भोपाल. मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन (Electricity Production) 40% तक आ गया है। 60% बिजली सेंट्रल सेक्टर (Central Sector) से लेनी पड़ रही है। हालांकि, इसकी भी एक सीमा (Limit) है। उससे ज्यादा बिजली ले नहीं सकते, अगर ली तो कंपनियों पर जुर्माना लगेगा और इसकी भरपाई बिजली महंगी करके होगी। यह भार भी कस्टमर पर ही पड़ेगा। MP पॉवर जनरेशन के थर्मल प्लांट्स में बिजली बनाने के लिए रोज 52 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। इस लिहाज से देखें तो 3-4 दिन का कोयला बचा है।
मध्य प्रदेश में कोयले की क्या स्थिति?
प्रदेश में कुल 5.92 लाख टन कोयला बचा है। इनमें से पावर जनरेशन कंपनी के प्लांट्स के पास 2.23 लाख टन कोयला बाकी है। सेंट्रल सेक्टर खरगोन प्लांट पर कोयला खत्म हो चुका है। गाडरवाड़ा में एक दिन तो खंडवा के सिंगाजी प्लांट पर 2 दिन का स्टॉक है।
इतनी डिमांड, इतनी बिजली बन रही
खेती-किसानी (Farming), कारखानों (Industries) से एकसाथ मांग होने पर बिजली की डिमांड 16 हजार मेगावॉट तक पहुंच जाती है। पूरे प्रदेश में 8 अक्टूबर को 10 हजार मेगावॉट की डिमांड थी, जबकि 3970 मेगावॉट बिजली बनी। इसी दिन कंपनियों मे 6400 मेगावॉट बिजली सेंट्रल सेक्टर से ली।
दावे, निशाने के बीच असलियत
मप्र के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि कोल इंडिया को बकाए के पेमेंट (Payment) की व्यवस्था कर ली गई है। प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी, लेकिन नवरात्रि में इसकी आशंका है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कोयले का भारी संकट है। बिजली संयंत्रों की सारी इकाइयां बंद हो चुकी हैं। प्रदेश गहरे बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी के MD मनजीत सिंह के मुताबिक, थर्मल पॉवर प्लांट्स में कोयले की उपलब्धता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कोल इंडिया और रेलवे से बात की जा रही है। हमारी स्थिति सामान्य नहीं है, लेकिन अन्य राज्यों से हालात बेहतर हैं।