BHOPAL: दहेज प्रताड़ना के मामले राजीनामा से खत्म होंगे, कमलनाथ के भेजे बिल को 3 साल बाद राष्ट्रपति ने संशोधन की दी मंजूरी

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
BHOPAL: दहेज प्रताड़ना के मामले राजीनामा से खत्म होंगे, कमलनाथ के भेजे बिल को 3 साल बाद राष्ट्रपति ने संशोधन की दी मंजूरी

हरीश दिवेकर, BHOPAL. मध्य प्रदेश में दहेज प्रताड़ना के मामलों को दोनों पक्षों में राजीनामा होने पर खत्म किए जा सकेंगे। इसके लिए दोनों पक्षों को पुलिस में आवेदन देना होगा। आवेदन देने के 6 महीने बाद इस मामले में कोर्ट सुनवाई करेगा। यदि महिला संतुष्ट होती है तो कोर्ट इस मामले में राजीनामा मंजूर कर इस मामले को खत्म कर देगा। इस कानून में बदलाव करने की मंजूरी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दे दी है। 



महिला के भरण-पोषण नियम में भी बदलाव



वहीं, संशोधित कानून में भरण पोषण के आवेदन को लेकर भी महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब पीड़ित महिला जहां रहती है वो उस क्षेत्र में अपने भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकेगी। पहले पीड़ित महिला को अपने ससुराल पक्ष वाले निवास वाले क्षेत्र में ही आवेदन देना होता था, इससे कई बार लंबी दूरी पर रहने वाली महिला को भरण पोषण के आवेदन देने से लेकर मामले में सुनवाई के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़िता होना पड़ता था। अब इससे राहत मिल गई है। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने महिलाओं के सम्मान और परिवार को बिखरने से बचाने के लिए 2019 में दंड विधि संशोधन बिल सदन से पारित कर राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा था। राष्ट्रपति भवन ने 3 साल बाद कानून में बदलाव की मंजूरी दी है।



नए कानून से ये फायदा



इस कानून को मंजूरी मिलने के बाद कई परिवार बिखरने से बच जाएंगे। दरअसल, सरकार के सामने ऐसे कई मामले आए थे, जिनमें क्षणिक गुस्से से पनपा पति-पत्नी के विवाद पर दहेज एक्ट का मामला दर्ज तो हो गया, लेकिन बाद में दोनों पक्षों का गुस्सा शांत होने के बाद इसमें राजीनामा का कोई रास्ता नहीं था। इस मामले में कोर्ट में पुरुष पक्ष को सजा होती थी या फिर महिला पक्ष को कोर्ट में झूठ बोलना ​पड़ता था कि ऐसी घटना नहीं हुई। इस सबमें दोनों पक्षों का समय पैसा तो बर्बाद होता ही था, सा​थ में पुलिस और कोर्ट पर भी बेवजह का काम का बोझ बढ़ रहा था। इस सबको देखते हुए कानून में बदलाव किया गया है। अब गाली गलौज के मामले में भी दोनों पक्षों के सहमत होने पर समझौता हो सकेगा। इसी तरह बलवा या मारपीट में बलवा की धारा 147 लगने पर भी राजीनामा हो सकेगा, हालांकि यदि किसी व्यक्ति पर गंभीर अपराध की धारा भी साथ लगी है तो उस दिशा में बलवा के मामले में राजीनामा नहीं होगा। 



तीन महीने में बीमा नहीं दिखाया तो वाहन होगा नीलाम



संशोधित कानून के अनुसार अब बिना बीमा वाले वाहनों से दुर्घटना होने पर एक निश्चित राशि जमा करने के ​बाद वाहन स्वामी अपना वाहन पुलिस से छुड़वा सकेगा। यदि 3 महीने में वाहन स्वामी निश्चित राशि जमा नहीं करता तो संबंधित पुलिस थाने को अधिकार होगा कि वह वाहन की नीलामी कर सकते हैं। इस नीलामी से मिली राशि को पीड़ित पक्ष को दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पहले के कानून में वाहन नीलाम करने का प्रावधान ना होने से थानों में वाहनों का कबाड़ तो इकट्ठा हो रहा था। साथ में पीड़ित पक्ष को भी तय समय पर वित्तीय लाभ नहीं मिल पा रहा था। 



अब इन मामलों में मजिस्ट्रेट कोर्ट करेगा सुनवाई



अब 7 से 10 साल तक के कुछ अपराधिक धाराओं के मामलो को अब मजिस्ट्रेट कोर्ट सुनेगा। इनमें धारा 317 में नवजात शिशु को फेंकना, 318 में मृत शिशु को फेंकना, धारा 392 में लूट, धारा 393 में लूट का प्रयास करना, धारा 394 में हमला कर लूट का प्रयास करना और धारा 435 में विस्फोटक या अग्नि पदार्थ फेंककर लूट का प्रयास करना शामिल है। पहले इन धाराओं के केस की सुनवाई सेशन कोर्ट में ही होती थी।


कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान SHIVRAJ SINGH CHOUHAN मप्र सरकार kamalnath MP govt dowry harassment दहेज प्रताड़ना परिवार Family law कानून President Approval Victim Women राष्ट्रपति की मंजूरी पीड़ित महिला