भोपाल. मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग तेज हो गई है। अब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने योजना शुरू करने के लिए शिवराज सरकार से मांग की है। गोविंद सिंह ने बताया कि हमने विधानसभा में प्रश्न लगाया है। इस मुद्दे को संकल्प के माध्यम से विधानसभा में प्रस्तुत करेंगे। पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर सदन में चर्चा की जाएगी। जब संकल्प पारित होगा तो सरकार कानून बनाने और पेंशन देने के लिए मजबूर हो जाएगी।
कांग्रेस ने की लागू करने की शुरूआत: गोविंद सिंह ने कहा कि पेंशन बुढ़ापे में एक मजबूत सहारा होती है, जिसे बहुत पहले ही छीन लिया गया था। लेकिन अब इस पहल की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने की है। मैं राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने कर्मचारियों की भावनाओं को समझा और पेंशन योजना लागू की। अगर सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकारी कर्मचारियों के हितैषी हैं। तब उनको भी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए। अगर वह इस योजना को लागू नहीं करते हैं। इससे साफ हो जाएगा कि शिवराज सरकार कर्मचारी विरोधी सरकार है।
बड़े आंदोलन की आहट: मध्य प्रदेश में शिक्षक, संविदाकर्मी और स्थाईकर्मी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। इसको लेकर मनोकामना यात्रा भी निकाल चुके हैं। अब अप्रैल में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है। कर्मचारियों का कहना है कि अंशदायी पेंशन में कर्मचारी के मूल वेतन से 10% राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है और 14% राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50% राशि एकमुश्त दे दी जाती है और शेष 50% से पेंशन बनती है। यह राशि 3-4 हजार रु. से ज्यादा नहीं होती। इसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं।