Jabalpur. जबलपुर में राइट टाउन इलाके में स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में हुए आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद चल रही जांच में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। एसआईटी को डॉ पाठक दंपती के बैंक खातों की जांच के दौरान यह बात पता चली है कि किडनी अस्पताल और होटल वेगा में मरीजों के इलाज के लिए 4 ऐसे डॉक्टर भी पहुंचते थे, जिनका विजिटर्स बुक में नाम ही नहीं है। एसआईटी अब इन 4 डॉक्टरों से पूछताछ करने वाली है। बताया जा रहा है कि ये 4 डॉक्टर बिना किसी एग्रीमेंट के अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते थे, जिसका भुगतान उन्हें अस्पताल की ओर से किया जा रहा था।
एसआईटी को जांच टीम के लिए चाहिए दूसरे डॉक्टर
इधर एसआईटी ने आयुष्मान फर्जीवाड़े की जांच के लिए टीम बनाने सीएमएचओ को एक चिट्ठी लिखी। जिसमें जांच के लिए चिकित्सकों की पैनल का गठन करने लिखा गया है। खास बात यह है कि चिट्ठी में यह बात स्पष्ट रूप से लिखी गई है कि पैनल में उन डॉक्टरों को शामिल न किया जाए जो अस्पताल की जांच में पूर्व में बनी टीम का हिस्सा थे। एसआईटी की इसके पीछे क्या मंशा हो सकती है इसको लेकर भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक डॉक्टरों का पैनल किडनी अस्पताल में भर्ती रहे मरीजों और उन्हें दिए गए इलाज संबंधी फाइलों की जांच करेगा। ताकि यह पता चल सके कि जो दवाएं मरीजों की फाइल में लिखी गई थीं उनकी मरीजों को सचमुच जरूरत थी भी या नहीं। इसके अलावा फर्जीवाड़े की जांच में भी इस टीम की मदद ली जाएगी।
मुख्य आरोपी डॉ पाठक की जमानत अर्जी खारिज
इधर अपर सत्र न्यायाधीश रवींद्र प्रताप सिंह की अदालत ने आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के आरोपी डॉ अश्वनी पाठक की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। डॉ पाठक की ओर से वकीलों ने दलील दी थी कि वे अस्पताल के प्रोप्राइटर नहीं है। उनका काम केवल कंसल्टेंसी से है। यह भी दलील दी गई कि उनका सीजीएचएस के कार्य से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन अभियोजन पक्ष के वकीलों ने जमानत पर यह कहते हुए आपत्ति उठाई कि डॉ पाठक को जमानत मिलने से साक्ष्य प्रभावित होने का अंदेशा है। जिस पर अदालत ने जमानत अर्जी को निरस्त कर दिया।