ललित उपमन्यु, इंदौर. एक ओर कांग्रेस की बैठक के दौरान एकता की कस्में और वादे किए गए। बैठक में कांग्रेस ने एकता दिखाई। वहीं दूसरी ओर इंदौर में युवक कांग्रेस की गुटबाजी इस कदर रही कि कांग्रेस को तीन शहर अध्यक्ष बनाने को मजबूर होना पड़ा। महिला कांग्रेस भी इसी तरह खंडित हुई थी, कुर्सी अब तक खाली है। शहर अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कांग्रेस का एक खेमा सक्रिय है। शहर कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा है।
युवक कांग्रेस में 3 शहर अध्यक्ष
3 महीने पहले रमीज खान को अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद तत्सम भट्ट और स्वप्निल कांबले को भी अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। ये पहला मौका है जब शहर में युवक कांग्रेस के तीन-तीन अध्यक्ष बने हों। रमीज घेर लिए जाएंगे ये कहानी उनके अध्यक्ष बनते ही बनना शुरू हो गई थी। कुछ दिनों में इसके एक-एक अध्याय बाहर आने लगे।
भोपाल और दिल्ली तक पहुंचा विवाद
रमीज की कार्यप्रणाली से नाराज 17 पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिन्हें अभी अध्यक्ष बनाया गया, वे भी इन्हीं 17 बागियों में शामिल थे। विवाद भोपाल और दिल्ली तक पहुंच गया । बड़े नेताओं ने भी इसे हवा दी, नतीजा ये हुआ कि भोपाल में युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष इकट्ठा हुए। इसके बाद तो दो नए पद सृजित करके तीन अध्यक्ष बना दिए गए जिससे युवक कांग्रेस शांत हो जाए।
महिला कांग्रेस भी बिखरी है
दो-तीन महीने पहले इंदौर में महिला कांग्रेस में भी यही अध्याय लिखा गया था। इंदौर की ही अर्चना जायसवाल जब महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष बनीं तो उन्होंने अपने शहर के लिए वीटो का इस्तेमाल करते हुए सीधे दो-दो शहर अध्यक्ष बना दिए। एक तो साधना भंडारी थीं और दूसरी जया तिवारी थीं जो कुर्सी पाने के कुछ महीनों पहले तक भाजपा से जुड़ी हुईं थीं। इन दोनों की नियुक्ति शोभा ओझा समर्थक शशि यादव को हटाकर की गई थी। यहीं से मामले ने तूल पकड़ा। प्रदेश और दिल्ली तक अर्चना की कथित मनमानी के किस्से गए। नतीजा ये हुआ कि शहर कांग्रेस की दोनों अध्यक्ष तो हटाईं गईं हीं, खुद अर्चना भी अपनी कुर्सी नहीं बचा सकीं। तब से इंदौर में महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है।
शहर अध्यक्ष को लेकर भी हलचल
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक प्रमोद टंडन अब भाजपा में हैं। जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष थे तब कमलनाथ अपने समर्थक विनय बाकलीवाल को अध्यक्ष बनाना चाहते थे लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। मतलब यहां भी दो-दो अध्यक्ष हो गए थे। प्रमोद जब सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए तो बाकलीवाल फुल टाइम अध्यक्ष हो गए। अब शहर कांग्रेस में बाकलीवाल की कुर्सी को लेकर हलचल है। कहा जा रहा है उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लिहाजा एक और अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए ताकि संगठन चलाने में मदद मिल सके। इसके लिए बाकलीवाल विरोधी खेमा योग्य चेहरे की तलाश में है।