Bhopal. एक महीने पहले कांग्रेस (Congress) की उदयपुर (Udaipur) में चिंतन बैठक हुई थी। इस बैठक में संगठन की मजबूती और घटते राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए कुछ अहम फैसले भी लिए गए थे। पहला फैसला एक व्यक्ति एक पद पर रहेगा और दूसरा फैसला था कि कार्यकर्ता को तवज्जो मिलेगी राजनीतिक परिवार से पैराशूट उम्मीदवार नहीं उतारे जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Pradesh Congress Committee) ने भी कहा था कि निकाय चुनाव में कार्यकर्ता को प्राथमिकता दी जाएगी फिर चाहे वो हारे या जीते। लेकिन कांग्रेस की मेयर उम्मीदवारों की सूची में इस गाइड लाइन का नामो निशान नहीं है। कांग्रेस ने 16 में से 15 नगर निगमों के मेयर पद के उम्मीदवारों का ऐलान किया जिनमें आधे नाम या तो मौजूदा विधायक (MLA) के हैं या फिर राजनीतिक परिवार (Political Family) की बहू या बेटी के। मेयर उम्मीदवारों में तीन विधायक है। और 5 महिलाएं राजनीतिक परिवार से आती हैं। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा कहते हैं कि चुनाव में जीत का आधार बहुत मायने रखता है।
गाइड लाइन पर भारी उम्मीदवार
- इंदौर — संजय शुक्ला — विधायक
कहते हैं राजनीति जो न कराए वो कम है। चुनाव जीतने के लिए सिर्फ एक ही फैक्टर चुना जाता है वो है जीत की संभावना और आधार। इन फैक्टर में जो भी गाइड लाइन आती है उसे साइड लाइन कर दिया जाता है। हर चुनाव में यही होता है पहले गाइड लाइन बनती हैं फिर उसे तोड़ दिया जाता है। कांग्रेस के अलावा बीजेपी में भी इसके उदाहरण सामने आते रहते हैं।