BDS के 4 हजार मेडिकल छात्रों के भविष्य पर संकट, 2 साल से जारी नहीं हुआ रिजल्ट

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Pooja Kumari
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BDS के 4 हजार मेडिकल छात्रों के भविष्य पर संकट, 2 साल से जारी नहीं हुआ रिजल्ट

भोपाल। प्रदेश के करीब 4 हजार डेंटल स्टूडेंट्स (BDS student) का भविष्य खतरे में पड़ गया है। मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर (medical university) की लापरवाही के चलते बीते दो साल से स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी नहीं हो रहे हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन 10 प्राइवेट और 1 सरकारी डेंटल कॉलेज (dental college) से इंटरनल असेसमेंट, वॉयवा और प्रैक्टिकल के मार्क्स का डेटा नहीं ले पा रही है। दिसंबर 2021 में यूनिवर्सिटी की एग्जाम कंट्रोलर (exam controler) वृंदा सक्सेना ने बताया था कि कॉलेजों से जल्द डेटा मिलते ही रिजल्ट जारी कर दिए जाएंगे। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद फरवरी में भी वृंदा सक्सेना वही बात दोहरा रहीं हैं। यानी यूनिवर्सिटी प्रशासन इतना लापरवाह हैं कि अपने ही संबद्ध (affiliated) कॉलेजों से ही डेटा नहीं ले पा रहा है। 



हाईकोर्ट के भरोसे बैठा मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन : यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रिजल्ट तैयार करने का ठेका आउटसोर्स कंपनी माइंड लॉजिक (mind logic) को दिया था। लेकिन जब कंपनी पर गड़बड़ी करने के आरोप लगे तो उसे टर्मिनेट कर दिया गया। जबलपुर हाईकोर्ट ने कंपनी के डेटा को जारी किए जाने पर रोक लगा दी। इसके बाद यूनिवर्सिटी सीधे कॉलेजों से डेटा लेकर रिजल्ट जारी कर सकती थी। लेकिन यूनिवर्सिटी भी हाईकोर्ट के भरोसे बैठी है। उसे उम्मीद हैं कि माइंड लॉजिक कंपनी के पोर्टल पर दर्ज इंटरनल असेसमेंट, प्रैक्टिकल और वायवा के नंबर मिल जाएंगे और उसे समायोजित कर रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा। 



रिजल्ट दिया नहीं और टाइम टेबल जारी कर दिया : मेडिकल यूनिवर्सिटी ने बीडीएस फोर्थ ईयर का टाइम टेबल जारी कर दिया है। इसकी परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरु होकर 14 मार्च 2022 तक चलेंगी। परीक्षा फार्म भरने की आखिरी तारीख 8 फरवरी रखी गई हैं और फीस 8 हजार 600 रुपए है जो नॉन रिफंडेबल है। लेकिन बड़ा सवाल यही हैं कि जब सेकंड ईयर के बैक स्टूडेंट्स और थर्ड ईयर के रेगुलर स्टूडेंट्स का रिजल्ट ही नहीं आया तो वे फोर्थ ईयर का फार्म कैसे भरेंगे क्यों कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के नियम मुताबिक फोर्थ ईयर का फार्म भरने के लिए पिछला रिजल्ट क्लीयर होना चाहिए।



अब यूनिवर्सिटी को सता रहा छात्रों के भविष्य का डर : रिजल्ट जारी किए बिना टाइम टेबल जारी करने की मुख्य वजह एमडीएस है। दरअसल 1 अप्रैल से पहले फोर्थ ईयर क्लीयर कर चुके छात्र ही एमडीएस के लिए नीट की परीक्षा दे सकते हैं। इसलिए यूनिवर्सिटी फोर्थ ईयर का एग्जाम जल्द कराना चाहती है। लेकिन थर्ड ईयर का रिजल्ट जारी किए बिना ये संभंव नहीं है। लिहाजा यूनिवर्सिटी ने जबलपुर हाईकोर्ट में अंतरिम आवेदन दिया है जिस पर सुनवाई 4 फरवरी को होनी है।



दो साल से जारी नहीं हुए रिजल्ट : यूनिवर्सिटी ने बीते दो साल 2019-20 और 2020-21 में आयोजित परीक्षाओं का रिजल्ट जारी नहीं किया है। दूसरी तरफ नया टाइम टेबल जारी कर दिया गया है। जिसके कारण स्टूडेंट्स और बड़ी मुसीबत में पड़ गए हैं। रिजल्ट के लिए छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें हर जगह से सिर्फ आश्वासन ही मिला है।



सेकंड ईयर क्लीयर नहीं और थर्ड ईयर का एग्जाम ले लिया : दो साल से रिजल्ट जारी नहीं होने से सभी स्टूडेंट की डिग्री अधर में लटक गई है। डेंटल स्टूडेंट शिशिर राज ने 2017-18 में एडमिशन लिया था। इस आधार पर उन्हें अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी। लेकिन शिशिर का सेकंड ईयर ही क्लीयर नहीं हुआ हैं। इसके बावजूद शिशिर थर्ड ईयर का एग्जाम भी दे चुके हैं।



स्टूडेंट से एफिडेफिट लेकर दिलाया एग्जाम : शिशिर बताते हैं कि 2018-19 में जिन स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया था। उनका रिजल्ट 2020 में आया। इस एग्जाम में जिन स्टूडेंट्स का बैक लग गया था, उनकी परीक्षाएं तो ले ली गई लेकिन रिजल्ट जारी नहीं किया गया। लिहाजा स्टूडेंट्स का ईयर क्लीयर नहीं हुआ। एफिडेफिट के आधार पर यूनिवर्सिटी ने अगले साल के लिए 2021 में परीक्षा ले ली। अब यदि ईयर बैक के रिजल्ट में स्टूडेंट का सब्जेक्ट क्लीयर नहीं हुआ तो 2021 में दी हुई एग्जाम का रिजल्ट भी शून्य हो जाएगा। 



कोर्ट जाने की राह दिखा रहे सीएमई : डेंटल स्टूडेंट सीएम गुर्जर ने बताया कि रिजल्ट की परेशानी को लेकर छात्र कई बार चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और कमिश्नर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) निशांत वरवड़े से गुहार लगा चुके हैं। गुर्जर ने बताया कि सीएमई समस्या का समाधान करने की बजाए स्टूडेंट्स को कोर्ट जाने की सलाह देते हैं।


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