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Jabalpur. जबलपुर में ईओडब्ल्यू के शिकंजे में बुरी तरह फंसा द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया जबलपुर डायोसिस का पूर्व चेयरमैन और पूर्व बिशप पीसी सिंह तो जेल की कालकोठरी में बंद है, लेकिन ईओडब्ल्यू उसके एक-एक कारनामे को उजागर करने में लगी हुई है। और तो और अब उसके परिजनों की कारगुजारियों की भी पूरी पड़ताल की जा रही है। इसी पड़ताल में बिशप की पत्नी नोरा सिंह का एक कारनामा सामने आया है। ईओडब्ल्यू को जांच में पता चला है कि नोरा सिंह भी सोसायटी के स्कूलों से विकास आशा केंद्र के नाम पर आने वाली राशि का उपयोग खुद के निजी खर्चे के लिए करती थी। इस राशि से वह अपनी गाड़ियों की किश्तें चुकाती थी साथ ही केंद्र के कर्मचारियों की तनख्वाह भी देती थी।
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि नोरा सिंह मेलों के आयोजन के नाम पर स्कूल के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से राशि वसूलती थी। इस राशि के उपयोग से न तो मेले का आयोजन होता था और न ही किसी अन्य प्रकार के कार्यक्रम होते थे।
विकास आशा केंद्र की प्रमुख थी नोरा
ईओडब्ल्यू को जांच में यह जानकारी लगी है कि बिशन ने अपने अधीनस्थ विकास आशा केंद्र के नाम से एक और संस्था बना दी थी, जिसका प्रमुख उसने अपनी पत्नी नोरा सिंह को बनाया था। नोरा सिंह द्वारा हर साल करीब 15 से 16 लाख रुपए मेले के नाम पर स्कूलों से वसूले जाते थे। ईओडब्ल्यू अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कितने स्कूलों से अब तक कितनी वसूली केंद्र के नाम पर की जा चुकी है।
कैशबुक हुई जब्त, लेखापाल से किए सवाल
ईओडब्ल्यू ने विकास आशा केंद्र के लेखापाल निखिल लाल को भी तलब किया। निखिल से पूछताछ की गई, इस दौरान टीम ने केंद्र की कैशबुक को जब्त कर लिया है। लेखापाल ने ईओडब्ल्यू को पूछताछ में बताया है कि केंद्र में जो भी राशि आती थी वह स्कूलों के जरिए ही आती थी। स्कूलों को साल में एक बार यह राशि जमा करनी होती थी।
सुरेश जैकब से भी हुई दोबारा पूछताछ
ईओडब्ल्यू ने बिशप के सबसे करीबी माने जाने वाले सुरेश जैकब से भी दोबारा पूछताछ की है। इसके साथ ही ईओडब्ल्यू ने स्कूलों से भी यह जानकारी मांगी है कि जैकब आखिर क्या-क्या काम करता था।