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Indore. पंचायत चुनावों में कांग्रेस की सबसे भरोसेमंद विधानसभा देपालपुर ने पार्टी को बुरी तरह निराश किया है। यहां कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को सरपंच से लेकर जिला पंचायत तक हार ही हार मिल रही है। अभी नगर पंचायतों के चुनाव होना बाकी हैं।
इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास ग्रामीण क्षेत्र की एकमात्र सीट देपालपुर ही है। यहां पार्टी के तेज तर्रार विधायक विशाल पटेल को लेकर पार्टी को भारी उम्मीदें थीं क्योंकि वे न केवल देपालपुर में सक्रिय रहते हैं बल्कि पिछला चुनाव भी विपरीत परिस्थितियों में जीते थे। इसके बाद देपालपुर को लेकर पार्टी निश्चिंत थी लेकिन हाल में आए नतीजे और रुझानों ने पार्टी के होश उड़ा दिए हैं क्योंकि त्रिस्तरीय चुनावों में तकरीबन हर स्तर पर ही पार्टी अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई है।
जिला पंचायत में चारों सीटें जाएंगी
कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन जिला पंचायत में होता दिख रहा है। जिला पंचायत की 17 में से चार सीटें देपालपुर विधानसभा में हैं और गिनती से आए रुझानों में साफ लग रहा है कि देपालपुर की चारों सीटों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी हार सकते है। हालांकि अभी अधिकृत परिणामों की घोषणा होना बाकी है।
जनपद में भी हालत खराब
देपालपुर की 25 जनपद सीटों में भाजपा समर्थितों के पक्ष में 14 सीटें जाती दिख रही हैं जबकि कांग्रेस समर्थितों के पास नौ और दो बागी जीतते दिख रहे हैं। यहां जनपद अध्यक्ष भाजपा का बनने की संभावना है। इसी तरह सरपंचों के चुनाव में कांग्रेस के लिए बुरी खबर है। हालांकि पंचायत के सारे चुनाव पार्टी आधार पर नहीं होते हैं लेकिन अमूमन स्पष्ट रहता है कि कौन किस पार्टी के समर्थन से लड़ रहा है। सरपंचों के नतीजों में कांग्रेस समर्थित 54 उम्मीदवार जीतने का दावा कांग्रेस कर रही है, जबकि 48 भाजपा समर्थित बताए जा रहे हैं। आठ स्वतंत्र उम्मीदवार भी जीते हैं।
नगर पंचायत का चुनाव 6 जुलाई को
इंदौर जिले में कुल आठ नगर पंचायतें हैं उनमें से आधी यानी चार केवल देपालपुर विधानसभा में हैं। इनमें बेटमा, गौतमपुरा, हातोद और देपालपुर शामिल हैं। पिछली बार यहां गोतमपुरा और बेटमा में बीजेपी का राज था, जबकि देपालपुर और हातोद कांग्रेस के हिस्से आई थी। अब देखना है पार्टी इस प्रदर्शन में सुधार करती है, यथास्थिति बनाए रखती है या जिला पंचायत, जनपद जैसा निराशाजनक परिणाम यहां भी आता है।