Damoh. पंचायत और निकाय चुनाव के पहले बड़ी संख्या में बीजेपी के पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पार्टी जिलाध्यक्ष को इस्तीफे दे दिए। कार्यकर्ताओं ने पार्टी के क्रियाकलापों को गलत करार दिया। दो दिन पहले जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ ने पार्टी से इस्तीफा दिया था। जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी, उन्होंने जयंत मलैया के साथ देने पर साफ कहा कि हम किसी और पार्टी में नहीं जा रहे, लेकिन ये भी कहा कि हम नए और ऊर्जावान विचार का साथ जरूर देंगे।
इन्होंने पार्टी छोड़ी
15 जून को दमोह बीजेपी जिलाध्यक्ष को तीन बार जिला महामंत्री और युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे रमन खत्री, पूर्व युवा मोर्चा और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे कपिल सोनी, 5 पूर्व मंडल अध्यक्षों समेत बड़ी संख्या में पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे दे दिए। इन नेताओं ने पार्टी और नेतृत्व पर गंभीर आरोप भी लगाए। दमोह बीजेपी के पदाधिकारी इस्तीफा देने वाले नेताओं को पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया का समर्थक बता रहे हैं। दो दिन पहले मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने पार्टी से इस्तीफा दिया था।
ये है मामला
पूरा माजरा सालभर पहले दमोह में हुए विधानसभा उपचुनाव का है। तब कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए राहुल लोधी को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा और उनकी करारी हार हुई। इस हार का ठीकरा मलैया परिवार पर फोड़ा गया। मलैया के बेटे सिद्धार्थ समेत एक साथ पांच मंडल अध्यक्षों को पार्टी से निलंबित कर दिया गया। सालभर बाद भी उनकी वापसी की कोई पहल नहीं हुई। इतना ही नहीं, जयंत मलैया को पार्टी ने शो कॉज नोटिस थमाया। बाद में पार्टी ने उन्हें कार्यक्रमो में शामिल भी किया, लेकिन मलैया समर्थकों को हाशिए पर रखा गया। अब जब चुनावी बिसात बिछी है तो मलैया समर्थक आक्रोश में है और बीजेपी के समीकरण बिगाड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इस्तीफे देने के बाद इन नेताओं ने जो सवाल खड़े किए है, उन सवालों ने बीजेपी की अंतर्कलह सड़क पर ला दी है।
जिन्होंने बीजेपी छोड़ी, उनके तीखे सवाल
पूर्व जिला महामंत्री रमन खत्री, पूर्व युवा मोर्चा और मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष कपिल सोनी ने बीजेपी छोड़ दी। इन नेताओं ने बीजेपी से सवाल किए हैं कि पार्टी की 40 साल से सेवा करने वाले जयंत मलैया को उपेक्षा क्यों की गई? हमसे पूछकर तो टिकट कांग्रेस से बीजेपी में आए राहुल लोधी को नहीं दिया। उपचुनाव हारने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और मुख्यमंत्री खुद क्यों नही लेते, जबकि पूरा मंत्रिमंडल दमोह में डेरा डाले हुए था। बाहर से आने वाले को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दे दी जाती हैं। जबकि सालों से काम कर रहे लोग साइडलाइन कर दिए गए। हालांकि, इन बागी नेताओं ने साफ किया कि वो किसी दल में शामिल नहीं हो रहे। लेकिन ये तो कहा जा सकता है कि चुनाव में क्षेत्र में बीजेपी के गणित में पलीता जरूर लग सकता है।
बीजेपी ने क्या कहा?
बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रीतम लोधी का कहना है कि ये वो लोग थे, जिनकी वजह से पार्टी को उपचुनाव में नुकसान हुआ। प्रदेश नेतृत्व ने इन पर कार्रवाई की थी और अब चुनाव के दौरान उनका ये कदम सामने आया है। इससे बीजेपी पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।