अरुण तिवारी, भोपाल. एक बार फिर कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर है। लेकिन कांग्रेस की ये राह साफ्ट नहीं रही, बल्कि विवादों के कांटे यहां पर बिछने लगे हैं। रामनवमीं और हनुमान जयंती मनाए जाने का पत्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जारी कर बर्र के छत्ते में पत्थर मारने जैसा काम कर दिया। कांग्रेस के इस फरमान पर पार्टी के भीतर ही उबाल आ गया। जब द सूत्र ने पड़ताल की तो पता चला कि कांग्रेस के नेता तो पहले से ही हिंदुत्व की राह पर चल पडे हैं। मुद्दा यह है कि क्या सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए बहुसंख्यक वोटरों को सॉफ्ट टारगेट बनाया जा रहा है।
दाता के दरबार में सवाली कांग्रेस नेता
कोई धर्म ध्वजा हाथ में लिए है। कोई मंदिर में शीश नवा रहा है, तो कोई कथाओं में शिरकत कर रहा है। ये सभी कांग्रेस के नेता, जो समय समय पर हिंदू धर्म के कार्यक्रमों में नजर आते हैं। कमलनाथ तो खुद को हनुमान भक्त कहते ही हैं। दरअसल कांग्रेस नेता पहले से ही इस तरह के कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं, लेकिन अब खुलकर करते हैं और कांग्रेस ने खुलकर ही रामनवमी और हनुमान जयंती मनाने के जो निर्देश दिए उस पर सवाल पार्टी के भीतर से ही उठे। विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यदि रामनवमीं और हनुमान जयंती मनाने को कहा जा रहा है, तो रमजान की बात भी की जानी चाहिए। जब सवाल उठे तो बीजेपी को मौका मिला कांग्रेस पर हमलावर होने का क्योंकि कांग्रेस ने पहले कभी भी धार्मिक आयोजन मनाए जाने को लेकर सर्कुलर जारी नहीं किया और बीजेपी नेता डॉ हितेष वाजपेयी कहते हैं कि कांग्रेस को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए। लेकिन कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि वो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है।
सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस
सलकनपुर में माता के दरबार में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव माथा टेकने पहुंचे तो कांग्रेस में सॉफ्ट हिंदुत्व की बहस शुरु हो गई। सूत्र ने पड़ताल की तो कई विधायक इस राह पर चलते हुए नजर आए। विधायक संजय शुक्ला लोगों को अयोध्या ले जाकर भगवान राम के दर्शन करा रहे हैं तो आलोक चतुर्वेदी देवी मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। विशाल पटेल, प्रवीण पाठक से लेकर लखन घनघोरिया, पीसी शर्मा, विनय सक्सेना, निलय डागा और सज्जन सिंह वर्मा नवरात्रि में सभी भक्ति के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं।
एंटोनी रिपोर्ट से पशोपेश में कांग्रेस
आपत्ति तो आरिफ मसूद ने इस बात को लेकर उठाई कि सर्कुलर हर धर्म के आयोजन को लेकर जारी करना चाहिए। दरअसल कांग्रेस पशोपेश में है। उसकी वजह है एके एंटोनी की रिपोर्ट। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटोनी ने 2014 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा था कि कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह ये है कि बहुसंख्यक समाज को लगता है कि वो एक अल्पसंख्यक समुदाय की पार्टी है और कांग्रेस लोगों को समझा नहीं पाई।
2014 के बाद कांग्रेस ने बहुसंख्यक समाज को साधने के जतन शुरू किए। कांग्रेस नेता हिंदू धर्म के कार्यक्रमों में शिरकत करते नजर आए लेकिन हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस अभी भी इस बात पर जोर नहीं दे पाई कि सांप्रदायिकता के सभी रूप खतरनाक हैं। इसी की वजह से औवेसी जैसी पार्टियों को सियासत में दाखिल होने का मौका मिला। बहरहाल जिस तरीके से आरिफ मसूद ने सवाल खड़े किए है, उससे एक बात साफ है कि कांग्रेस दोराहे पर खड़ी है।