भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक शब्द विशेष को लेकर सियासत फिर गर्माई हुई है। ये शब्द है गद्दार और राजनीति (mp gaddar Politics) के दो बड़े किरदारों राजा-महाराजा (raja vs maharaja) को घेरने के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टियां इसे तीर की तरह इस्तेमाल करती आई हैं। लेकिन इस बार खास बात यह है कि इस शब्द को लेकर ज्यादा हमलावर रही BJP का टार्गेट पर्सन महाराजा से बदलकर राजा हो गया है। वहीं, गद्दार शब्द को लेकर अब तक बचाव की मुद्रा अपनाने वाली कांग्रेस (congress) महाराजा पर हमलावर हो गई है। इस बार गद्दार को लेकर ताजा विवाद का तीर उसके पाले से ही छोड़ गया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर वो क्या कारण हैं जिनकी वजह से सियासत के महाराजा यानि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) और राजा यानि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) के पूर्वजों पर गद्दारी के आरोप लगते हैं।
जानिए क्यों लगता है सिंधिया परिवार पर गद्दारी का आरोप ?
पहले बात करते हैं सिंधिया राजघराने (Scindia royal family allegation of gaddari) पर लगने वाले आरोप और उससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों की। ग्वालियर रियासत (Gwalior State) के इस राजघराने पर समय-समय पर 1857 की क्रांति के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (queen of jhansi Laxmibai) का साथ न देकर अंग्रेजों की मदद करने का आरोप लगता रहा है। इसका प्रमुख आधार हिन्दी की जानी-मानी कवि सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan poetry) की प्रसिद्ध और लोकप्रिय कविता (खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी) में लिखी गई एक लाइन है। इसमें लिखा गया है कि अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी। उस समय ग्वालियर रियासत के राजा जयाजीराव सिंधिया (Gwalior Jayajirao Scindia) थे। इस कविता के अलावा वीडी सावरकर ने भी अपनी किताब 'इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस 1857' में सिंधिया राजघराने पर अंग्रेजों का साथ देने के आरोप लगाए हैं। कहा जाता है कि सिंधिया राजघराने के साथ न देने की वजह से ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं। रानी के बलिदान के बाद अंग्रेजों ने उनके सिपहसालार तात्या टोपे (Tatya tope) को भी हिरासत में ले लिया था। इसके बाद अंग्रेजी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम (freedom struggle of 1857) को पूरी तरह कुचल दिया था।
कांग्रेस की नजर में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दामन भी दागदार
हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ (Kamalnath govt) की सरकार गिराने और पाला बदलने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधकर विवाद को फिर से भड़का दिया है। करीब दो दशकों से ज्यादा समय तक कांग्रेस के साथ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में अपनी दादी यानि राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Vijaya Raje Scindia) की तरह कांग्रेस से बगावत कर 53 साल पुराना इतिहास (1967 में राजमाता ने प्रदेश में 36 विधायक तोड़कर मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा (DP Mishra) की कांग्रेस सरकार गिराकर गोविंद नारायण सिंह को संविद यानि संयुक्त विधायक दल सरकार का सीएम बनवा दिया था) दोहरा दिया। इस बड़े सियासी उलटफेर के बाद राजमाता भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) का एक बड़ा और ताकतवर चेहरा बन गईं थीं। इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी में शामिल हो गए। जिससे अल्पमत में आ चुकी कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
BJP के बाद कांग्रेस के सिंधिया पर आरोप
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी में एक कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री की हैसियत हासिल कर ली लेकिन अपने-अपने दामन पर कांग्रेस को धोखा देने के आरोपों के दाग लगने से नहीं बचा पाए। सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब बीजेपी सिंधिया राजघराने पर देश से गद्दारी का आरोप लगाती थी। प्रदेश में 2020 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद से कांग्रेस और उसके नेता सिंधिया को गद्दार बताने का कोई मौका नही छोड़ रहे हैं। सिंधिया के पार्टी और विचारधारा बदलने के साथ ही उन पर गद्दारी का आरोप लगाने वाले चेहरे बदल गए हैं।
सिंधिया के सिपहसलार ने दिग्विजय के पूर्वजों पर लगाया गद्दारी का आरोप
अब आपको बताते हैं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पूर्वजों को बीजेपी कैसे और क्यों लगा रही है गद्दारी का आरोप। दिग्विजय सिंह के बयानों से तिलमिलाए ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री विधायकों ने भी दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने में देर नहीं लगाई। सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में गए प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने पुराने पत्रों का हवाला देकर दिग्विजय सिंह के पिता और राघोगढ़ रियासत (Raghogarh State) के शासक बलभद्र सिंह और उनके दादा राजा रघुवर सिंह (King Raghuveer singh) पर मुगलों और अंग्रेजों का साथ देने के गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें गद्दार बताया। पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि ‘राघोगढ़ के राजा रहते हुए राजा बलभद्र सिंह ने 1775 से 1782 तक सिंधिया राज परिवार के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था। जिसके बाद सिंधिया घराने ने अंग्रेजों को परास्त करने के बाद बलभद्र सिंह को कैद किया था।’
BJP का आरोप, दिग्विजय के पूर्वजों ने अंग्रेजों की वफादारी को अपना धर्म बताया
चतुर्वेदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कि बलभद्र सिंह जी (Balbhadra singh Letter to britisher) ने अपने वंश और अपनी अंग्रेज भक्ति का वर्णन करते हुए एक पत्र 16 सितंबर 1939 को अंग्रेजी हुकूमत को लिखा था। उन्होंने लिखा, 'मेरे पूर्वजों ने 1779 से ब्रिटिश सरकार को भरपूर सेवाएं प्रदान की हैं। मेरे पिताजी ने भी आपको अपनी निजी सेवा प्रदान की है। पिछले युद्ध के समय भी ब्रिटिश सरकार को राघोगढ़ ने अपनी भरपूर सेवा प्रदान की है। अब मैं आपको अपनी वफादारी से भरी सेवा प्रदान करना अपना धर्म समझता हूं'
भोपाल में 2002 में लगी प्रदर्शनी में रखा गया था बलभद्र सिंह का पत्र
बीजेपी का दावा है कि दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह का अंग्रेजों को लिखा पत्र 2002 में भोपाल पुरातत्व विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में रखा गया था। उस वक्त दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। प्रदर्शनी में पत्र रखे जाने के बाद दिग्विजय सिंह काफी नाराज हो गए और उन पत्रों को प्रदर्शनी से हटवा दिया था।
बीजेपी ने मुगलों की वफादारी का भी आरोप लगाया
बीजेपी ये आरोप भी लगाती है कि दिग्विजय सिंह के पूर्वजों को मुगलों की वफादारी के बदले में राघोगढ़ का इलाका दिया गया था। पानीपत की तीसरी लड़ाई (Panipat Third War) में राघोगढ़ के तत्कालीन राजा ने मुगलों के खिलाफ मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ (Sadashivrao Bhau) का साथ देने इंकार कर मुगलों का साथ दिया था।
BJP के आरोपों पर दिग्विजय सिंह का पक्ष
बीजेपी नेताओं की ओर से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पूर्वजों पर गद्दारी के आरोप लगाए जा रहे हैं। हाल ही में बीजेपी ने इसका एक लैटर भी जारी किया था। द सूत्र ने इस मामले में दिग्विजय सिंह का पक्ष जानने के लिए उन्हें एक मैसेज भी किया था। लेकिन उनकी ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया।
आरोपों पर सिंधिया परिवार का पक्ष
दिग्विजय सिंह ने सिंधिया परिवार पर सीधा निशाना साधकर एक बार फिर गद्दारी की बहस छेड़ दी है। कांग्रेस लगातार सिंधिया राजघराने पर गद्दारी के आरोप लगा रही है। जब द सूत्र ने इस मामले में केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का पक्ष जानने के लिए उन्हें वॉट्सऐप मैसेज किया। लेकिन उनकी ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया।
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