब भी उनसे मिलना होता था तो यह बात जरूर होती थी कि उनकी निष्ठा, समर्पण और काम के हिसाब से उन्हें आज तक वह सब नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। इस बात का अफसोस उन्हें भी रहता था, फिर भी पार्टी के प्रति अपने समर्पण और निष्ठा में उन्होंने कभी कमी नहीं आने दी। मेरा ऐसा मानना है कि कुदरत ने भी उनको असमय बुलाकर उनके साथ छलावा किया। वैसा ही राजनीति में भी उनके साथ योग्य और हकदार होने के बावजूद हमेशा छलावा हुआ।
वे मेरे परिवार के एक सदस्य की तरह थे। उनसे काफी आत्मीय संबंध थे, उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। बीजेपी ने आज अपना एक सच्चा सिपाही खो दिया है। बीजेपी के लिये उसकी भरपाई करना मुश्किल है। उनको हम कभी भुला नहीं सकते। अलविदा उमेश शर्मा…।
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