ललित उपमन्यु, इंदौर. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भले ही जनता के भले के लिए ये दावा करें कि एनएचआई के दो टोल के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए। इससे कम दूरी पर अगर कोई टोल लगे हैं तो तीन महीने में उन्हें हटा देंगे। लेकिन इस दावे की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
5 किलोमीटर पर 2-2 टोल
इंदौर में शहरी इलाके (एमआर-10 ब्रिज) में एक टोल लगा है। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने बीओटी आधार पर ब्रिज बनवाया था, जिसके एवज में वहां टोल लगाने की अनुमति दी गई थी। समय के साथ ये टोल शहर के अंदर आ गया लेकिन इस पर भारी वाहनों से वसूली जारी है। इस टोल से गुजरने के बाद जब वाहन उज्जैन रोड पर पहुंचते हैं, तो बमुश्किल पांच किलोमीटर पर दूसरा टोल आ जाता है। ये स्टेट हाइवे का टोल है जो इंदौर-उज्जैन फोर लेन निर्माण के दौरान 2010 में बना था। यहां फिर वाहन से टोल ले लिया जाता है। मतलब 5-6 किलोमीटर के दायरे में दो टोल, दोनों की एजेंसियां अलग और दोनों जगह वसूली।
6 किलोमीटर में ही स्टेट और NHI के टोल
ऐसा ही मामला महू-मानपुर रोड पर भी है। यहां एक टोल स्टेट हाइवे का महू के मुहाने पर लगा है। बीओटी पर सड़क निर्माण के बाद करीब दस साल पहले इसकी स्थापना हुई थी। यहां टोल देने के बाद यदि किसी को मानपुर जाना हो तो आगे ही लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर एनएचआई का टोल मिल जाएगा। यहां भी भुगतान करना पड़ता है।
इंदौर संभाग के 9 टोल, दूरी पर एक नजर
- इंदौर-उज्जैन, दूरी 49 किलोमीटर, 2 टोल
टोल को लेकर कोई नीति ही नहीं
टोल कितने किलोमीटर पर लगेगा ऐसी कोई नीति न तो राज्य सरकार (स्टेट हाइवे) के पास है और न ही केंद्र (राष्ट्रीय राज मार्ग) के पास है। टोल लगाते वक्त केवल दो बिंदु देखे जाते हैं। किस पॉइंट पर टोल लगाया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक मिले। ऐसी जगह टोल लगे जहां ट्रैफिक का लीकेज कम से कम हो। यही वजह है कि कई जगह पर लोगों को 5-10 किलोमीटर पर भी टोल टैक्स देना पड़ रहा है तो कई जगहों पर 60-70 किलोमीटर के दायरे में एक ही टोल है। इसकी मुख्य वजह स्टेट हाइवे, एनएचआई और स्थानीय एजेंसियों में तालमेल का अभाव है: जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
टोल की नीतिगत खामियों का खुलासा
बीओटी पर बनी सड़कें और उस पर लगे टोल की नीतिगत खामियां भी धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। सरकार और एजेंसी के बीच हुए एग्रीमेंट में भविष्य के अनुमान गड़बड़ा जाने से दोनों पक्षों के बीच विवाद हो रहे हैं। कहीं सरकार सख्त कदम उठा रही है तो कहीं एजेंसी खुद समर्पण कर रही है। संभाग के नौ टोल में से इंदौर-उज्जैन मार्ग पर लगे टोल का अनुबंध शर्तों के उल्लंघन के चलते सरकार ने हाल ही में खत्म कर दिया। 2010 में बना ये टोल एजेंसी को 2035 तक चलाना था। अब वहां सरकार टोल वसूल रही है। वहीं निमाड़ क्षेत्र की दो एजेंसियों ने सरकार को लिखकर दे दिया है कि वे अब आगे टोल नहीं चला पाएंगी। सरकार ने उनकी मांग अस्वीकार कर उन्हें ही टोल चलाने का आदेश दिया है।