धार: जन्म से ना तो सुन, ना ही बोल पाती थी, वही मूक-बधिर बनी बच्चों की आईकॉन

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धार: जन्म से ना तो सुन, ना ही बोल पाती थी, वही मूक-बधिर बनी बच्चों की आईकॉन

धार. पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उडा़न होती है। यह पंक्ति धार (Dhar) जिले के छोटे से गाँव में जन्मी वंदना (vandna) पर पूर्णतः लागू होती है। वह शरीर से भले ही असमर्थ थी, फिर भी हौसलों से दिल्ली (delhi) के लिए उड़ान भरी। अब वह मूक बधिर (Deaf mute children) बच्चों की आईकॉन (icon) बनकर दिल्ली की जानी मानी (company)कंपनी में जॉब(job) कर असमर्थों का सहारा बन नजीर पेश कर रही हैं।

वंदना जन्म से थीं विकलांग

अक्सर देखा जाता है कि जन्म से अगर बच्चा कमजोर या विकलांग(Disabled) पैदा होता है, तो उसके माता-पिता हिम्मत हार कर उसे उसके हाल पर छोड़ देते हैं। उसकी परवरिश भी ठीक से नहीं कर पाते है। आज की सच्ची कहानी है धार जिले (Dhar District)के समीप ग्राम टकरावदा की  रहने वाली वंदना पाटीदार की। वह जन्म से न तो सुन पाती हैं, न ही बोल पाती हैं। 

गांव से गुड़गांव तक का सफर

26 वर्षीय वंदना पाटीदार के माता-पिता ने हिम्मत न हारते हुए उनको इंदौर के मूक-बधिर संगठन से पढ़ाई करवाई। वंदना पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पैरों पर खड़े होकर दिल्ली(delhi) के गुड़गांव(Gurgaon) में जॉब कर रहीं हैं।

मां ने खुशी जाहिर की

मुझे तो बहुत खुशी है, मैं भगवान की शुक्र गुजार हूं कि मेरी बेटी की लाईफ बन गई। संघर्ष तो बहुत किया । ईश्वर की मर्जी के बिना कुछ नहीं होता। इच्छा वंदना के पापा की भी थी और मेरी भी थी। इन्होंने आगे कदम बढ़ाया, तो मैंने भी उनका साथ दिया। हमने मिलकर अपनी बेटी को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए। अब वंदना की कोई चिंता नहीं है क्योंकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो गई है। बस इतनी चिंता है कि इसको अच्छा जीवनसाथी मिल जाए और इसका घर बार बस जाए।

वंदना के भाई ने अनुभव साझा किए

जब वंदना के भाई प्रदीप से वंदना के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि वंदना से बात करने में उनके परिवारिक सदस्यों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती है।  वह सांकेतिक भाषा में बात करती हैं। जिसे मेरा पूरा परिवार समझता है क्योंकि हम वंदना को बचपन से देख रहे हैं। वह भी हमारी बात को आसानी से समझ लेती हैं। यदि उनके प्रशिक्षण की बात करें, तो उन्होंने सांकेतिक भाषा का क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन किया है। वह उस भाषा को पढ़ना, लिखना और इशारों में समझ जाती हैं। और किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से निपुण तरीके से संवाद कर लेती हैं। जैसा आप और हम करते हैं। 

वीडियो कॉल और मैसेज भी करती हैं - वंदना

वंदना अपने मम्मी-पापा के हाल-चाल जानने के लिए वीडियो कॉल पर बात भी करती हैं। वंदना अपने परिवार और परिचितों से हिंदी-इंग्लिश में मैसेज के माध्यम से बात भी करती हैं।

द सूत्र के लिए धार से राजेश शर्मा 

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