सीहोर के शहीद के सपने: आसमान में 'उड़ना' चाहते थे; बेटी खूब पढ़े, स्कूल नहीं लेगा फीस

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सीहोर के शहीद के सपने: आसमान में 'उड़ना' चाहते थे; बेटी खूब पढ़े, स्कूल नहीं लेगा फीस

सीहोर. पैरा कमांडो जितेंद्र (para commando Jitendra Sehore) की कुन्नूर हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई। उनकी 4 साल की बेटी है। जितेंद्र का सपना था कि उनकी बेटी खूब पढ़े। शहीद के इस सपने को पूरा करने के लिए अम्लाहा पब्लिक स्कूल (Amlaha Public School) ने उनकी बेटी की एजुकेशन फ्री कर दी है। 8 दिसंबर को कुन्नूर हादसे (Kunnur Helicopter Crash) में CDS बिपिन रावत (Vipin Rawat) के साथ सीहोर के जितेंद्र भी शहीद हो गए थे। वो पैरा कमांडो थे यानी जो हवा, पानी और जमीन तीनों पर लड़ सके।

मां को वैष्णों घुमाना था

जितेंद्र के पिता शिवराज वर्मा ने बताया 2011 में उसका आर्मी में हुआ था। पिछली बार जब वो आया था तो हमें सलकनपुर (Salkanpur) घुमाने ले गया था। इस बार वो हमें वैष्णों देवी घुमाने ले जाने वाला था। लेकिन ईश्वर ने तो कुछ और सोच रखा था।  

आसमान में उड़ने का सपना देखा था

जितेंद्र के दोस्त देवनारायण ने बताया कि उसका स्कूल के समय से ही सपना था कि वह आसमान में उड़े। वो हमेशा से आर्मी में जाना चाहता था। वह घर के बाहर खाट पर लेटा था तभी प्लेन को गुजरते हुए देखकर उसने कहा कि मैं भी एक भी दिन इसी तरह आसमान से गुजरूंगा। 

पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार

2014 में सुनीता के साथ जितेंद्र की शादी हुई थी। उनके दो बच्चे चार साल की बेटी श्रव्या और डेढ़ साल का चैतन्य हैं। जितेंद्र की मां धापूबाई की तबीयत अकसर खराब रहती है। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव धामंदा (Dhamanda) में ही होगा। DNA टेस्ट के बाद शव गांव में आएगा। यहां उनके अंतिम सस्कार की तैयारियां पूरी हो गई है। 

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